6 साल के विशाल सिंगला कनाडा के टोरेंटो में रहते हैं. दिल्ली-NCR के बहादुरगढ़ के रहने वाले विशाल साल 2015 में कनाडा चले गए थे. शुरुआत में कनाडा से पोस्ट सेकेंडरी डिप्लोमा किया फिर परमानेंट रेसिडेंसी (PR) हासिल कर ली. विशाल का कहना है कि उन्हें यहां जॉब ढूंढने के लिए ज्यादा मशक्कत नहीं करनी पड़ी क्योंकि यहां पर भारत के मुकाबले एक जॉब के लिए कैंडिडेट्स की संख्या कम है.
पंजाब से हर साल काफी संख्या में लोग कनाडा तो जाते ही हैं, अब दिल्ली-एनसीआर से भी भारी संख्या में लोग जॉब, स्टडी और पीआर के लिए कनाडा का रुख कर रहे हैं. आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, कनाडा की इमिग्रेशन एजेंसी ने लगातार दूसरे साल 1 लाख से ज्यादा छात्रों को स्टडी परमिट दी है (कोरोना वायरस महामारी के पहले का आंकड़ा). साल 2019 में कनाडा ने करीब 4 लाख छात्रों को स्टडी परमिट दी थी जिसमें से करीब 34.5% यानी 1.39 लाख भारतीय छात्र थे.
पीआर के लिए कनाडा बना च्वाइस
वहीं अगर परमानेंट रेसिडेंट स्टेट्स की बात करें तो कनाडा में ये स्टेटस हासिल करने वाला हर 4 में से एक शख्स भारतीय है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, साल 2019 में कनाडा में 3.41 लाख लोगों को पीआर स्टेटस दी गई, जिसमें से 85,585 भारतीय थे मतलब 25.1 फीसदी.
इतना ही नहीं, टाइम्स ऑफ इंडिया की तो एक रिपोर्ट बताती है कि बेहतर करियर और भविष्य के लिए बहुत सारे भारतीय जो अमेरिका में रह रहे थे वो भी अब कनाडा का रुख कर रहे हैं. इस रिपोर्ट के मुताबिक, कम से कम 20 हजार भारतीय हर साल अमेरिका से कनाडा का रुख कर रहे हैं.
बता दें कि कनाडा में पीआर स्टेटस का मतलब वैसे ही जैसा यूएस में ग्रीन कार्ड है. इसे हासिल करने वाली फैमिली कनाडा में कहीं भी रह सकती है, काम कर सकती है या पढ़ सकती है.
आंकड़ों से साफ है कि भारतीयों का कनाडा के पीआर स्टेटस को लेकर इंटरेस्ट बढ़ा है. और इसको कई पीआर कंसल्टेंसिज भुना भी रही हैं. नोएडा से दिल्ली जाते वक्त अगर आप होर्डिंग्स पर ध्यान देंगे तो वहां भी कुछ कंसल्टेंसिज ने बड़ी-बड़ी होर्डिंग्स लगा रखी हैं. एक ऐसे ही कनाडा वीजा कंसल्टेंसी से हमने बात की. जिसके मुताबिक, हाल के सालों में दिल्ली और आसपास के इलाकों के लोगों का कनाडा के लिए रुख बढ़ा है और ये लोग ज्यादातर पीआर के लिए ही आवेदन कर रहे हैं. इस कंसल्टेंसी के मुताबिक, महीने में 200-250 तक एप्लीकेशन आ रहे हैं, जिसमें अलग-अलग प्रोफेशन के लोग हैं, आईटी प्रोफेशनल्स की संख्या ज्यादा है.
अमेरिका की सख्ती बनी बड़ा कारण
कंसल्टेंसी का ये भी कहना है कि अमेरिका में मिल रहे वर्क वीजा H-1B वीजा में हो रही दिक्कतों के कारण प्रोफेशनल्स भी कनाडा का रुख कर रहे हैं. ऐसा माना जाता है कि कनाडा में पढ़ाई या नौकरी के बाद वहीं सैटल होने की और अच्छी नौकरी हासिल करने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं. वहीं दूसरी तरफ ट्रंप प्रशासन के Buy American Hire American Executive Order के तहत H-1B वीजा प्रोग्राम की समीक्षा करने को कहा गया है.
अमेरिका का कहना है कि इस वीजा प्रोग्राम की वजह से भारत जैसे देशों से आने वाले प्रोफेशनल्स उसके यहां की नौकरियां खा रहे हैं. H-1B वीजा से अमेरिका स्थित कंपनियों में विदेशी प्रोफेशनल्स को अस्थायी रोजगार की इजाजत होती है. अक्सर हाई प्रोफेशनल्स और स्किल वाले कर्मचारियों को कंपनियां H-1B वीजा पर काम करने की इजाजत देती हैं.
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