कोरोना के बढ़ते प्रकोप के बीच इसकी वैक्सीन को लेकर उम्मीद देने वाली खबरें सामने आ रही हैं. दुनिया भर में 13 वैक्सीन कैंडिडेट ह्यूमन ट्रायल के तीसरे फेज में हैं. इनका फेज 3 ट्रायल जारी है, लेकिन इस बीच जितना डेटा जुटाया जा सका है, उस आधार पर वैक्सीन की प्रभावकारिता यानी Efficacy बताई जा रही है.
इन्हीं अंतरिम नतीजों के आधार पर कंपनियां दुनिया भर की सरकारों और संबंधित एजेंसियों से इमरजेंसी मंजूरी की भी मांग कर रही हैं.
इसी के आधार पर कुछ अनुमान भी सामने आ रहे हैं कि कोरोना की वैक्सीन किसी देश में कब से मिल सकती है.
अब तक इन वैक्सीन के सबसे ज्यादा प्रभावी रहने की रिपोर्ट
- Pfizer और BioNTech ने खुशखबरी दी कि उसकी कोरोना वैक्सीन कैंडिडेट BNT162b2 95% असरदार रही
- मॉडर्ना ने बताया कि उसकी कोरोना वैक्सीन कैंडिडेट mRNA-1273 94.5% कारगर पाई गई
- एस्ट्राजेनेका ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन 70.4% असरदार रही (लगभग 70% प्रभावकारिता डोज देने के दो तरीकों के नतीजों का औसत है, पहले तरीके में वैक्सीन 90% और दूसरे तरीके में 62% असरदार रही)
रूस ने भी स्पुतनिक V वैक्सीन को कोरोना के खिलाफ 92% प्रभावी होने का दावा किया है.
यहां ध्यान देने वाली बात है कि ये विश्लेषण फिलहाल जुटाए गए डेटा पर आधारित हैं, फेज 3 के अंतिम नतीजे नहीं और इसलिए आने वाले समय में इनमें बदलाव देखा जा सकता है.
बता दें कि फेज 3 में मुख्य रूप से तीन बातों गौर किया जाता है:
- क्या वैक्सीन कैंडिडेट को देने से इन्फेक्शन कम हुए हैं?
- क्या वैक्सीन कैंडिडेट को देने से बीमारी कम हुई है?
- क्या वैक्सीन कैंडिडेट को देने से सभी लोगों में इम्युन सिस्टम एक्टिवेट हुआ है?
कब से होगी कोरोना वैक्सीन की आपूर्ति?
किसी भी देश में कोरोना वैक्सीन की आपूर्ति उस देश की ड्रग अथॉरिटी से हरी झंडी दिए जाने के बाद ही होगी.
मॉडर्ना
अमेरिका में 2020 के अंत तक सीमित आपूर्ति और 2021 से दुनियाभर में मिलने की उम्मीद है. अमेरिकी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) से इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी मिलने पर 2020 के आखिर तक अमेरिका में वैक्सीन की 2 करोड़ खुराक की तैयारी है. कंपनी 2021 में 50 करोड़ से लेकर 1 अरब खुराक की तैयारी में है.
यूके की सरकार से सप्लाई के लिए समझौता हुआ है. अगर यूके की रेगुलेटरी अथॉरिटी मंजूरी देती है, तो वहां मार्च, 2021 से इसकी आपूर्ति हो सकेगी.
Pfizer/BioNTech
Pfizer और BioNTech ने अमेरिका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) से वैक्सीन के इमरजेंसी यूज ऑथराइजेशन (EUA) के लिए आवेदन दिया है. FDA के एडवाइजर्स फाइजर की वैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल के अप्रूवल के लिए 10 दिसंबर को बैठक करेंगे. अगर मंजूरी मिल जाती है तो अमेरिका में हाई रिस्क आबादी के लिए दिसंबर, 2020 के अंत से इसका इस्तेमाल किया जा सकता है.
इन दोनों ही वैक्सीन की भारत में उपलब्धता बेहद मुश्किल है क्योंकि इन्हें स्टोर करने के लिए -20 डिग्री सेल्सियस से लेकर -70 डिग्री सेल्सियस तापमान की जरूरत है, जिसकी भारत में व्यवस्था नहीं है. इसके अलावा इनकी कीमत भी ज्यादा होगी.
ऑक्सफोर्ड/एस्ट्राजेनेका
2021 के दौरान दुनिया भर में 3 अरब डोज सप्लाई करने का लक्ष्य है.
भारत में ऑक्सफोर्ड/एस्ट्राजेनेका ने पुणे स्थित सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (SII) से मैन्युफैक्चरिंग कॉन्ट्रेक्ट किया है. SII भारत में इस वैक्सीन (कोविशील्ड) के फेज 3 का ट्रायल कर रहा है. इसके नतीजे जनवरी-फरवरी 2021 तक आ सकते हैं.
