आमतौर पर हर कंपनी में स्टाफ और वहां के टॉप अधिकारियों की सैलरी में फर्क होता है. लेकिन हाल ही में जारी ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में स्टाफ के मुकाबले सीईओ की सैलरी 243 गुना ज्यादा है.
सैलरी में औसत से ज्यादा बढोतरी के साथ-साथ बोनस की वजह से सीईओ और अन्य टॉप अधिकारियों की सैलरी काफी तेज रफ्तार से बढ़ रही है. साल 2017 में कंपनी के टॉप अधिकारियों की औसत सैलरी 12.1 फीसदी बढ़कर 9.8 करोड़ रुपये तक पहुंच गई.
अमेरिका के बाद सबसे ज्यादा अंतर भारत में
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, सीईओ और आम कर्मचारियों की औसत सैलरी का अनुपात अमेरिका के बाद दुनिया में सबसे अधिक भारत में है. साल 2017 में भारतीय कर्मचारियों की सैलरी में पिछले साल के मुकाबले 8.5 फीसदी की बढ़ोतरी हुई. इसके बाद इनकी सैलरी बढ़कर 5,65,748 रुपये हो गई.
पिछले साल अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के सीईओ की औसत सैलरी करीब 23.6 करोड़ रुपये थी तो भारतीय कंपनियों के सीईओ की औसतन 9.76 करोड़ रुपये.
कंपनियों में सीनियर लेवल पर आमतौर पर कई तरह के भत्ते और बोनस शामिल होते हैं. इस वजह से अक्सर उनकी सैलरी में तेजी से बढ़ोतरी होती है. पिछले साल भारतीय कंपनियों के टॉप अधिकारियों को उनकी सैलरी के अलावा 40 से 83 फीसदी तक ऐसे ही भत्ते और बोनस मिले.
प्राइवेट सेक्टर में सैलरी इजाफा?
ग्लोबल कंपनी एओन के सर्वे के मुताबिक, प्राइवेट सेक्टर की कंपनियों में काम करने वालों की औसत सैलरी में इस बार 9.4 फीसदी का इजाफा हो सकता है. टॉप परफॉर्मर की सैलरी 15.4 फीसदी तक बढ़ सकती है. 2017 की सैलरी में 9.3 फीसदी की औसत बढ़ोतरी से यह महज 0.1 फीसदी ज्यादा है.
2016 में इस तरह कंपनियों में औसत सैलरी 12.9 फीसदी की बढ़ोतरी हुई थी, लेकिन इस साल यहां 10.4 फीसदी की बढ़ोतरी का अनुमान लगाया गया है. वैसे हाल के सालों में उथल-पुथल के दौर से गुजर रही हाई टेक और आईटी कंपनियों में 2018 के दौरान औसत सैलरी बढ़ोतरी 9.5 फीसदी रह सकती है, वहीं थर्ड पार्टी आईटी सर्विसेज कंपनियों में औसत सैलरी बढ़ोतरी 6.2 फीसदी रह सकती है. भारत में आईटी सेक्टर में यही कंपनियां सबसे ज्यादा रोजगार देती हैं.
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