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केजरीवाल की जीत के पीछे प्रशांत किशोर की I-PAC ने कैसे किया काम?

I-PAC ने रिपोर्ट कार्ड जारी करने के बाद AAP को गारंटी कार्ड रिलीज करने की सलाह दी

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लोकसभा चुनाव 2019 में बुरी तरह हारने वाली आम आदमी पार्टी ने लगभग एक साल के भीतर ही दिल्ली विधानसभा चुनाव में प्रचंड जीत हासिल की. लोकसभा में आम आदमी पार्टी न सिर्फ सातों सीटें हारी थी, बल्कि उसे 15000 बूथ में से 400-500 बूथ जीतने में भी मुश्किल हुई थी. लेकिन एक साल के भीतर ही दिल्ली चुनाव में पार्टी ने 70 में 62 सीटें जीत लीं और बीजेपी सिंगल डिजिट सीट (8) ही हासिल कर सकी.

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आम आदमी पार्टी की लगातार तीसरी बार जीत का काफी श्रेय रणनीतिकार प्रशांत किशोर की कंपनी I-PAC को भी जाता है. I-PAC के डायरेक्टर और को-फाउंडर ऋषि राज सिंह ने चुनाव में आम आदमी पार्टी के लिए कैंपन चलाया.

'आप' के चुनाव अभियान में काम करने वाले एक सूत्र ने बताया, पार्टी ने पीएम मोदी और बीजेपी की आलोचना करने की बजाए अपना पूरा फोकस 'दिल्ली में पांच साल में किए गए काम' पर लगाया. चुनाव अभियान के दौरान पार्टी के नेताओं ने अपने कामों को अच्छे से जनता तक पहुंचाया.

I-PAC ने AAP को क्या सलाह दी

I-PAC की टीम ने दिल्ली की 70 विधानसभाओं में काम करना शुरू किया. टीम हर विधानसभा में घूम-घूमकर लोगों का फीडबैक लेती और उसी फीडबैक के आधार पर आम आदमी पार्टी के लिए नारे और पंच लाइन तैयार किया गया.

I-PAC के डायरेक्टर ऋषि राज सिंह ने बताया, आम आदमी पार्टी अपने काम की वजह से लोगों के बीच पहले ही काफी लोकप्रिय थी, इसलिए ये महसूस किया गया कि पार्टी नेताओं को लोगों के बीच जाकर अपने किए काम का और प्रचार करना चाहिए. इसके लिए तीन तरीके अपनाए गए...

  • पार्टी ने सबसे पहले 'AAP का रिपोर्ट कार्ड' जारी किया, जिसे मतदाताओं के दरवाजे तक पहुंचाया गया
  • टेलीविजन न्यूज नेटवर्क के साथ टाउन हॉल बैठकों की योजना बनाई गई
  • मोहल्ला सभाओं का आयोजन किया गया
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रिपोर्ट कार्ड के बाद पार्टी को गारंटी कार्ड रिलीज करने की सलाह दी गई और वोटरों के घर-घर तक पहुंचाया गया. इस गारंटी कार्ड को 'अच्छे बीते 5 साल लगे रहो केजरीवाल' कैंपन के साथ जारी किया गया.

शाहीन बाग फैक्टर

जब अरविंद केजरीवाल ने सकारात्मक तरीके से चुनाव प्रचार करने पर अपना ध्यान केंद्रित करने का फैसला किया, तब सीएए और एनआरसी मुद्दे पर उनकी चुप्पी को लेकर कई सवाल भी उठाए गए. बीजेपी के तमाम नेता उनकी आलोचना करते रहे. दिल्ली में पानी की गुणवत्ता, शिक्षा व्यवस्था, अनाधिकृत कालोनियों के मुद्दों पर भी हमले बोले गए.

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने सबसे पहले दिल्ली चुनाव में ‘शाहीन बाग प्रदर्शन’ का जिक्र करके ध्रुवीकरण राजनीति की शुरुआत की. इसके बाद, बीजेपी के कई नेताओं ने दावा किया कि शाहीन बाग प्रदर्शनकारियों को AAP और कांग्रेस का समर्थन है. केजरीवाल पर ये भी आरोप लगाया गया कि वो प्रदर्शनकारियों को ‘बिरयानी’ खिला रहे हैं. ऐसा लग रहा था कि बीजेपी जानबूझकर AAP को शाहीन बाग की बहस में घसीटना चाह रही थी.

AAP कैंपन पर बारीकी से काम करने वाले सूत्रों ने कहा, "सांसद से लेकर राज्यों के मुख्यमंत्रियों तक, बीजेपी के तमाम नेता दिल्ली के शाहीन बाग के मुद्दे पर बात कर रहे थे. लेकिन क्योंकि दिल्ली मीडिया का केंद्र है, ऐसे में शाहीन बाग को पूरी चुनावी बहस में जरूरत से ज्यादा लाइमलाइट में लाया जा रहा था. लेकिन असल में दिल्ली के लोगों की जरूरत बिजली और पानी था."

यहां तक कि बीजेपी के पश्चिमी दिल्ली के सांसद प्रवेश वर्मा ने अरविंद केजरीवाल को "आतंकवादी" तक कह दिया. इसके बाद रणनीति में थोड़ा बदलाव किया गया. केजरीवाल पर इस हमले के बाद I-PAC ने पार्टी को हर विधानसभा क्षेत्र में 'साइलेंट प्रोटेस्ट' करने की सलाह दी.

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