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दुनियाभर की अर्थव्यवस्था पर कोरोनावायरस का दंश, चीन में हालात बदतर

दुनिया की अर्थव्यवस्था पर कोरोनावायरस का दंश, चीन में काराखान प्रोडक्शन में रिकॉर्ड गिरावट

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कोरोनावायरस के संक्रमण से चीन की अर्थव्यवस्था पर पड़ रहा असर अब साफ दिखने लगा है. शनिवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, फरवरी में चीन में मेन्यूफेक्चरिंग रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ गयीं.

ताजा मासिक सर्वे के मुताबिक, चीन का खरीद प्रबंध सूचकांक (पीएमआई) फरवरी में गिर कर 35.7 पर आ गया. इस सूचकांक का 50 से नीचे रहना यह बताता है कि कारखाना उत्पादन घट रहा है. अगर सूचकांक 50 से ऊपर हो तो उसे उत्पादन में वृद्धि का संकेत माना जाता है. गैर-विनिर्माण गतिविधियों का सूचकांक फरवरी में 29.6 पर आ गया. यह जनवरी में 54.1 पर रहा था.

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चीन का विनिर्माण पीएमआई जनवरी में भी 50 से नीचे था. चीन ने 2005 से इन आंकड़ों को जमा करना शुरू किया है. उसके बाद इसका यह सबसे खराब स्तर है. इससे पहले ब्लूमबर्ग के एक सर्वे में विनिर्माण पीएमआई के फरवरी में हल्की गिरावट के साथ 45 रहने का अनुमान जताया गया था. लेकिन ताजा आंकड़ा उससे बहुत नीचे है.

दुनियाभर पर पड़ा है असर

चीन की अर्थव्यवस्था कोरोना वायरस संक्रमण के चलते एक तरह से पूरी दुनिया से कट गयी है. यह संक्रमण चीन से बाहर कई देशों में भी फैल चुका है. इस महामारी का विश्व की अर्थव्यवस्था पर असर गंभीर होने की आशंकाओं के चलते वैश्विक शेयर बाजारों में 2008 के आर्थिक संकट के बाद का सबसे बुरा हफ्ता रहा.

दुनिया के सबसे शेयर बाजार वॉल स्ट्रीट में एक हफ्ते में 12 फीसदी की गिरावट आई है. दुनियाभर के बाजारों में गिरावट आने से इंवेस्टर्स को 6 ट्रिलियन डॉलर का नुकसान हुआ है.

विश्लेषकों ने चेतावनी दी है कि कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण इस साल की पहली तिमाही में चीन की आर्थिक वृद्धि दर में बड़ी गिरावट देखने को मिल सकती है. ये आंकड़े वृद्धि दर में गिरावट के अनुमान को पुष्ट करने वाली पहली झलकी है.चीन के राष्ट्रीय सांख्यिकी ब्यूरो ने कहा कि कोरोना वायरस के संक्रमण का वाहन तथा विशिष्ट कल-पुर्जा उद्योग पर बुरा असर पड़ा है, लेकिन गैर-विनिर्माण क्षेत्रों में असर अधिक भयावह हुआ है.

ब्यूरो ने एक बयान में कहा, ‘‘ऐसे उपभोक्ता उद्योग जो लोगों के आवागमन और जुटान पर केंद्रित हैं, जैसे परिवहन, होटल एवं किराये वाले आवास, खान-पान, पर्यटन व आवासीय इलाकों की सेवाएं आदि की में मांग में भारी गिरावट देखने को मिली है.’’

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