सरकारी नौकरी से वॉलेंटियरी रिटायरमेंट लेने के करीब एक साल बाद पूर्व वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग (SC Garg) ने कहा है कि उनके वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) के साथ अच्छे कामकाजी संबंध नहीं थे और उनके सरकार से अचानक से बाहर आने का कारण भी वित्त मंत्री ही थीं. इसके अलावा गर्ग वित्त मंत्रालय के अलावा और कहीं काम नहीं करना चाहते थे इसलिए रिटायरमेंट लेने के अलावा उनके पास कोई विकल्प नहीं बचा.
निर्मला सीतारमण एक बहुत अलग व्यक्तित्व वाली शख्सियत हैं. आर्थिक नीति को लेकर उनका नजरिया, काम करने का तरीका और रवैया भी काफी अलग है. मुझे ये साफ लगने लगा था कि उनके साथ काम करना काफी मुश्किल भरा हो सकता है और उनके साथ काम करके हम भारत की इकनॉमी को 10 ट्रिलियन डॉलर की इकनॉमी बनाने के लिए जो जरूरी रिफॉर्म हैं वो नहीं ला पाएंगे.सुभाष चंद्र गर्ग, पूर्व वित्त सचिव
'सीतारमण ने की ट्रांसफर की सिफारिश'
पूर्व वित्त सचिव ने अपने पत्र में ये भी लिखा कि वित्त मंत्री सीतारमण जैसे ने जैसी ही शपथ ली उसके एक महीने के बाद ही जून 2019 में उनके ट्रांसफर की सिफारिश की गई थी. बता दें कि पिछले साल सरकार ने IAS अधिकारी सुभाष चंद्र गर्ग का ट्रांसफर वित्त मंत्रालय से पावर मंत्रालय में कर दिया था. इसके बाद उन्होंने वॉलेंटियरी रिटायरमेंट के लिए आवेदन दिया. 31 अक्टूबर को ठीक उसी दिन गर्ग का सेवा से मुक्त कर दिया गया.
'वो मेरे बारे में पहले से धारणा बनाकर आईं थीं'
वित्त मंत्रालय के पूर्व अधिकारी गर्ग ने वित्त मंत्री के साथ खराब संबंधों पर बात करते हुए लिखा- मुझे नहीं पता कि उनके साथ मेरे संबंध क्यों खराब हुए. वो मेरे बारे में पहले से धारणा बनाकर आई थीं. उनको मुझ पर भरोसा नहीं था. वो मेरे साथ काम करने में भी सहज नहीं थीं.
गर्ग ने कहा कि RBI के इकनॉमिक कैपिटल फ्रेमवर्क जैसे मुद्दों पर काम करते हुए कुछ मतभेद पैदा हुए. इसके अलावा भी कई मुद्दों पर दोनों में एकमत नहीं था. इसके बाद गर्ग को महसूस हुआ कि साथ में काम करना संभव नहीं है. जब रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल ने इस्तीफा दिया था और रिपोर्ट्स में कारण बताया गया था कि उन्होंने सरकार और रिजर्व बैंक के मतभेदों के चलते इस्तीफा दिया है. तब भी डिपार्टमेंट ऑफ इकनॉमिक अफेयर्स के सचिव गर्ग ही थे
गर्ग ने अपने पत्र में ये भी लिखा कि उन्होंने तब के एडिशनल प्रिंसिपल सेक्रेट्री पीके मिश्रा से भी चर्चा की. मिश्रा पीएमओ में तबादलों और नियुक्ति का काम देखते हैं. गर्ग ने लिखा कि पीके मिश्रा ने उन्हें 18 जुलाई को चर्चा के लिए बुलाया और हम इस नतीजे पर पहुंचे कि नई वित्त मंत्री को खुलकर काम करने दिया जाए.
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