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PMC स्कैम:बैंक ने कुल पूंजी का 73% सिर्फ एक क्लाइंट को लोन दे दिया

एचडीआईएल जबरदस्त नकदी संकट के बाद दिवालिया कोर्ट में घसीट ली गई है.

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संकट में फंसे पीएमसी बैंक के निलंबित एमडी जॉय थॉमस ने आरबीआई को गड़बड़ी से जुड़ी कई बातें बताई हैं. थॉमस ने कथित तौर पर आरबीआई के सामने कबूल किया है कि बैंक ने एचडीआईएल को 6500 करोड़ रुपये का कर्ज दे दिया था. जबकि बैंक का कुल एसेट ही 8800 करोड़ रुपये का है. यानी कंपनी को बैंक की पूरी संपत्ति की 73 फीसदी रकम कर्ज के तौर पर मिल गई थी. यह रकम कर्ज देने की सीमा से चार गुना अधिक थी.

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असली बैलेंसशीट में दर्ज जानकारी से हुआ खुलासा

बैंक के बोर्ड मेंबर की ओर से बैंक की असली बैलेंसशीट का ब्योरा रिजर्व बैंक को लीक किए जाने के बाद यह खुलासा हुआ है. इस मामले की जानकारी रखने वाले एक सूत्र ने यह जानकारी दी. स्लम री-डेवलपमेंट के कारोबार में शामिल एचडीआईएल जबरदस्त नकदी संकट के बाद दिवालिया कोर्ट में घसीट ली गई है. वह अपनी कई परियोजनाओं को पूरा करने में नाकाम रही थी.

बहरहाल, थॉमस की ओर से बैंक को दिए गए कर्ज के बारे में जो खुलासा किया गया है उसके बारे में एचडीआईएल की ओर से कोई जवाब नहीं आया है. सूत्रों का दावा है कि पीएमसी बैंक में गड़बड़ी पर आरबीआई की नजर पहले से थी.

सूत्रों के मुताबिक जैसे ही फ्रॉड और डेटा में हेरफेर के पर्याप्त सबूत मिले आरबीआई ने तुरंत एक्शन लिया. आरबीआई ने बगैर कोई देरी किए बैंक के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स को दरकिनार कर कार्रवाई की और जेबी भोरिया को एडमिनिस्ट्रेटर अप्वाइंट कर दिया.
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पूरी मुस्तैदी से कार्रवाई का दावा

सूत्रों ने ‘द क्विंट’ से कहा था, ‘’यह ठीक है कि आरबीआई एचडीआईएल को दिए गए कर्ज के बारे में पूरी तरह वाकिफ नहीं था. लेकिन बैंक के पूर्व एमडी जॉय थॉमस की ओर से दी गई जानकारी के बाद आरबीआई को कार्रवाई करने में थोड़ी भी देर नहीं लगी.’’ थॉमस ने बैंक में कर्ज देने को लेकर हुई गड़बड़ी के बारे में बताया है. उन्हें उम्मीद है कि आरबीआई को इसकी जानकारी दे देने से उनके खिलाफ ज्यादा सख्त कार्रवाई नहीं होगी.लेकिन इस जानकारी के बाद केंद्रीय बैंक ने पीएमसी बैंक प्रबंधन के खिलाफ कार्रवाई करने की अपनी रफ्तार और बढ़ा दी.

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सूत्रों का कहना है कि आरबीआई की नजर काफी दिनों से बैंक के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स के कुप्रबंधन और चेयरमैन वरियाम सिंह और एचडीआईएल ग्रुप की कंपनियों के बीच संबंधों पर थी. सवाल उठाया जा सकता है कि अगर ऐसा था तो आरबीआई ने वक्त रहते कार्रवाई क्यों नहीं की.

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