सरकार की तरफ से देश में नौकरियों के तमाम दावे किए जा रहे हैं. बावजूद आज भी नौकरियों के मामले में देश का खस्ताहाल है. एक आर्थिक सर्वे के मुताबिक, देश में सेना को छोड़कर 1.5 करोड़ नौकरियों की जरूरत है.
वहीं भारतीय रिजर्व बैंक की रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक, देश जीडीपी में पिछले दो सालों में बढ़ोतरी हुई है, लेकिन रोजगार वृद्धि दर में कमी देखी गई है.

GDP में बढ़ोतरी रोजगार वृद्धि दर में कमी
भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा समर्थित रिसर्च प्रोजक्ट इंडिया KLEMS डेटाबेस के मुताबिक, 2015-16 में देश की जीडीपी में 7.4 फीसदी और 2016-17 में 8.2 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. लेकिन देश में रोजगार वृद्धि दर में 2015-16 में 0.1 फीसदी और 2016-17 में 0.2 फीसदी की कमी आई है.
ज्यादा कर्मचारी वाले सरकारी संस्थान
अगर सरकारी क्षेत्र में नौकरियों की बात की जाए तो सबसे ज्यादा नौकरी देने का काम भारतीय रेलवे करता है. रेलवे में करीब 14 लाख कर्मचारी काम कर रहे हैं. इसके बाद भारतीय सेना में 13 लाख कर्मचारी फिलहाल काम कर रहे हैं.
इंडिया पोस्ट में करीब साढ़े 4 लाख से ज्यादा कर्मचारी हैं. इसके अलावा बैंकिंग सेक्टर में भी युवाओं को नौकरियां मिल रही है. बैंकिंग सेक्टर में सबसे ज्यादा स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में 2.2 लाख कर्मचारी काम कर रहे हैं. बावजूद इसके युवाओं के लिए अभी भी नौकरियों की काफी कमी है.
प्राइवेट फील्ड के ये हैं दिग्गज
प्राइवेट सेक्टर में टाटा सबसे बड़ी कंपनी है जो युवाओं को नौकरियों के मौके उपलब्ध करा रहा है. इसमें भी टाटा की आईटी इकाई टाटा कंसल्टेंसी सर्विस में सबसे ज्यादा 3 लाख कर्मचारी काम कर रहे हैं. इसके बाद दूसरे नंबर पर इंफोसिस और तीसरे पर आईबीएम इंडिया है. इंफोसिस में करीब 1.6 लाख कर्मचारी हैं. जबकि आईबीएम इंडिया में 1.5 लाख कर्मचारी काम कर रहे हैं. इसके अलावा विप्रो में 1.3 लाख कर्मचारी काम कर रहे हैं.
नौकरियों की कमी
आर्थिक सर्वे के मुताबिक, देश में डेढ़ करोड़ और नियुक्तियों की जरूरत है. लेकिन बात नौकरी देने वाले कंपनियों की करें तो एनएचपीएसी, ओएनजीसी, कोल इंडिया और सेल जैसी पीएसयू में नियुक्तियां लगभग बंद है. इसके अलावा कॉरपोरेट कंपनियों जैसे आईटीसी, रिलाइंस इंड्रस्ट्रीज में भी नई नौकरियां न के बराबर ही है.
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