अडानी ग्रुप (Adani Group) पर धोखाधड़ी और हेरफेर का आरोप लगाने वाली अमेरिकी की एक रिसर्च कंपनी हिंडनबर्ग की रिपोर्ट (Hindenburg Research) सामने आई है, जिसके बाद अडानी ग्रुप के शेयरों में भारी गिरावट देखने को मिल रही है. रिपोर्ट जवाब में अडानी ग्रुप का कहना है कि हिंडनबर्ग रिसर्च एक 'अनैतिक' शॉर्ट सेलर है. उसने शेयर की कीमत में हेरफेर करने और उसे कम करने का काम किया है और एक झूठा बाजार बनाने के लिए ये रिपोर्ट पब्लिश किया है.
ऐसे में सवाल बनता है कि शॉर्ट सेलर क्या होता है? शॉर्ट सेलिंग कैसे काम करता है?
शॉर्ट सेलिंग क्या है?
शॉर्ट सेलिंग एक ट्रेडिंग या निवेश रणनीति है जिसमें कोई व्यक्ति किसी खास कीमत पर स्टॉक या सिक्योरिटीज खरीदता है और फिर कीमत ज्यादा होने पर उसे बेच देता है, जिससे फायदा होता है. आसान शब्दों में कहें तो शॉर्ट सेलिंग एक ट्रेडिंग स्ट्रैटेजी है जो अटकलों पर आधारित है, सट्टेबाजी की तरह.
शॉर्ट-सेलिंग को परिभाषित करने का सबसे बुनियादी तरीका स्टॉक में गिरावट के बारे में अनुमान लगाना और उसके खिलाफ दांव लगाना है.
SEBI के शब्दों में, शॉर्ट सेलिंग उस स्टॉक की बिक्री है जो ट्रेड के समय विक्रेता के पास नहीं होती है. इन्वेस्टर्स के सभी क्लास, चाहे वह रीटेल या संस्थागत इन्वेस्टर हों, को शॉर्ट सेलिंग की इजाजत है. शॉर्ट सेलिंग में, एक शॉर्ट सेलर बाद में कम कीमत पर इसे वापस खरीदकर पैसे कमाने की उम्मीद में उधार लिया हुआ स्टॉक बेचता है.
उदाहरण के लिए, अगर एक शॉर्ट सेलर 500 रुपये के स्टॉक को 300 रुपये के स्तर तक गिरने की उम्मीद करता है, तो वह मार्जिन अकाउंट का इस्तेमाल करके ब्रोकर से स्टॉक उधार ले सकता है और सेटलमेंट पीरियड से पहले उसी स्टॉक को वापस खरीद सकता है. शॉर्ट सेलर 500 रुपये के शेयर को 300 रुपये तक गिरने पर वापस खरीदने की उम्मीद के साथ बेच देगा. अगर स्टॉक असल में गिरता है, तो स्टॉक सेलर शेयर वापस खरीदता है और अपनी अपनी पॉजिशन को क्लोज कर देता है. अगर शेयर 100 रुपये में बेचा गया और उसे 85 रुपये पर वापस खरीद लिया गया तो हर शेयर पर 15 रुपये का मुनाफा हुआ.
शॉर्ट सेलिंग काम कैसे करता है
शॉर्ट सेलिंग में, व्यापारी आमतौर पर उन सिक्योरिटीज का मालिक नहीं होता है जो वह बेचता है, लेकिन सिर्फ उन्हें उधार लेता है. शेयर बाजार में, व्यापारी आमतौर पर ब्रोकरेज के जरिए से दूसरों से उधार लिए गए शेयरों को बेचकर शेयरों को कम करते हैं.
जब शेयरों की कीमत अपेक्षित स्तर तक गिरती है, तो व्यापारी शेयरों को कम कीमत पर खरीदेगा और उन्हें ओनर को वापस कर देगा और इस प्रक्रिया में फायदा कमाएगा. हालांकि, अगर शेयरों की कीमत गिरने के बजाय बढ़ती है, तो व्यापारी को ओनर को वापस लौटाने के लिए हाई प्राइस पर शेयर खरीदने के लिए मजबूर होना पड़ेगा, जिससे नुकसान की बुकिंग होगी.
शॉर्ट सेलिंग सामान्य स्टॉक मार्केट निवेश के बिल्कुल उलट है, जहां एक इन्वेस्टर ने स्टॉक खरीदा और उम्मीद है कि भविष्य में इसकी कीमत बढ़ेगी.
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