खरीदारों के हितों के लिए यूनिटेक का मैनेजमेंट सरकार अपने हाथ में ले लेगी. यूनिटेक के करीब 40,000 खरीदारों को इसका फायदा होगा, जिनसे रकम तो ले ली गई है, पर घर अभी तक नहीं मिले हैं. कुल मिलाकर 20 हजार घर आधे-अधूरे पड़े हैं, जबकि जो बन भी गए हैं, उनपर काम बाकी होने की वजह से कब्जा ग्राहकों को नहीं मिला है.
नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल ने सरकार को इस बात की मंजूरी दे दी कि वो यूनिटेक को अपने कब्जे में ले ले. सरकार जल्द ही अपनी तरफ से 10 डायरेक्टरों की नियुक्ति करेगी. रियल एस्टेट कंपनी के 8 डायरेक्टर को सस्पेंड कर दिया है. हजारों खरीदारों का पैसा और फ्लैट दोनों अटके पड़े हैं और कंपनी पैसा न होने का बहाना बताते हुए हाथ खड़े कर दे रही थी.
यूनिटेक को कब्जे में लेने का फैसला 9 साल पहले सत्यम कंप्यूटर्स को सरकार के कब्जे में लेने की तरह ही है. तब लाखों निवेशकों का पैसा सत्यम कंप्यूटर्स के प्रोमोटरों के घोटाले की वजह से फंस गया था.
जानकारों के उम्मीद है जिस तरह सत्यम मामले में सरकार की तरफ से बनाए गए बोर्ड ने कंपनी को संभालकर फिर टेक महिंद्रा को बेचा, उसी तरह यूनिटेक को भी पटरी में ला जा सकेगा. खास तौर पर सरकार का मकसद हजारों ग्राहकों के हितों की रक्षा करना है.
पांच सालों से यूनिटेक में कामकाज ठप है. खरीदार अदालतों में चक्कर काट रहे हैं. मिसमैनेजमेंट की वजह फ्लैट अधूरे हैं, जिसके बाद सरकार ने नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यनल से कंपनी का कब्जा खुद लेने की अर्जी लगाई थी.
सरकार ने कंपनी कानून की धारा 241 के तहत कंपनी में डायरेक्टर नियुक्ति का अधिकार मांगा था, जिसे ट्रिब्यूनल ने मंजूर कर लिया. अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल संजय जैन के मुताबिक सरकार अपनी तरफ से नियुक्त किए जाने वाले 10 डायरेक्टरों की लिस्ट 20 दिसंबर तक ट्रिब्यूनल को सौंप देगी.
अधूरे फ्लैट कंप्लीट होंगे
नए मैनेजमेंट में सरकार की तरफ से नियुक्त डायरेक्टर होंगे लिए इसकी विश्वसनीयता अधिक होगी. इससे उन खरीदारों पर भरोसा बढ़ेगा. इसके अलावा कंपनी को फंड जुटाने में भी आसानी होगी. अभी कंपनी पर खरीदारों का भरोसा खत्म हो गया था और उन्होंने अपना बकाया देने से साफ इनकार कर दिया था. कंपनी के ज्यादातर प्रोजेक्ट नोएडा में हैं.
दिल्ली एनसीआर क्षेत्र में यूनिटेक को करीब 20,000 फ्लैट बनाकर देने हैं. कंपनी के पूरे क्षेत्र में करीब 61 प्रोजेक्ट हैं.
हर तरफ से डिफॉल्ट
कंपनी ने खरीदारों के साथ धोखा किया, कर्ज देने वालों के साथ डिफॉल्ट किया और अदालत को दिए गए वादे को भी पूरा नहीं किया.
- कंपनी पर फिक्स्ड डिपॉजिट करने वाले 15,000 लोगों का 723 करोड़ रुपये भी बकाया है.
- यूनिटेक पर 1400 करोड़ रुपये का कर्ज भी है, जिसका उनसे डिफॉल्ट कर दिया है. जिन कंपनियों कर्ज नहीं चुकाया गया है. यूनिटेक पर जेएम फाइनेंशियल का 870 करोड़ रुपये, एचडीएफसी का 250 करोड़ रुपये, एसआरईआई इंफ्रा का 154 करोड़ रुपये और एलआईसी का 131 करोड़ बकाया है.
प्रॉपर्टी नहीं बेच पाएंगे सस्पेंड डायरेक्टर
नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल ने आदेश दिया है सस्पेंड किया गया कंपनी का कोई भी डायरेक्टर न तो अपनी, न ही कंपनी की प्रॉपर्टी बेच पाएगा और न ही उसे गिरवी रखेगा. नया मैनेजमेंट अगर कंपनी के अकाउंट में कोई गड़बड़ी पाता है, तो वो उसकी जांच भी करा सकता है.
कंपनी के प्रोमोटर संजय चंद्रा सुप्रीम कोर्ट का आदेश नहीं मानने की वजह से जेल में हैं. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें खरीदारों का बकाया वापस करने के लिए कोर्ट में 750 करोड़ रुपये जमा कराने का आदेश दिया था जो वो नहीं कर पाए.
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