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GST से लेकर MPC तक,इन 7 सुधारों के लिए हमेशा याद किए जाएंगे जेटली

वित्त मंत्री के तौर पर जेटली की छवि एक लिबरल की रही है. अर्थव्यवस्था में कई सुधार उनके खाते में दर्ज है

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वित्त मंत्री के तौर पर अरुण जेटली की छवि एक लिबरल की रही है. मार्केट इकनॉमी और अर्थव्यवस्था में अड़चनों को खत्म करने की दिशा में कई सुधार उनके खाते में दर्ज हैं. इनमें सबसे अहम जीएसटी, आईबीसी और रिजर्व बैंक की मॉनेटरी पॉलिसी गठन जैसे सुधार हैं.आइए देखते हैं उन्होंने किन सुधारों के जरिये भारतीय इकनॉमी पर अपनी छाप छोड़ी

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GST

देश में GST लागू करने का श्रेय जेटली को जाता है. ‘वन नेशन वन टैक्स’ यानी GST को लागू करवा कर उन्होंने खुद को एक बड़े आर्थिक सुधारक के तौर पर स्थापित कर लिया था. शुरू में उन्हें जीएसटी के विरोध का सामना करना पड़ा लेकिन उन्होंने विरोधी वित्त मंत्रियों (राज्यों के) को साथ लेकर और केंद्र और राज्य के बीच टैक्स के बंटवारे के बारे में संतुलन बिठा कर 2017 में इसे लागू कर दिया. जीएसटी से देश की जीडीपी में दो से तीन फीसदी के इजाफे की संभावना जताई गई थी.

IBC

तमाम अड़चनों के बावजूद जेटली ने इन्सॉल्वेंसी ऐंड बैंकरप्सी कोड यानी IBC लागू करवाया. इस कानून के तहत बड़े कर्ज लेकर न चुकाने वाली कंपनियों पर फंदा कसा है. इस कानून का असर दिख रहा है. पिछले दो साल में IBC प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर करीब 3 लाख करोड़ रुपये से अधिक कीमत की फंसी हुई संपत्तियों का निपटारा हो चुका है.

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जन-धन योजना

बैंकिंग के दायरे बाहर देश की बड़ी आबादी को बैंकिंग से जोड़ने के लिए जनधन योजना भी जेटली के दिमाग की ही उपज मानी जाती है. 3 जुलाई तक 2019 तक देश में 36 करोड़ से ज्यादा जनधन खाते हैं. इन खातों में लगभग 1 लाख करोड़ रुपये हैं, जो रिजर्व बैंक के लिए एक्स्ट्रा फंड है. जन धन योजना से देश की बड़ी आबादी इनक्लूसिव बैंकिंग से जुड़ी है. इनक्सूलिव बैंकिंग इकनॉमी को रफ्तार देने में अहम भूमिका निभाती है

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आरबीआई की MPC

रिजर्व बैंक के फैसलों में पारदर्शिता लाने के लिए मॉनेटरी पॉलिसी का गठन भी जेटली की ही पहल का नतीजा है. अब बैंकों की नीतिगत दरें तय करने में इसी कमेटी की भूमिका होती है. कमेटी में 6 सदस्य होते हैं जिनमें RBI से तीन और इतने ही सरकार की तरफ से नामित सदस्य होते हैं. साल में MPC की कम से कम 4 बैठकें जरूरी हैं.

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FDI नियमों में सुधार

जेटली हमेशा ग्लोबल इकनॉमी का फायदा भारतीय इकनॉमी को दिलाने के पक्ष में रहे. उनकी कोशिश से रक्षा, इंश्योरेंस और एविएशेन जैसे सेक्टर भी FDI का FDI नियमों में ढील के पक्षधर जेटली के प्रयासों से डिफेंस, इंश्योरेंस और एविएशन जैसे सेक्टर भी FDI के लिए खोले गए. FIPB को भंग किया गया. इन कदमों से FDI में काफी इजाफा हुआ.

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NPA पर सख्ती

बैंकों के बढ़ते एनपीए की वजह से सार्वजनिक बैंकों की खराब स्थिति को बेहतर करने की ओर जेटली ने कदम बढ़ाया था. उनकी सख्ती की वजह से बैंकों की बैलेंसशीट में काफी कुछ सुधार देखने को मिला. हालांकि यह समस्या अभी बनी हुई लेकिन इससे भारतीय बैंकों के फंसे हुए कर्ज के बोझ को कम करने में एक हद तक मदद मिली है.

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बजट सुधार

अरुण जेटली के नेतृत्व में बजट में अहम सुधार हुए. रेल बजट अलग से पेश करने की परंपरा खत्म हुई और इसे आम बजट में मिला दिया गया. सबसे अहम सुधार बजट पेश करने की तारीख और वक्त बदलने का फैसला जेटली ने ही लिया था.

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