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क्या शेयर बाजार जोखिम के तूफान में घिरा?पैसा लगाने के पहले जान लें

कमजोर रुपये और कमजोर मैन्यूफैक्चरिंग की वजह से हालत बिगड़ी 

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सेंसेक्स गिरा, निफ्टी गिरा, रुपया गिरा, ट्रेड वॉर हुआ. इन बातों ने शेयर बाजार की घेराबंदी शुरू कर दी है. पेट्रोल-डीजल महंगा होने का नतीजा भी रुपए की कमजोरी और क्रूड के ज्यादा दाम हैं. यानी जोखिम ने शेयर बाजार के चारों तरफ घेरा बना लिया है.

सेंसेक्स सोमवार को 333 प्वाइंट और निफ्टी 98 प्वाइंट गिरा. गिरावट का ये चौथा दिन रहा. साबुन, तेल बनाने वाले कंपनी जैसे हिंदुस्तान यूनिलीवर और आईटीसी ने बाजार को नीचे खींचा. निगेटिव माहौल का अंदाज इसी बात से लगाइए कि जून तिमाही में जीडीपी के अच्छे आंकड़े भी सहारा नहीं दे पाए.

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सेक्टर के हिसाब से देखें तो सिर्फ मेटल और मीडिया शेयर ही मजबूती से खड़े रहे. एफएमसीजी, बैंकिंग, रियल्टी, फाइनेंशियल और ऑटो सेक्टर के शेयरों में दो फीसदी की गिरावट दर्ज की गई. बाजार की गिरावट की वजहों पर एक नजर

मैन्यूफैक्चरिंग ग्रोथ को झटका

अगस्त में पीएमआई इंडेक्स गिर कर 51.7 पर पहुंच गया. जबकि जुलाई में 52.3 पर था. लगातार दूसरे महीने मैन्यूफैक्चरिंग गतिविधियों में गिरावट देखी गई. उत्पादन में गिरावट का असर शेयर बाजार पर दिखा.

ग्लोबल मार्केट में गिरावट का असर

अंतरराष्ट्रीय शेयर बाजार में सोमवार को गिरावट का आलम रहा. चीन के साथ अमेरिका का ट्रेड वॉर तेज होने की आशंका से बाजार में गिरावट रही. ऐसी आशंका है कि ट्रंप एक बार फिर चीन पर टैरिफ लगाने का ऐलान कर सकते हैं. कनाडा को नाफ्टा से अलग करने की खबरों के बीच एशियाई सूचकांकों में गिरावट दर्ज की गई.

रुपया 71 से नीचे

गिरते रुपये ने भी शेयर बाजार को सतर्क कर दिया था. सोमवार को रुपये ने गिरावट का नया स्तर छू लिया. कारोबारी सत्र के दौरान रुपया डॉलर के मुकाबले गिर कर 71.07 पर पहुंच गया.

जीएसटी कलेक्शन में गिरावट का असर भी बाजार पर दिखा. वित्त मंत्रालय ने शनिवार को कहा कि अगस्त में जीएसटी कलेक्शन 93,960 करोड़ रुपये रही. जबकि जुलाई में जीएसटी कलेक्शन 96,483 करोड़ रुपये का रहा था.

हालांकि कुछ विशेषज्ञ जीडीपी के आंकड़ों पर भी सवाल उठा रहे हैं. उनका कहना है कि पहली तिमाही में 8.2 फीसदी की रफ्तार की ग्रोथ आगे आने वाली तिमाहियों में बरकरार नहीं रह सकेगी. दरअसल पहली तिमाही की जीडीपी ग्रोथ लो बेस इफेक्ट का नतीजा है.

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