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आचार संहिता मामले में PM मोदी ने लगाया क्लीनचिट का ‘पंच’

अब बाड़मेर भाषण मामले में चुनाव आयोग ने पीएम नरेंद्र मोदी को क्लीनचिट दे दी है.

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नांदेड़ भाषण मामले में भी चुनाव आयोग ने पीएम नरेंद्र मोदी को क्लीनचिट दे दी है. 21 अप्रैल को पीएम मोदी ने नांदेड़ रैली में राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए वर्धा में दिए गए भाषण की ही तरह फिर से वायनाड का जिक्र किया था. इससे पहले पीएम को लातूर, वर्धा और बाड़मेर में दिए गए भाषण पर भी चुनाव आयोग से क्लीनचिट मिल चुकी है.

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साथ ही पीएम मोदी को 25 अप्रैल को बनारस में दिए गए भाषण और 26 अप्रैल को एक न्यूज चैनल पर दिए गए पर दिए गए बयान मामले में भी शुक्रवार को क्लीनचिट मिल गई. इस मामले की शिकायत कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने की थी.

कांग्रेस ने की थी 5 मामलों की शिकायत

कांग्रेस ने चुनाव आयोग से पीएम मोदी के 5 भाषणों की शिकायत की थी. इनमें वर्धा (1 अप्रैल), नांदेड़ (6 अप्रैल), लातूर (9 अप्रैल), पाटन (21 अप्रैल) और बाड़मेर (21 अप्रैल) में दिए गए भाषण शामिल थे. पार्टी का आरोप था कि पीएम मोदी ने इन भाषणों में चुनाव आयोग के निर्देशों और आचार संहिता का उल्लंघन किया था.

क्लीन चिट देते वक्त 2 मामलों में एकमत नहीं था EC

इन 5 शिकायतों में से चुनाव आयोग ने 4 का निपटारा कर दिया है. सभी में पीएम मोदी को क्लीनचिट मिली है. हालांकि इनमें से दो मामले ऐसे थे, जहां चुनाव आयोग के अंदर फैसले को लेकर राय बंटी हुई थी.

अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, इन दोनों मामलों में एक इलेक्शन कमिश्नर की राय चुनाव आयोग के आखिरी फैसले से अलग थी. इन मामलों में फैसला लेने की जिम्मेदारी चीफ इलेक्शन कमिश्नर सुनील अरोड़ा सहित दो इलेक्शन कमिश्नरों अशोक लवासा और सुशील चंद्र के पास थी.

बता दें कि ऐसे कम ही मामले सामने आए हैं, जब किसी फैसले को लेकर चुनाव आयोग में बंटी हुई राय देखने को मिली हो. साल 2009 में तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से जुड़े ऐसे ही एक मामले में चुनाव आयोग बंटा दिखा था. उस दौरान आयोग ने इस बात का फैसला करने के लिए अपनी बंटी हुई राय राष्ट्रपति को भेजी थी कि क्या सोनिया गांधी की संसद की सदस्यता इस आधार पर रद्द कर दी जाए कि उन्होंने एक विदेशी अवॉर्ड लिया.

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