ADVERTISEMENTREMOVE AD

बीमार जेट नीलामी के बाजार में लेकिन बेचने के लिए अब बचा क्या?

जब जेट एयरवेज का मार्केट कैपिटलाइजेशन 3000 करोड़ रुपये था, तब इसे उबारने की कोशिश क्यों नहीं हुई?

Updated
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female

जेट एयरवेज को लेकर जो बची-खुची उम्मीदें थीं, ध्वस्त हो गईं.सोमवार को जेट को कर्ज देने वालों बैंकों के कंसोर्टियम ने इसे दिवालिया करार देने के लिए एनसीएलटी में डाल दिया. लेकिन जेट को दिवालिया करार देने की प्रक्रिया इतनी देरी से शुरू हुई कि बैंकों के फैसले पर सवाल उठ रहे हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

जेट का सब कुछ अब खत्म हो चुका है. अब इसके पास बचा क्या है कि जिसे बेच कर इस पर लदे 25 हजार करोड़ रुपये की देनदारी खत्म की जा सके. ग्राउंड हो चुके इस एयरलाइंस को देर से दिवालिया करार देने में देरी पर सवाल उठाने पूछ रहे हैं-

  1. जब इसका मार्केट कैपिटलाइजेशन 3000 करोड़ रुपये था, तब इसे उबारने की कोशिश क्यों नहीं हुई
  2. जब इसके पास पार्किंग स्लॉट थे, फ्लाइंग रूट्स थे तब इसे संकट से बाहर निकालने की कोशिश क्यों नहीं हुई
  3. जब इसमें एतिहाद, हिंदुजा और टाटा की दिलचस्पी ले रहे थे तब निवेशक तय करने में क्या दिक्कत थी.
0

5000 करोड़ के विमान, बैंकों का कर्जा 8500 करोड़

जेट के पास अब सिर्फ 16 विमान बचे हैं. और इनकी कुल कीमत 5000 करोड़ रुपये से थोड़ी ही ज्यादा है. अकेले बैंकों का ही इस पर 8500 करोड़ रुपये का कर्ज है. ऐसे में बाकी लेनदारों को क्या मिलेगा? जेट के शेयर 40 फीसदी गिर चुके हैं. एयरलाइंस का मार्केट कैपिटलाइजेशन 459 करोड़ रुपये का रह गया है. एक दिन पहले ही जेट 775.87 करोड़ रुपये की कंपनी थी. पिछले नौ महीनों को दौरान ही इसमें 2800 करोड़ रुपये की गिरावट आ चुकी है. इस हालात में नए निवेशकों से कितना पैसा मिलेगा?

बड़ा सवाल यह है क्या जेट के पास इतनी संपत्ति है कि इसे बेच कर कर लेनदारों को पैसा वापस किया जा सके.पहली बात तो ये कि जेट सर्विस इंडस्ट्री में थी. इसमें विमानों, ब्रांड का नाम और एयरपोर्ट स्लॉट के अलावा इसके पास और कुछ नहीं है, जिसे बेच कर इसे कर्ज देने वालों का पैसा लौटाया जा सके.

जेट के लेनदारों के खाली हाथ

जेट से अब किसी को कुछ नहीं मिलने वाला है. यह साफ हो चुका है. जेट को कर्ज देने वाले बैंकों का रवैया इसे उबारने के मामले में बेहद खराब रहा. ये बैंक ये दलील देकर इसे आईबीसी (IBC- Insolvency and Bankruptcy code ) प्रक्रिया में डालने से बचते रहे कि इससे इसकी कीमत को चोट पहुंचेगी. लेकिन खुद बैंकों ने जेट को IBC प्रक्रिया में डालने में बहुत देर कर दी. अब जेट के पास इतना फंड नहीं है कि इससे लेनदारों की कुछ वसूली हो सके. दरअसल जब तक जेट की देनदारी जब घटाई नहीं जाएगी तब तक कोई भी निवेशक आगे नहीं आएगा. यानी जेट के पास 2-3 हजार करोड़ का कर्ज रह जाए तभी कोई निवेशक इसमें निवेश के लिए आगे बढ़ेगा.

इन हालातों में हर किसी को अपना पैसा छोड़ना पड़ेगा. बैंकरों को, वेंडरों को जेट को लीज पर विमान देने वाली कंपनियों को भी. लेकिन जेट के खत्म होने का सबसे बड़ा घाटा हमें और आपको उठाना पड़ेगा. क्योंकि जेट को सबसे ज्यादा कर्जा बैंकों ने दिया था और इसमें हमारे और आप जैसे आम डिपोजिटरों का ही पैसा होता है. बैंक ये पैसा बट्टे खाते में डाल देंगे. और इस पैसे की उगाही टैक्स के तौर पर हमारी जेब से होगी.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×