सरकार पूरे देश में लॉटरी पर 28 फीसदी जीएसटी लगाने पर विचार कर रही है. साथ ही वह ऑनलाइन लॉटरी पर पाबंदी का रास्ता भी तलाश रही है. गोवा में शुक्रवार को होने वाली जीएसटी काउंसिल की बैठक में इस पर फैसला हो सकता है. लॉटरी पर टैक्स का मामला राज्यों के बीच विवाद का विषय बना हुआ है.
लॉटरी इंडस्ट्री चाहती है टैक्स 12 फीसदी से ज्यादा न हो
लॉटरी इंडस्ट्री इस पर एक समान यानी 12 फीसदी का टैक्स चाहती है. साथ ही वह प्राइज मनी पर टैक्स हटाने के पक्ष में है. फिलहाल, राज्य के अंदर उसकी ही एजेंसियों की ओर से चलाई जाने वाली लॉटरी पर 12 फीसदी जीएसटी लगता है. लेकिन राज्य के बाहर बेची जाने वाली और प्राइवेट प्लेयर्स की ओर से आयोजित लॉटरियों पर 28 फीसदी जीएसटी लगता है. महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, पंजाब, अरुणाचल समेत दस राज्यों में लॉटरी को इजाजत मिली हुई है.
दरअसल, लॉटरी पर 28 फीसदी टैक्स कर देने से पश्चिम बंगाल को दिक्कत हो सकती है, जहां इस पर 18 फीसदी टैक्स है. हालांकि कई दूसरे राज्य 28 फीसदी टैक्स के पक्ष में हैं. उनका मानना है कि लॉटरी एक बुराई है. ज्यादा टैक्स लोगों को लॉटरी खरीदने से रोकेगा.
कई राज्य 28 फीसदी टैक्स के समर्थन में
लॉटरी पर पूरे देश में टैक्स बढ़ा कर 28 फीसदी करने का मामला जीएसटी काउंसिल के एजेंडे में कई महीनों से है. इसलिए इसे मंत्रियों के एक पैनल को सौंप दिया गया है. जुलाई में निर्मला सीतारमण ने इस मामले ने इस पर फैसला टाल दिया था. उन्होंने इस पर अटॉर्नी जनरल की राय मांगी थी.
देश में अभी दस राज्य लॉटरी चलाते हैं. कई राज्यों के ऑनलाइन लॉटरी हैं. केरल और सिक्किम समेत कुछ राज्यों में लॉटरी के रिजल्ट राज्य सरकार की साइट पर भी पब्लिश होते हैं. बड़ी तादाद में लोग इन लॉटरियों में पैसा लगाते हैं.देश भर में लॉटरी पर टैक्स बढ़ाने से इसे बेचने वाले राज्यों की बिक्री पर असर पड़ सकता है.
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