रिजर्व बैंक ने अपनी मॉनिटरी पॉलिसी की बैठक में ब्याज दरों मे कोई बदलाव नहीं किया है. पहले ऐसा अनुमान था कि बुधवार को होने वाली बैठक में कुछ बदलाव हो सकते हैं. रिजर्व बैंक ने रेपो रेट को 6.5 और रिवर्स रेपो रेट को 6.25 फीसदी पर ही बरकरार रखा है.
रिजर्व बैंक ने नकदी बढ़ाने के लिए एसएलआर में 0.25 फीसदी की कटौती की है. फिलहाल एसएलआर 19.5 फीसदी है.
चालू वित्त वर्ष की RBI पॉलिसी की कुछ अहम बातें
- अप्रैल: ब्याज दर में कोइ परिवर्तन नहीं हुआ.
- जून: रिपर्चेज की दर में 6.25 फीसदी की बढ़ोतरी.
- अगस्त: रिपर्चेज की दर में 6.5 फीसदी की बढ़ोतरी.
- अक्टूबर: कोई परिवर्तन नहीं.
- दिसंबर: दरों में कोई बदलाव न करने पर सहमति बनी, केवल एक सदस्य ने इसके खिलाफ वोट किया.
रिजर्व बैंक ने कैश रिजर्व रेशियो यानी सीआरआर में कोई बदलाव नहीं किया है. सीआरआर अभी 4 फीसदी है. एमएसएफ बैंक रेट में भी कोई बदलाव नहीं किया गया है. फिलहाल एमएसएफ 6.75 फीसदी है.
रिजर्व बैंक के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष के अक्टूबर से मार्च के दौरान महंगाई दर 2.7-3.2 फीसदी रहने का अनुमान है. पहले यह अनुमान 3.9-4.5% था.
2018-19 के लिए जीडीपी ग्रोथ का अनुमान 7.4 फीसदी तक है. वित्त वर्ष 2019-20 की पहली छमाही के लिए जीडीपी ग्रोथ रेट का अनुमान 7.5 फीसदी है.
क्या है रेपो रेट?
जिस रेट पर रिजर्व बैंक कमर्शियल बैंकों या दूसरे बैंकों को लोन देता है, उसे रेपो रेट कहते हैं. रेपो रेट कम होने का मतलब यह है कि बैंक से मिलने वाले लोन सस्ते हो जाएंगे. रेपो रेट कम हाने से होम लोन, व्हीकल लोन वगैरह सभी सस्ते हो जाते हैं.
क्या है रिवर्स रेपो रेट?
जिस रेट पर बैंकों को उनकी ओर से आरबीआई में जमा धन पर ब्याज मिलता है, उसे रिवर्स रेपो रेट कहते हैं. रिवर्स रेपो रेट बाजारों में नकदी को नियंत्रित करने में काम आती है. बहुत ज्यादा नकदी होने पर आरबीआई रिवर्स रेपो रेट बढ़ा देती है.
क्या है एसएलआर?
जिस रेट पर बैंक अपना पैसा सरकार के पास रखते हैं, उसे एसएलआर कहते हैं. नकदी को नियंत्रित करने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है. कमर्शियल बैंकों को एक खास रकम जमा करानी होती है, जिसका इस्तेमाल किसी इमरजेंसी लेन-देन को पूरा करने में किया जाता है.
क्या है सीआरआर ?
बैंकिंग नियमों के तहत सभी बैंक को अपनी कुल नकदी का एक निश्चित रकम रिजर्व बैंक के पास जमा करनी होती है, जिसे कैश रिजर्व रेशियो यानी सीआरआर कहते हैं.
क्या है एमएसएफ?
आरबीआई ने इसकी शुरुआत साल 2011 में की थी. एमएसएफ के तहत कमर्शियल बैंक एक रात के लिए अपने कुल जमा का 1 फीसदी तक लोन ले सकते हैं.
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