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कोविड-19: अमेरिका से चीन तक, वैक्सीन के बूस्टर डोज पर किसकी क्या तैयारी?

अमीर देश बूस्टर डोज की तरफ तेजी से आगे बढ़ रहे हैं - कई तो वैज्ञानिकों की सिफारिशों से भी तेज

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कोविड -19 के अत्यधिक संक्रामक डेल्टा वेरिएंट के प्रसार के बीच फ्रांस ने 1 अगस्त को 65 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों और गंभीर बीमारी वाले लोगों के लिए कोरोना वैक्सीन (coronavirus vaccine) का बूस्टर डोज लगाना शुरू कर दिया. हालांकि सबसे पहले सिर्फ इजरायल और हंगरी ने इस साल बूस्टर डोज देने की घोषणा की थी, लेकिन अब अमेरिका समेत यूरोप के कई बड़े देशों ने भी संकेत दिया है कि वे बूस्टर डोज देंगे या कुछ देशों ने देना शुरू भी कर दिया है.

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ऐसे में जानते हैं कि दुनिया के अलग-अलग देशों में कोविड वैक्सीन बूस्टर डोज को लेकर क्या-क्या प्रगति हुई है और कब तक वहां के लोगों को यह लग सकता है.

संयुक्त राष्ट्र अमेरिका

राष्ट्रपति बाइडेन के प्रशासन ने वैक्सीनेशन के पहले दौर को पूरा करने के आठ महीने बाद बूस्टर डोज की सिफारिश की है. वर्तमान में केवल उन लोगों को बूस्टर डोज मिलेगा जिन्होंने मॉडर्ना या बायोटेक/फाइजर के वैक्सीन लिए हैं. हालांकि जल्द ही उन लोगों को भी बूस्टर देने पर सहमति की उम्मीद है, जिन्होंने जॉनसन एंड जॉनसन की वैक्सीन लगवाई है. इसकी शुरुआत 20 सितंबर से हो रही है.

इजरायल

इजरायल बूस्टर डोज की सिफारिश करने वाला पहला देश था और वर्तमान में वह कम से कम 50 वर्ष की उम्र के लोगों और कोरोनो वायरस से गंभीर बीमारी के जोखिम वाले लोगों के साथ-साथ कैदियों और वार्डन को भी बूस्टर शॉट दे रहा है.

इजरायल ने जुलाई में ही लोगों को बूस्टर डोज लगाना शुरू कर दिया था. अभी तक यह बूस्टर डोज के रूप में बायोटेक-फाइजर वैक्सीन दे रहा है. जल्द ही मॉडर्ना वैक्सीन का इस्तेमाल किया जा सकता है.

चीन

चीन के राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग के अधिकारियों ने 27 अगस्त को कहा कि विशेषज्ञ इस पर और अध्ययन कर रहे हैं कि क्या उन सभी लोगों को कोविड​​​​-19 वैक्सीन के बूस्टिंग शॉट्स दिये जाएं जिन्हें छह महीने के लिए पूरी तरह से टीका लगाया गया है. इस दौरान उन्होंने तीन ग्रुप भी बताए जिनको बूस्टर शॉट लग सकते हैं.

यूनाइटेड किंगडम

यूके ने कहा है कि वो सबसे कमजोर और संवेदनशील आबादी को बूस्टर डोज लगाएगा. पहले चरण में ओल्ड एज होम में रहने वाले बुजुर्गों, 70 से अधिक उम्र के लोग, फ्रंट लाइन वर्कर्स और सामाजिक देखभाल कार्यकर्ताओं को लगाया जाएगा. दूसरे चरण में 50 वर्ष और 16 से 49 वर्ष की आयु के वयस्क जो कोरोना वायरस के जोखिम वाले समूह में हैं, उनको शामिल किया जाएगा.

यूनाइटेड किंगडम में बूस्टर डोज देने की कवायद सितंबर से ही शुरू होगी, हालांकि वैक्सीन के नाम पर आधिकारिक फैसला नहीं हुआ है.

जर्मनी

जर्मनी कमजोर और संवेदनशील समूह को कोरोना वैक्सीन के बूस्टर डोज देने को तैयार है. ऑक्सफोर्ड/एस्ट्राजेनेका या जॉनसन एंड जॉनसन के वैक्सीन लगाए गए सभी लोग भी तीसरी डोज के लिए पात्र होंगे. यहां सितंबर से बूस्टर शॉट लगना शुरू होगा, लेकिन बवेरिया स्टेट में बूस्टर डोज पहले से ही लग रहे हैं.

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इटली

इटली ने अभी तक बूस्टर डोज के लिए अपनी योजना निर्धारित नहीं की है. 19 अगस्त को कोरिएरे डेला सेरा द्वारा प्रकाशित एक लेख में, वहां के स्वास्थ्य मंत्रालय के एक महामारी विज्ञानी जियोवानी रेजा ने लिखा कि, उन्हें जानकारी को बारीकी से देखने की जरूरत है और वे व्यापक सिफारिशें नहीं कर सकते हैं.

भारत

कोविड-19 वर्किंग ग्रुप के अध्यक्ष डॉ एनके अरोड़ा के अनुसार, "भारत स्थानीय स्तर पर मौजूद वैज्ञानिक साक्ष्य के आधार पर बूस्टर डोज देने पर फैसला करेगा . देश में वर्तमान में लगाए जा रहे वैक्सीनों के लिए बूस्टर की आवश्यकता और समय निर्धारित करने के लिए अध्ययन पहले से ही चल रहा है ".

यानी भारत अभी बूस्टर डोज देने से पहले अपनी आबादी को वैक्सीन के दोनों डोज देने पर ही ध्यान केंद्रित कर रहा है. भारत ने अब तक अपनी आधी वयस्क आबादी को वैक्सीन का एक डोज लगा दिया है. लेकिन मौजूदा रफ्तार से साल के अंत तक शत प्रतिशत आबादी के वैक्सीनेशन का लक्ष्य पूरा करना असंभव है.
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अमीर देश बूस्टर डोज की तरफ तेजी से आगे बढ़ रहे हैं - कई तो वैज्ञानिकों की सिफारिशों से भी तेज. उन्हें डर है कि डेल्टा वेरिएंट संक्रमण की रफ्तार को बढ़ा देगा.

लेकिन ऐसा करना विवादास्पद है, खासकर यह देखते हुए कि दुनिया के एक बड़ी जनसंख्या को एक भी डोज नहीं मिला है. यहां तक कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने देशों को कम से कम सितंबर के अंत तक बूस्टर डोज पर रोक लगाने के लिए कहा है, तब तक WHO को उम्मीद है कि हर देश की कम से कम 10 प्रतिशत आबादी का वैक्सीनेशन हो जाएगा.

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