पीएमसी बैंक घोटाले की जांच में सामने आ रहा है कि वाधवान परिवार ने अपना रियल एस्टेट का जो साम्राज्य खड़ा किया है, उसे बनाने में पंजाब एवं महाराष्ट्र कोऑपरेटिव बैंक के पूर्व चेयरमैन वरयाम सिंह की भी खास भूमिका रही है. वरयाम सिंह पीएमसी बैंक के विवादित प्रमुख रहे, जिन पर 4335 करोड़ के कर्ज घपले में वाधवान परिवार को फायदा पहुंचाने के आरोप लग रहे हैं.
शुक्रवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मुंबई पुलिस से बैंक घोटाले की जानकारी हासिल की. हाउसिंग डेवलपमेंट एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (एचडीआईएल) के प्रमोटर राकेश वाधवान और उनके बेटे सारंग (सनी) वाधवान से कुछ संदिग्ध कंपनियों के बारे में पूछताछ की गई है. इसमें प्रिविलेज एयरवेज प्राइवेट लिमिटेड, जिसके पास फ्रांसीसी कंपनी दसॉ द्वारा निर्मित डीए 200 फॉल्कन जेट थे, और ब्रॉडकास्ट इनीशिएटिव प्राइवेट लिमिटेड शामिल हैं.
दस्तावेजों से पता चलता है कि प्रिविलेज एयरवेज की स्थापना 16 फरवरी 2006 को राकेश वाधवान ने की थी और इसका खास लक्ष्य राजनेताओं और तमाम सेलिब्रिटी को फायदा पहुंचाना था.
वरयाम सिंह राजनेताओं और राकेश वाधवान के बीच ब्रिज का काम करते थे. वह अमूमन फॉल्कन 2000 से ही यात्रा करते थे. राकेश वधावन के स्वामित्व वाली प्रिविलेज पावर एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड के निदेशक वरयाम सिंह ने कई राज्य सरकारों और एचडीआईएल के बीच महाराष्ट्र में कई करोड़ के एनर्जी प्रोजेक्ट्स के लिए बातचीत कराई थी.
न्यूज एजेंसी आईएएनएस ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि प्रिविलेज पावर एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड के गठन के बाद, वाधवान परिवार ने अपनी निगाहें एक सेटेलाइट न्यूज चैनल को शुरू करने पर लगा दीं, जिसके जरिए दिल्ली में सत्ता के गलियारों में पहुंच बनाना मकसद था.
एचडीआईएल के लिए इस उद्देश्य को हासिल करने में वरयाम सिंह के अलावा उत्तर प्रदेश काडर के एक आईपीएस अफसर ने खास भूमिका निभाई.
वाधवान परिवार के स्वामित्व वाले चैनल के एक पूर्व संपादक ने बताया कि वरियाम सिंह ने ही वाधवान परिवार को चैनल के लिए प्रेरित किया था, जिसका मकसद सत्ता में बैठे लोगों के साथ मेलजोल बढ़ाना था.
इस मामले पर संपादक स्तर के पूर्व टीवी पत्रकार ने कहा कि वरयाम सिंह ने चैनल के राजनीतिक ब्यूरो के एक पत्रकार पर केंद्रीय मंत्रियों से मुलाकात के लिए दबाव बनाया था.
कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय के रिकॉर्ड बताते हैं कि वरयाम सिंह को 27 सितंबर 2010 को उस कंपनी का निदेशक नियुक्त किया गया था, जो नई दिल्ली के मंदिर मार्ग स्थित चैनल को चलाती थी.
इससे पहले एक क्षेत्रीय चैनल को मुंबई से रिलॉन्च किया गया जिसके लिए एक अलग से कंपनी का गठन किया गया था. वाधवान परिवार वरयाम सिंह को इस कंपनी में 13 मई 2010 को निदेशक के तौर पर लेकर आया था. आईएएनएस के मुताबिक, वरयाम सिंह यूपीए-2 सरकार में दो कैबिनेट मंत्रियों के नजदीकी थे, एचडीआईएल की व्यापारिक संभावनाओं को बढ़ाने के लिए उनके पास बड़ी मीडिया शक्ति भी थी.
हालांकि, बड़े न्यूज एंकरों की नियुक्ति के बावजूद चैनल की टीआरपी नहीं आई. बाद में कंपनी में करोड़ों का डिस्ट्रीब्यूशन घोटाला सामने आया और एक आंतरिक वित्तीय ऑडिट के बाद राकेश वाधवान ने सभी न्यूज चैनलों को महाराष्ट्र के एक चिटफंड ऑपरेटर को बेच दिया.
आईएएनएस के पास मौजूद दस्तावेजों के मुताबिक, वरयाम सिंह के पास सितंबर 2017 तक एचडीआईएल में 1.9 फीसदी का हिस्सा था. दिसंबर 2005 में एचडीआईएल बोर्ड में बतौर निदेशक शामिल होने वाले वरयाम सिंह ने 2015 में बैंक में बतौर चेयरमैन नियुक्त होने के लिए वाधवान की कंपनी से इस्तीफा दे दिया.
ऐसे में ताज्जुब की बात नहीं है कि एचडीआईएल और पीएमसी बैंक के बीच के संबंध की जांच कर रहे रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने सेंट्रल रजिस्ट्रार ऑफ कोऑपरेटिव सोसाइटीज (केंद्रीय कृषि मंत्रालय के तहत आने वाला विभाग) से इस मामले में वरयाम सिंह के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कहा था.
आईएएनएस ने कृषि मंत्रालय में कोऑपरेटिव सोसाइटी के मामलों को देखने वाले संयुक्त सचिव से संपर्क करने की कोशिश की लेकिन मंत्रालय द्वारा वरयाम सिंह के खिलाफ की गई किसी कार्रवाई के बारे में जानकारी नहीं मिल सकी.
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