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सिर्फ 4 मिनट में मिल रहा डिजिटल लोन,कम सैलरी वाले भी उठा रहे फायदा

डिजिटल लैंडिंग कंपनियों ने लोन मार्केट में धाक जमा ली है. बगैर पेपर वर्क के लोन देने से ये अच्छा बिजनेस कर रही हैं

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नोएडा के एक टीवी शो-रूम में महज 12 हजार रुपये की सैलरी पर काम करने वाले मनोज सिंह को हाल में जब 25 हजार रुपये की जरूरत पड़ी तो उन्होंने एक डिजिटल लैंडिंग एप का सहारा लिया. मनोज की सैलरी पर उनके बैंक ने क्रेडिट कार्ड देने से मना कर दिया था. ऐसे में डिजिटल एप के जरिये लोन देने वाली कंपनी उनके लिए बड़ा सहारा साबित हुई.

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पिछले दो-तीन साल के दौरान देश में कई डिजिटल लैंडिंग फर्म सामने आई हैं,जो पर्सनल, कंज्यूमर और पियर टु पियर लोन दे रही हैं, बगैर किसी पेपर वर्क के.अर्ली सैलरी जैसी कोई कंपनी महीने के अंत में आपको एक महीने का ब्रिज लोन दे सकती है. अगर क्रेडिट कार्ड नहीं है और फ्लिपकार्ट और अमेजन से टीवी, फ्रिज या लैपटॉप खरीदना चाहते हैं तो बेंगुलुरू बेस्ड कंपनी जेस्ट मनी ईएमआई पर आपको लोन दे सकती है. क्रेडएक्स जैसी स्टार्ट-अप कारोबारियों को लोन देती है. तो कहने का मतलब है कि जिन लोगों को बैंक और एनबीएफसी लोन देने में हिचकिचाती हैं, उनके लिए ये डिजिटल लैंडिंग फर्म हाजिर हैं.

बैंक और एनबीएफसी के लोन के लिए बैंक स्टेटमेंट की जरूरत होती है. केवाईसी का चक्कर होता है और क्रेडिट स्कोर खंगाला जाता है. जबकि,अर्ली सैलरी जैसी डिजिटल लैंडिंग फर्म से अगर आप पहली बार लोन लेते हैं तो आपको अपनी क्रेडिट हिस्ट्री देने की भी जरूरत नहीं पड़ती है.

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कैसे काम करती हैं डिजिटल लैंडिंग कंपनियां?

डिजिटल लैंडिंग फर्म 3-1-0 मॉडल पर काम करती हैं. यानी आपको लोन देना है नहीं यह तीन मिनट में तय कर लिया जाता है. एक मिनट में मनी ट्रांसफर कर दिया जाता है और जीरो का मतलब होता है जीरो ह्यूमन टच. यानी पैसा सीधे आपके अकाउंट में ट्रांसफर हो जाता है. डिजिटल लैंडिंग प्लेटफॉर्म अपने algorithm पर काम करते हैं. आपको पैसा देना है या नहीं इसके लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और algorithm पर बना क्राइटेरिया पैमाना बनता है.

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कैसे मिलता है कि इन कंपनियों से लोन?

डिजिटल लैंडिंग कंपनियां लोन देने के लिए आपका सोशल मीडिया प्रोफाइल देखती हैं. वो आपके दोस्तों के सोशल मीडिया पर नजर रखती हैं. आपकी मोबाइल या टेलीफोन बिल पेमेंट की हिस्ट्री, ज्योग्रॉफिकल लोकेशन, ऑनलाइन शॉपिंग हिस्ट्री और इंटरनेट पर बिताये जाने वाले वक्त पर नजर रखती हैं. ये आपके कंजम्प्शन पैटर्न को खंगालती हैं. ये कंपनियां आपका इनकम पैटर्न नहीं आपका कंजम्प्शन पैटर्न देखती हैं. अगर आपकी प्रोफाइल इसमें फिट बैठती है तो सिर्फ पैन और आधार कार्ड अपलोड करते ही आपको लोन मिल सकता है.

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क्या आपको इन कंपनियों से लोन लेना चाहिए?

नई नौकरी वाले या कम सैलरी की वजह से बैंक क्रेडिट कार्ड हासिल करने में नाकाम लोगों की जरूरतों को ये डिजिटल लैंडिंग फर्म बखूबी पूरा कर रही हैं.अर्ली सैलरी जैसी कंपनी 18 हजार रुपये की मंथली इनकम वालों को लोन दे देती है. ज्यादातर लोन लेने वाले 20 हजार रुपये से लेकर 2 लाख रुपये तक लोन लेते हैं.

अगर आपको कम वक्त के लिए लोन चाहिए और आपके पास बैंकों की ओर से मांगे जाने वाले पेपर नहीं हैं तो आप डिजिटल लैंडिंग कंपनियों से लोन ले सकते हैं. हालांकि इनके लोन पर 15 से 30 फीसदी तक इंटरेस्ट देना पड़ सकता है. महंगे इंटरेस्ट रेट की वजह से आपको कम वक्त का लोन लेना चाहिए. इन कंपनियों की लोन अवधि तीन महीने से एक साल तक के लिए हो सकती है. 
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डिजिटल लैंडिंग कंपनियों पर किसकी निगरानी है?

डिजिटल फिनटेक (फाइनेंशियल टेक्नोलॉजी कंपनियां) बिजनेस पर आरबीआई, सेबी, टेलीकॉम और इरडा (IRDA) का नियमन और निगरानी है. फिनटेक कंपनियों के लिए कोई एक रेग्यूलेटरी बॉडी या एक दिशा-निर्देश नहीं है. एक से ज्यादा रेग्यूलेटरी बॉडी की वजह से फिनटेक कारोबारियों के बीच कई चीजों पर भ्रम की स्थिति है. सिर्फ डिजिटल लैंडिंग कंपनियां ही नहीं पूरे फिनटेक कारोबार के बेहतर नियमन के लिए एक बॉडी और स्पष्ट दिशा-निर्देश होने चाहिए.

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