पंजाब सरकार ने ‘निजी अस्पतालों के जरिए 18-44 साल की आबादी को कोरोना वैक्सीन की खुराक उपलब्ध कराने का आदेश’ वापस ले लिया है.
इस मामले पर पंजाब के स्वास्थ्य मंत्री बलबीर सिंह सिद्धू ने कहा है, ‘’निजी अस्पतालों को कुल 42000 टीके दिए गए जो हमने उनसे वापस ले लिए हैं. मुख्यमंत्री ने तुरंत घटना का संज्ञान लिया और फैसला रद्द कर दिया गया. वैक्सीन की अतिरिक्त कीमत चुकाने वालों को इसकी भरपाई की जाएगी.’’
पंजाब सरकार का यह कदम विपक्ष के आरोपों के बाद आया है. विपक्षी पार्टी शिरोमणि अकाली दल ने गुरुवार को राज्य की कांग्रेस सरकार पर ‘ऊंची कीमतों’ पर निजी अस्पतालों को COVID-19 वैक्सीन बेचने का आरोप लगाया था.
अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने आरोप लगाया था कि राज्य में टीके की खुराक उपलब्ध नहीं हैं और आम लोगों को मुफ्त में टीके की खुराक देने के बदले उसे निजी संस्थाओं को बेचा जा रहा है.
उन्होंने दावा किया था कि कोवैक्सीन टीके की खुराक राज्य को 400 रुपये में मिलती है और उसे निजी संस्थाओं को 1060 रुपये में बेचा जा रहा है. बादल ने कहा था कि निजी अस्पताल लोगों से हर खुराक के लिए 1560 रुपये ले रहे हैं.
इसके अलावा, केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ बीजेपी नेता प्रकाश जावडेकर ने भी पंजाब सरकार पर कोरोना वैक्सीन पर लाभ कमाने का आरोप लगाया था. उन्होंने कहा था कि राहुल गांधी को दूसरों को भाषण देने के बजाय कांग्रेस शासित राज्यों में हो रहे ऐसे कामों पर ध्यान देना चाहिए. जावडेकर ने दावा किया था कि पंजाब की जनता को कोवैक्सीन की एक खुराक के लिए 1500 रुपये तक चुकाने पड़ रहे हैं.
पंजाब सरकार की ओर से आदेश वापस लिए जाने के बाद अकाली दल नेता हरसिमरत कौर ने शुक्रवार को कहा, ''पंजाब सरकार की मंशा क्या है? वे गरीबों की जान बचाना चाहते हैं या गरीबों के लिए बने टीकों से प्रॉफिट कमाना चाहते हैं? यह साफ है कि उन्होंने निजी अस्पतालों से पैसे लेकर और गरीबों के लिए बने टीकों का व्यापार करके घोटाला किया है...यह घोटाला सामने आने के बाद उन्होंने आदेश वापस ले लिया.''
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