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EV: भारत में बढ़ती इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या पर चार्जिंग बड़ी चुनौती, उपाय क्या?

Electronic Vehicle: रेंज की चिंता और बिना किसी चार्जिंग विकल्प के बैटरी खत्म होने का डर EV खरीदने में सबसे बड़ी बाधा है.

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तेजी से बढ़ रहे भारतीय ऑटोमोबाइल बाजार में 2030 के अंत तक 4 करोड़ 40 लाख इलेक्ट्रिक वाहन (Electronic Vehicle) होने का अनुमान है. इसके बाद भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) का बाजार बन जाएगा. भारत में इलेक्ट्रिक वाहन तो तेजी से आ जाएंगे लेकिन उनकी चार्जिंग सबसे बड़ी चुनौती है.

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भारत सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहनों के अभिग्रहण यानी एडॉप्शन को बढ़ावा देने के लिए इलेक्ट्रिक वाहन निर्माताओं और ग्राहकों के लिए कर प्रोत्साहन (Tax Incentive), सब्सिडी और फास्टर अडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ हाइब्रिड एंड इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (FAME) नामक योजना लागू की है.

इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी (IEA) ने 2021 में वैश्विक इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री में दोहरे अंक की बढ़त दर्ज की, जो विश्व भर में 1 करोड़ 65 लाख यूनिट तक पहुंच गई है.

विश्व का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक होने के नाते भारत ने 2023 तक अपने सड़क यातायात में इलेक्ट्रिक वाहनों की भागीदारी 30% करने का लक्ष्य रखा है. ईवी के एडॉप्शन की इस महत्वकांक्षी दर का पर्यावरण और अर्थव्यवस्था पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा.

देश की 140 करोड़ आबादी और तेजी से बढ़ रही अर्थव्यवस्था इसे इलेक्ट्रिक वाहनों के वैश्विक बाजार का एक प्रभावशाली खिलाड़ी बनाती है. इलेक्ट्रिक वाहनों का उपयोग भारत की तेल पर निर्भरता को कम कर, वैश्विक तेल बाजार को खत्म कर देगा. भारत द्वारा इलेक्ट्रिक वाहनों का पूरी तरह से एडॉप्शन वैश्विक गतिशीलता में विकास की ओर एक महत्वपूर्ण कदम होगा. हालांकि, भारत में यह अभी शुरुआती अवस्था में है, जहां 2022 में हुई कुल वाहनों की बिक्री में इलेक्ट्रिक वाहन केवल 4.7% ही थे.

मजबूत इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी इसमें प्रमुख चुनौती है.
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एक मजूबत चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की आवश्यकता

एक मजबूत चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर ज्यादा से ज्यादा लोगों को इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने के लिए प्रेरित करने के लिए जरूरी है. रेंज की चिंता और बिना किसी चार्जिंग विकल्प के बैटरी खत्म होने का डर इस मार्ग में बाधक हैं. एक मजबूत चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर इस चिंता का निवारण कर इलेक्ट्रिक वाहनों के प्रति ग्राहकों का विश्वास बढ़ा सकता है.

चूंकि इससे मैन्युफैक्चरिंग, इंस्टालेशन, मेंटेनेंस और चार्जिंग स्टेशनों के ऑपरेशन जैसे क्षेत्रों में रोजगार उत्पन्न होंगे, इसलिए इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर का विकास नए आर्थिक अवसर भी पैदा करेगा. इसके अतिरिक्त यह प्रौद्योगिकी विकास और निवेश को आकर्षित कर इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग के विकास को भी प्रोत्साहित कर सकता है.

चार्जिंग स्टेशन बाजार के स्थिर गति से विकसित होने के साथ-साथ बीते कुछ सालों में बहुत से नए इनोवेटिव ट्रेंड्स भी सामने आ रहे हैं.
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चार्जिंग स्टेशन ऑपरेटर्स और इलेक्ट्रिक वाहन उत्पादकों के बीच साझेदारी

इलेक्ट्रिक वाहन इकोसिस्टम के विकास और सफलता के लिए इलेक्ट्रिक वाहन उत्पादकों और चार्जिंग स्टेशन ऑपरेटर्स के बीच साझेदारी बहुत जरूरी है. ऐसी साझेदारियां दोनों पार्टियों को बहुत से फायदे देती हैं और अंततः इलेक्ट्रिक वाहनों के एडॉप्शन को प्रसारित करने में मदद करती हैं.

पूरे देश में चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर बनाने के लिए बहुत से चार्जिंग स्टेशन ऑपरेटर्स ने इलेक्ट्रिक वाहन उत्पादकों से हाथ मिला लिए हैं. इलेक्ट्रिक वाहन उत्पादक चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर के फैलाव के लिए चार्जिंग स्टेशन ऑपरेटर्स के साथ साझेदारी कर यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि उनके ग्राहकों को चार्जिंग सुविधाएं आसानी से उपलब्ध हों.
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रिन्यूएबल रिसोर्सेज

बहुत से चार्जिंग स्टेशनों के मालिक अपने स्टेशनों को सोलर एनर्जी जैसे पर्मानेंट एनर्जी सोर्स से भरते हैं. इससे न सिर्फ चार्जिंग स्टेशनों से कार्बन उत्सर्जन कम होता है बल्कि यह देश के कुछ इलाकों में एनर्जी की कमी की समस्या को भी हल करता है.

सार्वजनिक स्थानों में विस्तार

भारत में 5,000 वर्ग मीटर से अधिक क्षेत्रफल वाले सभी सार्वजनिक पार्किंग स्थलों और गैस स्टेशनों के लिए इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग स्टेशनों की स्थापना करना अनिवार्य कर दिया गया है. ऐसा अनुमान लगाया गया है कि इसके कारण देश भर में चार्जिंग स्टेशनों की संख्या में बड़ी वृद्धि होगी.

फास्ट चार्जिंग तकनीक

देश के विभिन्न चार्जिंग स्टेशनों द्वारा फास्ट चार्जिंग तकनीक अपनाई जा रही है, जो इलेक्ट्रिक वाहनों को चार्ज करने में लगने वाले समय को कम कर देती है. इलेक्ट्रिक वाहनों की लंबी यात्रा के लिए फास्ट चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर जरूरी है, जो ड्राइवरों को एक दिन में लंबी दूरी तय करने की सुविधा देता है. यह सड़क यात्राओं और इंटरसिटी यात्रा के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों के इस्तेमाल को भी बढ़ावा देता है.

(यह लेख इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग कंपनी EarthtronEV के फाउंडर आशीष देसवाल ने लिखा है)

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