दुनियाभर के वायरोलॉजिस्ट और महामारी वैज्ञानिकों के अनुसार डेल्टा वेरिएंट कोविड-19 (COVID-19) वायरस का अब तक का सबसे खतरनाक वेरिएंट है. ऐसे में जब विभिन्न देश प्रतिबंधों में ढील देते हुए अपनी अपनी अर्थव्यवस्था को पूरी तरह से खोल रहे हैं, तब यह तथ्य चिंताजनक है कि यह वेरिएंट फुली वैक्सीनेटेड लोगों में भी तेजी से फैल रहा है.
रॉयटर्स ने 10 प्रमुख कोविड-19 विशेषज्ञों का इंटरव्यू लिया, जिसमें उनका मत था कि कोरोना वायरस के किसी भी वेरिएंट के कारण होने वाले गंभीर संक्रमण और हॉस्पिटल में भर्ती होने के खिलाफ अब भी वैक्सीन सबसे बड़ा हथियार है और सबसे अधिक रिस्क उन लोगों को है जिन्हें वैक्सीन नहीं लगी है.
वैक्सीनेटेड लोगों में भी तेजी से फैल रहा डेल्टा वेरिएंट
पहली बार भारत में पहचाने जाने वाले डेल्टा वेरिएंट के बारे में सबसे बड़ी चिंता की बात ये नहीं है कि यह लोगों को संक्रमित करता है, बल्कि ये है कि यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में तेजी से और आसानी से फैलता है. खासकर बिना वैक्सीन लिए लोगों में इसके कारण हॉस्पिटल में भर्ती होने की ज्यादा संभावना रहती है.
इंटरव्यू में विशेषज्ञों ने कहा कि इस बात के सबूत पर्याप्त हैं कि पिछले वेरिएंट की तुलना में डेल्टा वेरिएंट फुली वैक्सीनेटेड लोगों को अधिक संक्रमित करने में सक्षम है. उन्होंने यह भी चिंता जताई कि ये वैक्सीनेटेड लोगों भी डेल्टा वेरिएंट को एक-दूसरे में फैला सकते हैं.
इंग्लैंड
पब्लिक हेल्थ डिपार्टमेंट, इंग्लैंड ने 23 जुलाई को कहा कि ब्रिटेन में डेल्टा वेरिएंट से संक्रमित और अस्पताल में भर्ती कुल 3,692 लोगों में से 58.3% लोगों का वैक्सीनेशन नहीं हुआ था. जबकि 22.8% ऐसे भी लोग संक्रमित हुए जो फुली वैक्सीनेटेड थे.
सिंगापुर
सिंगापुर में अभी डेल्टा वेरिएंट ही सबसे आम कोविड-19 वेरिएंट है. वहां के सरकारी अधिकारियों ने 23 जुलाई को बताया कि कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों में तीन चौथाई वैक्सीनेटेड लोग हैं. हालांकि कोई भी गंभीर रूप से बीमार नहीं हुआ.
इजरायल
इजरायली स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा कि वर्तमान में हॉस्पिटल में भर्ती कोविड-19 के 60% मामले वैक्सीनेटेड लोगों में हैं. उनमें से अधिकतर 60 वर्ष या उससे अधिक उम्र के हैं और अक्सर किसी ना किसी स्वास्थ्य समस्याओं से ग्रसित हैं.
भारत में अप्रैल के अंतिम सप्ताह में इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने आंकड़ा जारी करते हुए कहा था कि भारत में वैक्सीनेटेड लोगों में संक्रमण के मामले बहुत कम हैं और यह मात्र 0.05% ही हैं. हालांकि तब भारत में डेल्टा वेरिएंट पूरी तरह नहीं फैला था.
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