सीरम इंस्टीट्यूट के सीईओ अदार पूनावला के मुताबिक भारत में स्वास्थ्यकर्मियों और बुजुर्गों के लिए ऑक्सफोर्ड COVID-19 वैक्सीन अगले साल फरवरी तक और आम लोगों के लिए अप्रैल तक उपलब्ध होनी चाहिए.
कोरोना वैक्सीन जिनका कुछ देशों में हो रहा है इमरजेंसी इस्तेमाल
चीन और रूस ने फेज 3 ट्रायल के नतीजों से पहले ही कुछ वैक्सीन को सीमित उपयोग की मंजूरी दे रखी है और दुनिया भर के एक्सपर्ट्स के मुताबिक इस प्रक्रिया में गंभीर जोखिम हैं.
- इसमें चीनी कंपनी CanSino Biologics की Ad5 एडिनोवायरस पर आधारित वैक्सीन शामिल है. चीनी मिलिट्री ने इस वैक्सीन को विशेष रूप से जरूरी ड्रग के तौर पर मंजूरी दी है. वहीं CanSino के तीसरे फेज का ट्रायल अगस्त, 2020 से सऊदी अरब, पाकिस्तान और रूस में चल रहा है.
- स्पुतनिक V और EpiVacCorona, इन्हें रूस में फेज 3 ट्रायल पूरा होने से पहले शुरुआती इस्तेमाल (Early Use) की मंजूरी मिल चुकी है.
- वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ बायोलॉजिकल प्रोडक्ट्स/Sinopharm की वैक्सीन को संयुक्त अरब अमीरात ने सितंबर, 2020 में सीमित उपयोग की इमरजेंसी मंजूरी दी. यही मंजूरी बीजिंग इंस्टीट्यूट ऑफ बायोलॉजिकल प्रोडक्ट्स/Sinopharm को भी दी गई है.
- चीनी कंपनी Sinovac Biotech की CoronaVac चीन में सीमित उपयोग के लिए मंजूर है.
कोरोना वैक्सीन को लेकर भारत की तैयारी
- ऑक्सफोर्ड/एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन, 'कोविशील्ड' का फेज 3 ट्रायल भारत में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) करा रहा है.
- भारत बायोटेक और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) की 'कोवैक्सीन' का फेज-3 का ट्रायल शुरू हो चुका है.
- जाइडस कैडिला का भी दूसरे फेज का ट्रायल पूरा हो चुका है.
- रूस की 'स्पुतनिक V' वैक्सीन का भारत में कंबाइन्ड फेज 2 और 3 क्लीनिकल ट्रायल जल्द शुरू होगा, इसे डॉ रेड्डीज लैब करा रहा है.
- Biological E Limited भी शुरुआती फेज 1 और 2 ह्यूमन ट्रायल कर रहा है.
भारत में COVID-19 वैक्सीन के वितरण को लेकर नेशनल स्कीम तैयार हो रही है, जो कि अपने फाइनल स्टेज में है.
स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव राजेश भूषण के मुताबिक भारत कोविड वैक्सीनेशन के लिए यूनिवर्सल इम्युनाइजेशन प्रोग्राम के लिए मौजूदा कोल्ड चेन नेटवर्क का इस्तेमाल करेगा. ये प्रोग्राम बच्चों और प्रेग्नेंट महिलाओं के वैक्सीनेशन के लिए शुरू किया गया था.
स्वास्थ्य सचिव ने ब्लूमबर्ग क्विंट को दिए इंटरव्यू में कहा कि देशभर में कोल्ड चेन स्टोरेज स्पेस को लेकर आकलन शुरू किया गया है. उन्होंने कहा कि मौजूदा कोल्ड चेन सिस्टम को मजबूत करने के लिए जरूरी कार्रवाई भी शुरू की गई है.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने उम्मीद जताई है कि 2021 के शुरुआती 2-3 महीनों में वैक्सीन मिलने लगेगी.
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) की ओर से वैक्सीन कैंडिडेट को लेकर जारी 12 नवंबर तक के ड्राफ्ट के मुताबिक 48 वैक्सीन कैंडिडेट ह्यूमन ट्रायल के अलग-अलग चरणों में हैं.
वो निर्माता जिनकी वैक्सीन ह्यूमन ट्रायल के तीसरे फेज में हैं
- मॉडर्ना/NIAID की mRNA-1273
- BioNTech/Fosun Pharma/Pfizer की BNT162b2
- CanSino Biologics Inc./बीजिंग इंस्टीट्यूट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी
- गमलेया रिसर्च इंस्टिट्यूट की स्पुतनिक V
- जॉनसन एंड जॉनसन
- ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी/AstraZeneca की कोविशील्ड
- नोवावैक्स (Novavax)
- Medicago
- वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ बायोलॉजिकल प्रोडक्ट्स/Sinopharm
- बीजिंग इंस्टीट्यूट ऑफ बायोलॉजिकल प्रोडक्ट्स/Sinopharm
- सिनोवैक बायोटेक की कोरोनावैक (CoronaVac)
- भारत बायोटेक की कोवैक्सीन
- जैनस्सैन फार्मास्युटिकल कंपनीज
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