पिछले साल की कोरोना वायरस महामारी के चलते आए वित्तीय संकट ने करीब 3 करोड़ 20 लाख भारतीयों को मध्यम वर्ग से दूर कर दिया. अमेरिका-बेस्ड Pew रिसर्च सेंटर की रिपोर्ट में यह बात कही गई है.
रिपोर्ट में बताया गया है कि मध्यम वर्ग में भारतीयों की संख्या, या ऐसे भारतीय जो 10 से 20 डॉलर (करीब 725 से 1450 रुपये) प्रति दिन कमाते हैं, की संख्या उस संख्या से करीब 3 करोड़ 20 लाख कम हो गई, जो महामारी की गैरमौजूदगी में हो सकती थी.
महामारी से पहले मध्यम वर्ग में भारतीयों की संख्या करीब 9 करोड़ 90 लाख होने का अनुमान था. Pew रिसर्च सेंटर ने इकनॉमिक ग्रोथ पर वर्ल्ड बैंक के अनुमानों का हवाला देते हुए कहा है, ''भारत में COVID-19 संकट के दौरान मध्यम वर्ग में भारी कमी और चीन की तुलना में गरीबी में तेज बढ़ोतरी होने का अनुमान है.''
पिछले साल जनवरी में, वर्ल्ड बैंक ने भारत और चीन के लिए इकनॉमिक ग्रोथ के लगभग समान स्तर का अनुमान लगाया था, जो क्रमशः 2020 में, 5.8% और 5.9% था.
मगर महामारी के करीब एक साल बाद, वर्ल्ड बैंक ने इस जनवरी में अपने पूर्वानुमान को संशोधित किया और भारत के लिए 9.6% के संकुचन और चीन के लिए 2% की वृद्धि का अनुमान लगाया था.
इस बीच, भारत के कई राज्यों में कोरोना वायरस के मामले एक बार फिर तेजी से बढ़ रहे हैं. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, देश में 24 घंटों में COVID-19 के 39726 कन्फर्म्ड केस सामने आए हैं.
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