बिहार में विपक्षी दलों के 'महागठबंधन' में सीट बंटवारे का ऐलान होते ही कन्हैया कुमार सुर्खियों में आ गए हैं. दरअसल, सीट बंटवारे में सीपीआई या जेएनयू के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार का कोई जिक्र ही नहीं है. आरजेडी सूत्रों के मुताबिक भी कन्हैया या सीपीआई से बात नहीं बनी है. मतलब साफ है कि तेजस्वी यादव ने कन्हैया कुमार को साथ नहीं रखने का फैसला किया है.
महागठबंधन में एक लोकसभा सीट सीपीआई (एमएल) के खाते में आई है, पार्टी के उम्मीदवार आरा लोकसभा सीट पर आरजेडी के सिंबल के साथ चुनाव लड़ेंगे.
सीपीआई ने पहले ही कर दिया था ऐलान
सीपीआई ने बेगूसराय से पहले ही कन्हैया के नाम का ऐलान कर दिया था. क्विंट से बातचीत में कन्हैया के एक करीबी ने कहा है कि आरजेडी से बात तो नहीं बनी, लेकिन वो बेगुसराय से ही चुनाव लड़ेंगे, जिसके लिए तैयारी शुरू है.
दिल्ली में हुई बैठक में सीपीआई को निमंत्रण नहीं
इससे पहले दिल्ली में महागठबंधन के नेताओं की एक बैठक हुई थी. जिसमें वामपंथी दलों को नहीं बुलाया गया था. ऐसे में ये कयास लगाया जाने लगा था कि महागठबंधन में सम्मानजनक सीटें न मिलने पर वामपंथी दल 'तीसरे मोर्चे' की भूमिका में नजर आ सकता है. उस वक्त सीपीआई के राज्य सचिव सत्यनारायण का कहना था,
बेगूसराय से कन्हैया कुमार को चुनाव लड़ाने की तैयारी चल रही है. इसमें कोई फेरबदल नहीं हो सकता. सभी जानते हैं कि वामपंथी दलों के बिना बीजेपी को हराना मुश्किल है.
अब सीटों का बंटवारा हो जाने के बाद तकरीबन साफ हो गया है कि सीपीआई को लोकसभा चुनाव में बिहार में अकेले दमपर उतरना होगा. 24 मार्च को सीपीआई की बैठक है, जिसका बाद कन्हैया की उम्मीदवारी का आधिकारिक ऐलान हो सकता है.
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