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कोरोना संक्रमित होने के बाद वैक्सीन की 1 ही डोज काफी- स्टडी

16 जनवरी से 5 फरवरी के बीच टीका लगाने वाले लोगों को लेकर स्टडी

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कोरोना वैक्सीन को लेकर रोज नए-नए शोध सामने आ रहे हैं. जिससे लोगों में लगातार कंफ्यूजन भी बढ़ रहा है. अब हैदराबाद के एआईजी अस्पतालों के एक अध्ययन से पता चला है कि जो लोग कोविड 19 से संक्रमित है, उनके लिए टीके की एक खुराक पर्याप्त है.

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एंटीबॉडी जांच के लिए हुई स्टडी

अस्पताल ने सोमवार को घोषणा की कि उसने उन सभी रोगियों में प्रतिरक्षात्मक स्मृति प्रतिक्रिया का आकलन करने के लिए 260 स्वास्थ्य कर्मियों पर एक अध्ययन किया, जिन्हें 16 जनवरी से 5 फरवरी के बीच टीका लगाया गया था. सभी मरीजों को कोविशील्ड वैक्सीन दी गई थी.

अध्ययन से दो महत्वपूर्ण अवलोकन सामने आए जिन्हें इंटरनेशनल जर्नल ऑफ इंफेक्शियस डिजीज पत्रिका में प्रकाशित किया गया है. पहले से संक्रमित समूह (जो लोग कोविड 19 से संक्रमित हो गए थे) ने उन लोगों की तुलना में टीके की एक खुराक के लिए अधिक एंटीबॉडी प्रतिक्रिया दिखाई, जिन्हें पहले कोई संक्रमण नहीं था.

संक्रमण के 3 से 6 महीने में ली गई डोज दूसरी डोज के बराबर- स्टडी

साथ ही यह भी पता चला कि टीके की एकल खुराक से प्राप्त मेमोरी टी सेल प्रतिक्रियाएं पहले से संक्रमित समूह में उन लोगों की तुलना में काफी अधिक थीं, जिन्हें कोई पूर्व संक्रमण नहीं था.

जिसके बाद यह निष्कर्ष निकाला गया कि उच्च स्मृति टी और बी सेल प्रतिक्रियाओं के अलावा उच्च एंटीबॉडी प्रतिक्रिया कोविड 19 से रिकवरी के बाद 3 से 6 महीने में दी गई वैक्सीन की एक खुराक के साथ पहले से ही संक्रमित व्यक्तियों के लिए टीके की दो खुराक के बराबर माना जा सकता है.

अध्ययन में सह लेखकों में से एक डॉ डी नागेश्वर रेड्डी, (अध्यक्ष, एआईजी अस्पताल) ने कहा कि परिणाम बताते हैं कि जो लोग कोविड 19 से संक्रमित हो गए हैं, उन्हें वैक्सीन की दो खुराक लेने की आवश्यकता नहीं है. एक खुराक से ही उन लोगों में दो खुराक के बराबर मजबूत एंटीबॉडी और मेमोरी सेल प्रतिक्रिया विकसित हो सकती है, जिन्हें संक्रमण नहीं हुआ है. इस अध्ययन से इस समय महत्वपूर्ण मदद मिलेगी, क्योंकि देश में टीके की कमी है और बचाई गई खुराक का उपयोग करके अधिक लोगों का टीका किया जा सकता है.

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दूसरी कोविड लहर के दौरान जब मामले तेजी से बढ़ रहे थे, तब टीकाकरण दर में गिरावट आई. 27 अप्रैल तक, जब सक्रिय संक्रमण की वृद्धि दर 5 प्रतिशत थी, तब टीका लगाने वालों की वृद्धि दर केवल 1.4 प्रतिशत थी.

उन्होंने कहा, "हमें वैज्ञानिक सबूतों के आधार पर टीकाकरण की रणनीति में बदलाव करने की जरूरत है और इस उद्देश्य से कि कम से कम समय में बड़ी आबादी को कवर किया जा सके."

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