दिल्ली हाई कोर्ट ने COVID-19 महामारी की दूसरी लहर में उस स्थिति को लेकर दुख जताया है, जिसमें वैक्सीन की कमी एक बड़ी समस्या बन गई है.
हाई कोर्ट ने भारत की पैनेशिया बायोटेक द्वारा रशियन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट फंड (RDIF) के साथ साझेदारी में कोविड वैक्सीन स्पूतिनक वी के उत्पादन से जुड़े मुद्दों पर विचार किया है और केंद्र को निर्देश दिया है कि पैनेशिया बायोटेक को अगर सरकार से वैक्सीन उत्पादन की अनुमति मिल जाती है तो उसे भारत में स्पूतनिक वी के उत्पादन के लिए 14 करोड़ रुपये से ज्यादा की मध्यस्थता राशि 2012 से ब्याज के साथ दी जाए.
जस्टिस मनमोहन और जस्टिस नजमी वजीरी की बेंच ने कहा है कि मध्यस्थता न्यायाधिकरण द्वारा कंपनी को राशि का दिया जाना कंपनी के इस हलफनामे पर भी निर्भर करेगा कि स्पूतनिक वी की बिक्री से हासिल राशि का 20 फीसदी हिस्सा तब तक अदालत की रजिस्ट्री में जमा रहेगा जब तक दी गई राशि लौटाई नहीं जाती.
बेंच ने कहा, ‘‘दूसरी लहर में चीजें जिस तरह से हुई हैं, आज हम उससे थोड़े दुखी हैं. जिम्मेदार नागरिक के तौर पर आप भी दुखी होंगे. वैक्सीन की कमी सभी को प्रभावित कर रही है. आज भी दिल्ली में टीके उपलब्ध नहीं हैं.’’ कोर्ट ने कहा कि रूस से किसी ने हिमाचल प्रदेश में इन्फ्रास्ट्रक्चर खोज लिया लेकिन केंद्र ऐसा करने में नाकाम रहा.
हाई कोर्ट ने पैनेशिया बायोटेक की याचिका पर यह बात कही, जिसने जुलाई 2020 के एक आदेश में बदलाव का अनुरोध किया है.
कंपनी ने अपने ताजा आवेदन में मध्यस्थता राशि जारी करने की मांग करते हुए कहा कि उसे मानवता के व्यापक हित में जल्द से जल्द फंड चाहिए क्योंकि उसने RDIF के साथ मिलकर स्पूतनिक वी के ट्रायल बैच का उत्पादन कर लिया है और आगे के बैचों के उत्पादन की प्रक्रिया जारी है.
(PTI के इनपुट्स के साथ)
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