फैक्टरियों के परचेजिंग ऑर्डर में तेजी दर्ज की गई है. दिसंबर 2019 में इसमें सुधार दिखा है. दिसंबर, 2019 में फैक्टरियों की परचेजिंग को दिखाने वाला परचेजिंग मैनजर्स इंडेक्स (PMI) बढ़कर 52.7 पर पहुंच गया. नवंबर में यह 51.2 पर था.
मैन्यूफैक्चरिंग गतिविधियों में सुधार से बढ़ेगा रोजगार
मैन्यूफैक्चरिंग PMI मई, 2019 के बाद सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गया है. यह मैन्यूफैक्चरिंग से जुड़े हालातों में सुधार की निशानी है. फैक्टरियों में उत्पादन बढ़ने से अर्थव्यवस्था की घटती रफ्तार से चिंतित सरकार को राहत मिल सकती है.
इसका सीधा असर रोजगार पर पड़ेगा. देश में उत्पादन और रोजगार की कमी का असर लोगों की कंजप्शन क्षमता पर पड़ रहा है. कंजप्शन न बढ़ने से मैन्यूफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर दोनों को झटका लगा है. इन सेक्टरों में ग्रोथ न होने से विकास दर निचले स्तर पर पहुंच गई है.
जुलाई के बाद तेजी से बढ़े हैं कारोबारी ऑर्डर
PMI पेश करने वाली IHS मार्किट इंडिया की प्रिंसिपल इकोनॉमिस्ट पॉलियाना डी लीमा के मुताबिक फैक्टरियों ने पिछले दिनों के सुधारों का लाभ उठाया है और मई के बाद अपने हालात में तेजी से सुधार किए हैं. उनका कहना है कि पीएमआई का बढ़ना नए कारोबारी ऑर्डर और मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र में सुधार को दर्शाता है. नए कारोबारी ऑर्डर जुलाई के बाद सबसे तेज गति से बढ़े हैं.
इस सर्वेक्षण के मुताबिक अगले 12 महीनों में उत्पादन में बढ़ोतरी की अच्छी उम्मीद है. हालांकि आगे अर्थव्यवस्था के सामने बड़ी चुनौतियां हैं. इस बीच, महंगाई 13 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है.
जुलाई-सितंबर तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर 4.5 फीसदी तक गिर गई और यह छह वर्षों में सबसे कम विकास दर रही है. इसके बावजूद वित्त मंत्री ने पिछले महीने राज्यसभा को बताया था कि अर्थव्यवस्था में गिरावट का दौर जरूर है, मगर स्थिति बिल्कुल मंदी वाली नहीं है. पिछले कुछ अरसे से सरकार आर्थिक मोर्चे पर घिरी हुई है. विपक्ष ने इसे लेकर उस पर ताबड़तोड़ हमले किए हैं.
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