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GST लागू होने के बाद आ सकती है मुकदमों की बाढ़!

एक सरकारी रिपोर्ट के आंकड़े ये बताते हैं कि 1 लाख इनडायरेक्ट केस के मामले भी कोर्ट में पड़े हुए हैं.

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1 जुलाई से देश में गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) लागू होने जा रहा है. ऐसे में देश के कई बड़े वकीलों का मानना है कि GST आने के बाद कोर्ट केस में बढ़ोतरी होगी.

इसका मुख्य कारण बताया जा रहा है GST का जटिल ढांचा. नए टैक्स सिस्टम में टैक्स ब्रैकेट से लेकर कंपनियों के रेवेन्यू तक, कई मामलों में पेच फंस सकता है, नतीजा होगा कोर्ट केस.

अब देश के लीगल सिस्टम की भी हालत जान लीजिए. वकीलों के मुताबिक, देश में अभी 2.40 लाख केस कोर्ट में पेंडिंग हैं.

एक सरकारी रिपोर्ट के आंकड़े बताते हैं कि 1 लाख इनडायरेक्ट टैक्‍स के मामले भी कोर्ट में पड़े हुए हैं.

इन मामलों में देश का करीब 23 अरब डॉलर फंसा हुआ है. अब GST आने के बाद वकील आशंका जता रहे हैं कि मुकदमों की संख्या और भी बढ़ जाएगी.

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‘बेहद जटिल है GST का ढांचा’

GST के ढांचे की बात करें, तो दावा किया गया था कि पूरे देश में एक जैसा टैक्स लगेगा. लेकिन टैक्स की दरें 6 हो गई हैं.

जीरो परसेंट जीएसटी वाले आइटम हटा लें, तो भी रफ डायमंड के लिए 0.25 परसेंट, फिर सोने के लिए 3 परसेंट, फिर 5 परसेंट, 12 परसेंट, 18 परसेंट और 28 परसेंट.

वकीलों के मुताबिक, अब कई टैक्स दरों, अलग-अलग लेवी और राज्य बनाम केंद्र सरकार के विवादों के कारण मुकदमेबाजी की संभावनाएं बनती हैं.

ब्लूमबर्ग क्विंट से बात करते हुए बीएमआर लीगल के मैनेजिंग पार्टनर मुकेश बुटानी ने कहा:

वर्गीकरण ही विवाद का सबसे बड़ा मुद्दा बन सकता है. सरकार के लिए ये जरूर है कि इस वर्गीकरण के लिए कुछ अधीनस्थ कानून बनाए जाए, इससे गाइडेंस तो मिलेगा ही, साथ ही विवाद भी कम होंगे.

सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस करने वाले वरिष्ठ वकील अरविंद दातर कहते हैं, ''मौजूदा GST दुनिया में सबसे जटिल है.'' नए टैक्स सिस्टम में क्लासिफिकेशन और वैल्युएशन का विवाद बढ़ेगा.

इन सबसे अलग सरकार ये बात मानने के लिए बिल्कुल तैयार नहीं है. सरकार का कहना है कि GST से टैक्स से जुड़े केस कम होंगे, चीजें ज्यादा साफ होंगी.

पुराने उदाहरण दे रहे गवाही!

सरकार के इस दावे पर वकील, मैक्डॉनल्ड कॉर्पोरेशन समेत कई दूसरे मुकदमों की याद दिलाते हैं.

  • मैक्डॉनल्ड कॉर्पोरेशन के केस में 12 साल यही तय करने में लग गए थे कि सॉफ्ट-सर्व आइसक्रीम, आइसक्रीम है या नहीं. क्योंकि आइसक्रीम पर 16 फीसदी की दर से टैक्स लगता था और सॉफ्ट-सर्व आइसक्रीम को टैक्स से छूट दिलाने की मांग थी. अंत में नतीजा टैक्स डिपार्टमेंट की ही तरफ गया.
  • ऐसे ही एक दूसरे केस में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि नारियल न तो ड्राई फ्रूट है, न ही सब्जी, लेकिन नारियल पर ड्यूटी देना चाहिए.
  • हाल ही में दिल्ली हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि सरकार के तर्क के मुताबिक जिस फुटवियर में पीछे वाली पट्टी नहीं लगी, वो भी सैंडल है, न कि चप्पल या स्लीपर.
  • इस तरह के मामलों में मुकदमेबाजी चलती है और उस पर पैसे भी खर्च होते हैं.

जीएसटी लागू होने के बाद ऐसे मामलों में इजाफा हो सकता है.

साथ ही, सरकार के लिए भी ये अच्छी खबर नहीं होगी, क्योंकि हाल के सालों में सरकार को टैक्स मामले में अधिकतर में हार का सामना करना पड़ा. एक सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक, ऐसे मामलों में साल 2013 में जहां ये सफलता दर 33 फीसदी थी, वो साल 2015 में घटकर 26 फीसदी हो गई.

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