पीएमसी बैंक मामले में आम डिपोजिटरों और ग्राहकों को हो रही परेशानी के लिए आरबीआई को घेरा जा रहा है. लेकिन सूत्रों का कहना है कि पीएमसी बैंक में गड़बड़ी पर आरबीआई की नजर पहले से थी. सूत्रों के मुताबिक जैसे ही फ्रॉड और डेटा में हेरफेर के पर्याप्त सबूत मिले आरबीआई ने तुरंत एक्शन लिया. आरबीआई ने बगैर कोई देरी किए बैंक के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स को दरकिनार कर कार्रवाई की और जेबी भोरिया को एडमिनिस्ट्रेटर अप्वाइंट कर दिया.
सूत्रों का दावा,थॉमस की जानकारी के बाद तुरंत की कार्रवाई
सूत्रों ने ‘द क्विंट’ से कहा, ‘’यह ठीक है कि आरबीआई एचडीआईएल को दिए गए कर्ज के बारे में पूरी तरह वाकिफ नहीं था. लेकिन बैंक के पूर्व एमडी जॉय थॉमस की ओर से दी गई जानकारी के बाद आरबीआई को कार्रवाई करने में थोड़ी भी देर नहीं लगी.’’ थॉमस ने बैंक में कर्ज देने को लेकर हुई गड़बड़ी के बारे में बताया है. उन्हें उम्मीद है कि आरबीआई को इसकी जानकारी दे देने से उनके खिलाफ ज्यादा सख्त कार्रवाई नहीं होगी.लेकिन इस जानकारी के बाद केंद्रीय बैंक ने पीएमसी बैंक प्रबंधन के खिलाफ कार्रवाई करने की अपनी रफ्तार और बढ़ा दी.
सूत्रों का कहना है कि आरबीआई की नजर काफी दिनों से बैंक के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स के कुप्रबंधन और चेयरमैन वरियाम सिंह और एचडीआईएल ग्रुप की कंपनियों के बीच संबंधों पर थी. सवाल उठाया जा सकता है कि अगर ऐसा था तो आरबीआई ने वक्त रहते कार्रवाई क्यों नहीं की.
इस पर यह तर्क दिया जा रहा है कि अमूमन डेटा में हेरफेर और फ्रॉड को साबित करने में वक्त लग जाता है. लेकिन इस मामले में जैसे ही आरबीआई को पर्याप्त सबूत मिले उसने बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स को दरकिनार कर डिपोजिटरों के हित में तुरंत कार्रवाई की.
बैंक डिपोजिटरों के हित में कदम उठाने का दावा
सूत्रों का यह भी कहना है कि बैंक ने आरबीआई से अहम डेटा छिपाए. जो डेटा दिए वे भी फर्जी थे. साफ था कि यह आरबीआई को गुमराह करने की कोशिश थी. सही डेटा के बगैर आरबीआई काम नहीं कर सकता था. लेकिन जैसे ही इस मामले में यह साबित हो गया कि उसे फर्जी डेटा दिए गए उसने तुरंत कार्रवाई की. हालांकि उसके इस कदम की यह कह कर कड़ी आलोचना की गई कि यह डिपोजिटरों के लिए बेहद कठोर था. खास कर और छोटे और बुजुर्ग डिपोजिटरों को इसके इस कदम से खासी परेशानी हुई. लेकिन बैंक और डिपोजिटरों के हित में तुरंत कार्रवाई बेहद जरूरी थी. बैंक के लिए एक मजबूत प्रबंधन मुहैया कराना भी उसकी प्राथमिकता थी.
सूत्रों के मुताबिक मीडिया में एचडीआईएल को बैंक की ओर से भारी कर्ज देने की बात की गई है. लेकिन इस पर आरबीआई की पहले से नजर थी. आरबीआई ने एचडीआईएल ग्रुप की कंपनियों और बैंक के चेयरमैन के बीच संबंधों के बारे में सफाई मांगी है.
आरबीआई ने इन कंपनियों और चेयरमैन के अकाउंट के बीच लेनदेन पर भी सवाल उठाए हैं. इसलिए यह कहना सही नहीं है कि इस पूरे मामले के बारे में आरबीआई को असलियत का पता नहीं था. दरअसल इस मामले में पूर्व एमडी जॉय थॉमस की ओर से गलती कबूल करने के बाद आरबीआई ने बेहद तेजी से कार्रवाई की. तब तक आरबीआई की जांच टीम के सामने डेटा की हेराफेरी साबित हो चुकी थी. आरबीआई ने इस मामले में 19 सितंबर से ही अपना काम शुरू कर दिया था.
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