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एग्जिट पोल्स के शोर में जरा इन सर्वे के नतीजों पर गौर कर लीजिए

सीएसडीएस और सी वोटर के सर्वे पर बाकी एग्जिट पोल्स के मुकाबले ज्यादा भरोसा किया जा सकता है

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चुनाव
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किस एग्जिट पोल पर भरोसा किया जाए और किस पर नहीं. सवाल थोड़ा मुश्किल है लेकिन भरोसे की एक पुख्ता कसौटी मौजूद है. जिस एग्जिट पोल को आप इस कसौटी पर कसना चाहते हैं क्या उसने राज्यों में अलग-अलग पार्टियों को मिलने वाली वोट हिस्सेदारी के आंकड़े दिए हैं? क्योंकि वोटिंग के इन्हीं आंकड़ों से यह कयास लगाया जाता है कि किसी पार्टी को कितनी सीटें मिलेंगी. राज्यों में पार्टियों के वोट शेयर के आंकड़े किसी भी एग्जिट पोल की बुनियाद होते हैं इसलिए सीटों का अनुमान लगाने में गलती की आशंकाएं कम रहती हैं.

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हाल के पोल्स में सिर्फ CVoter के एग्जिट पोल और Lokniti-CSDS के पोस्ट पोल सर्वे ने राज्यों के वोट शेयर के आंकड़े प्रमुखता से दिए हैं. लेकिन दूसरे एग्जिट पोल्स में राज्यों की वोटिंग फीसदी का आंकड़ा नहीं दिया गया है. इस नजरिये से देखें तो CVoter के एग्जिट पोल और Lokniti-CSDS के पोस्ट पोल सर्वे परऔरों की तुलना में ज्यादा भरोसा किया जा सकता है.

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एक नजर डालते हैं CSDS and CVoter की ओर से राज्यों के वोटिंग शेयर के दिए गए आंकड़ों पर . इन दोनों पोल्स में समानताएं और अंतर दोनों अहम हैं.

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अंतर

  • CSDS का अनुमान है कि एनडीए को इन राज्यों में ज्यादा वोट मिले हैं. एनडीए को असम ( दस पर्सेंटेज प्वाइंट), बिहार (छह पर्सेंटेज प्वाइंट), ओडिशा (12 पर्सेंटेज प्वाइंट), पश्चिम बंगाल (पांच पर्सेंटेज प्वाइंट) और महाराष्ट्र (दस पर्सेंटेज प्वाइंट) में ज्यादा वोट मिलने का अनुमान लगाया गया है.
  • CVoter ने एनडीए को मध्य प्रदेश (8 पर्सेंटेज प्वाइंट), राजस्थान (8 पर्सेंटेज प्वाइंट) और कर्नाटक (तीन पर्सेंटे प्वाइंट) में ज्यादा वोट मिलने का अनुमान लगाया है.
  • CSDS का सर्वे यह संकेत कर रहा है एनडीए को फायदा बीजू जनता दल और तृणमूल कांग्रेस की कीमत पर हो रहा है. कांग्रेस अपनी जमीन बचाए हुए है.
  • सी वोटर का आकलन है कि भले ही एनडीए को ओडिशा और पश्चिम बंगाल में फायदा हो रहा लेकिन क्षेत्रीय पार्टियां कांग्रेस की तुलना में एनडीए का ज्यादा अच्छे तरीके से मुकाबला कर रही हैं. मध्य प्रदेश , राजस्थान और कर्नाटक में कांग्रेस कमजोर साबित हुई है.
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समानता

  • यूपी में पार्टियों को मिल रहे वोट फीसदी के मामले में दोनों पोल्स के अनुमान एक जैसे हैं. दोनों ने यहां एनडीए को 44 और महागठबंधन को 41-42 फीसदी वोट मिलने का अनुमान लगाया है. इसका मतलब यहां एनडीए और महागठबंधन को लगभग बराबर सीटें मिलेंगी. क्योंकि बीजेपी शहरी सीटों को ज्यादा मार्जिन से जीत सकती है और जहां वह एसपी-बीएसपी और आरएलडी के हाथों हारेगी वहां हार का मार्जिन कम होगा. वोट हिस्सेदारी के आंकड़ों से यह भी लग रहा है कि एनडीए और महागठबंधन 2014 में जहां थे वहीं हैं. कोई बड़ा स्विंग नहीं है.
  • आंध्र, तमिलनाडु, केरल और तेलंगाना में मूड निर्णायक रूप से एनडीए के खिलाफ है. तमिलनाडु को छोड़ कर सभी राज्यों बीजेपी को नाकामी मिल सकती है. इन राज्यों में मोदी फैक्टर काम करता नहीं दिख रहा है.
  • दिल्ली में फिर सातों सीटें बीजेपी के खाते में जाती दिख रही हैं क्योंकि विपक्ष का वोट कांग्रेस और आम आदमी पार्टी में बराबर-बराबर बंट जाएगा. हालांकि दोनों पोल्स का अनुमान है कि कांग्रेस को आम आदमी पार्टी से ज्यादा वोट मिलेंगे.
  • दोनों पोल्स एनडीए को पश्चिम बंगाल में ओडिशा में फायदा होते दिखा रहे हैं. मध्य प्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक और गुजरात जैसे राज्यों जहां सीधा मुकाबला है वहां भी एनडीए की बढ़त दिख रही है. हिमाचल और उत्तराखंड में भी ऐसा ही हो सकता है.

इन आंकड़ों से साफ है कि कई राज्यों में एनडीए के खिलाफ खड़ी पार्टी या गठबंधन को ज्यादा वोट शेयर मिलते दिखाई दे रहा है. ऐसे में सवाल उठाया जा सकता है कि क्या एग्जिट पोल के आंकड़े सही कह रहे हैं क्योंकि ज्यादातर पोल्स में एनडीए को विरोधी पार्टियों या गठबंधन के मुकाबले में काफी ज्यादा सीटें दी गई हैं.

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