ADVERTISEMENTREMOVE AD

ONGC की गुहार- घाटा बढ़ता जा रहा है, बचा लो सरकार

ONGC ने टैक्स में कमी और गैस की कीमत तय करने और बेचने की आजादी मांगी है

story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

कोरोना वायरस की वजह से पूरी दुनिया में कारोबार पर असर पड़ा है. वहीं, भारत में भी इसका असर देखने को मिल रहा है. तेल एवं गैस उत्पादक कंपनी ONGC ने गैस की कीमत में भारी कमी के बीच सरकार से गुहार लगाई है. कंपनी ने टैक्स में कमी और गैस की कीमत तय करने और बेचने की आजादी मांगी है ताकि उसका कारोबार ठीक से चल सके.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

कंपनी का कहना है कि देश में पैदा खनिज गैस का दाम कम होने से उसके लिए कारोबार चलाना कठिन हो गया है और इसका असर उसकी निवेश योजनाओं पर पड़ सकता है. कंपनी के इस आग्रह की सीधी जानकारी रखने वाले सूत्रों ने कहा कि

अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतें 20 डॉलर प्रति बैरल नीचे तक आ चुकी हैं. वहीं देश में प्राकृतिक गैस की कीमतें 2.39 डालर प्रति यूनिट साल के न्यूनत स्तर पर रखी गयी हैं. इससे ओएनजीसी को हर महीने नकदी का नुकसान उठाना पड़ रहा है. 

लागत से भी कम गैस की कीमतें

सूत्रों ने बताया कि गैस की कीमतें उसकी लागत से भी कम हैं. ऐसे में अधिक टैक्स से सिर्फ गैस पर ही नकदी का नुकसान नहीं हो रहा बल्कि तेल के उत्पादन पर भी असर पड़ा है. सार्वजनिक क्षेत्र की तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) ने पिछले महीने सरकार को लिखा था कि अगर कच्चे तेल की कीमत 45 डॉलर प्रति बैरल से नीचे आ जाएं तो तेल पर लगाए जाने वाले उपकर को हटा लिया जाए.

रॉयल्टी को आधा करने की मांग

कंपनी ने राज्य सरकारों को कीमत पर दी जाने वाली 20 प्रतिशत रॉयल्टी को भी आधी करने की मांग रखी थी. मौजूदा वक्त में कंपनी को जो तेल की कीमत मिलती है उस पर सरकार को 20 प्रतिशत का मूल्य-उपकर देना होता है. साथ ही जिस राज्य में वह तेल खनन का काम करती है. उस राज्य सरकार को कच्चे तेल की कीमत पर 20 प्रतिशत की रॉयल्टी देनी होती है.

सूत्रों ने बताया कि ओएनजीसी घरेलू स्तर पर उत्पादित प्राकृतिक गैस की कीमत तय करने के लिए अमेरिका और रूस जैसे अधिक गैस उत्पादन करने वाले देशों के फार्मूले को अपनाना चाहती है. इस फार्मूले के आधार पर अप्रैल से गैस की कीमत 2.39 डॉलर प्रति दस लाख ब्रिटिश थर्मल यूनिट होगी. यह पिछले दस साल में गैस कीमतों का सबसे निचला स्तर है.

सूत्रों के मुताबिक, तेल खनन कंपनियों पर लगने वाला उपकर समय के साथ तीन डॉलर से बढ़कर 13 डॉलर हो गया है. इससे चालू और नयी तेल एवं गैस परियोजनाओं पर दबाव है.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×