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J&K में ज्यादा-UP में कम वोट,आंध्र में हिंसा-पहली वोटिंग का निचोड़

लोकसभा चुनाव 2019 के लिए पहले फेज की वोटिंग के मायने

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लोकसभा चुनाव 2019 के लिए पहले फेज में 91 सीटों के लिए वोटिंग हो गई. करीब 14 करोड़  मतदाताओं ने 1279 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला कर दिया. पहले फेज की वोटिंग कैसी रही, कितनी रही, क्या दिक्कत हुई और इन सबका मतलब क्या है? इन सबपर आने से पहले आपको ये बता दूं कि गुरुवार को वोटिंग की खबरों में से चार चीजें गौर करने लायक दिखीं.

  • जम्मू-कश्मीर में अच्छी वोटिंग
  • पश्चिमी यूपी में कम वोटिंग
  • आंध्र प्रदेश में चुनावी हिंसा
  • बूथ पर बेहाल वोटर
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सबसे पहले बात करते हैं अच्छी वोटिंग की. पहले फेज में जम्मू-कश्मीर में दो सीटों पर मतदान था. बारामूला और जम्मू. 2014 के चुनावों में जम्मू-कश्मीर में 49 फीसदी वोट पड़े थे. चुनाव आयोग के मुताबिक इस बार दो सीटों को मिलाकर 54.49 % वोटिंग हुई. जाहिर तौर पर इसमें जम्मू का योगदान ज्यादा रहा होगा. बावजूद इसके अगर इन दो सीटों के संकेत को पूरे राज्य का संदेश मानें अच्छे संकेत है. अच्छी वोटिंग को आप चार बैकग्राउंड्स को सामने रखकर समझिए

  1. घाटी में अलगाववादियों द्वारा मतदान बहिष्कार और बंद की अपील
  2. राज्य से आर्टिकल 370 और 35A हटाने का बीजेपी का चुनावी वादा
  3. पुलवामा के बाद देश के कई हिस्सों में कश्मीरियों के साथ हिंसा
  4. आतंकवादियों का खतरा

इन खतरों और सौतेले बर्ताव के बाद भी दो सीटों पर जमकर वोटिंग करके राज्य की जनता ने जता दिया है कि वो बटने नहीं, जुड़ने में भरोसा रखते हैं. एक तरफ तो उन्होंने अलगाववादियों को करारा जवाब दिया है और दूसरी तरफ उन तमाम लोगों को भी मैसेज दिया है जो राज्य में माहौल खराब कर बाकी देश में सियासी फायदा उठाना चाहते हैं. ये जम्मू-कश्मीर से बाकी देश की जनता को भी संदेश है कि हमें अलग न मानो.

कहां कितना मतदान

  • अंडमान-निकोबार - 71 %
  • उत्तर प्रदेश (8 सीट) - 64 %
  • छत्तीसगढ़ (1)- 56 %
  • आंध्रप्रदेश - 66 %
  • तेलंगाना - 60 %
  • उत्तराखंड - 58 %
  • जम्मू-कश्मीर (2 सीट)- 54%
  • पश्चिम बंगाल (2 सीट)- 81 %
  • सिक्किम ( 1 सीट) - 69 %
  • मिजोरम (1 सीट) - 60 %
  • नगालैंड (1 सीट) - 78 %
  • मणिपुर (1 सीट) - 78%
  • त्रिपुरा (1 सीट) - 82 %
  • असम (5 सीट) - 68 %
  • पश्चिम बंगाल (2 सीट) - 81 %

पश्चिमी यूपी में कम वोटिंग के मायने

2014 के आम चुनावों में वेस्टर्न यूपी में 66.5 फीसदी वोट पड़े थे. इस बार 63.6 फीसदी मतदान हुआ. ये वही इलाका जहां अखलाक को कथित बीफ रखने के आरोप में मार डाला गया. ये वही इलाका है जहां धार्मिक आधार पर वोटर को बांटने की बड़ी कोशिशें हुईं. तो क्या कम वोटिंग को इन साजिशों, तिकड़मों का नतीजा माना जाए? बंपर वोटिंग को आम तौर पर सत्तारूढ़ पार्टी के खिलाफ जनादेश माना जाता है. ऐसे में क्या ये माना जाए कि योगी सरकार से पश्चिमी यूपी के लोगों को उतनी शिकायत नहीं है?

पश्चिमी यूपी

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आंध्र में चुनावी हिंसा

गुरुवार को आंध्र प्रदेश की 175 विधानसभा सीटों और 25 लोकसभा सीटों के लिए मतदान हुआ. लेकिन सुर्खियों में छाई रहीं हिंसा की खबरें.कई जगह से TDP और YRSCP के कार्यकर्ताओं के बीच झड़प की खबरें आईं. अनंतपुर में दोनों पार्टियों के एक-एक लोकल लीडर की हत्या हो गई. रायलसीमा से तो खबर आई कि दोनों पार्टियों के समर्थकों ने एक बूथ को कैप्चर कर लिया और वोटों को 80:20 के हिसाब से बांट लिया. ये हिंसा इस ओर इशारा करती है कि राज्य में TDP और YRSCP के बीच मुकाबला खूनी हो चला है. राज्य में इन्हीं दोनों पार्टियों के बीच लड़ाई है. टक्कर कांटे की है. ऐसे में आने वाले समय में और  हिंसा की आशंका बनी हुई है.

खराब EVM, वोटर लिस्ट में डिफेक्ट

पहले चरण की वोटिंग के दौरान EVM में खराबी की ढेर सारी शिकायतें आईं. सबसे बड़ी समस्या आंध्र प्रदेश में हुई. मतदान 8 बजे शुरू हुआ था लेकिन सुबह 9.30 बजे के बाद तक मतदाताओं को इंतजार करना पड़ा. राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी के मुताबिक सिर्फ 362 EVM में खराबी पाई गईं लेकिन डक्कन क्रॉनिकल के मुताबिक राज्य में 30% EMV में खराबी थी. मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने तो चुनाव आयोग को एक चिट्ठी लिखकर प्रभावित इलाकों में फिर से मतदान कराने की मांग की है. उधर जम्मू-कश्मीर से नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता उमर अब्दुल्ला ने शिकायत की कि मशीनों में कांग्रेस का बटन दब ही नहीं रहा. हालांकि बाद में चुनाव आयोग ने साफ किया कि गड़बड़ी एक मशीन में थी, जिसे ठीक कर दिया. चुनाव आयोग ने ये भी बताया कि एक मशीन पर बीजेपी का बटन भी नहीं दब रहा था. उसे भी ठीक किया गया.

आम से खास तक परेशान वोटर

मारुति के चेयरमैन आरसी भार्गव और अपोलो हॉस्पिटल्स की वाइस चेयरपर्सन तक के नाम वोटर लिस्ट से गायब मिले और ये लोग वोट नहीं दे पाए. जिस बूथ पर महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फड़णवीस वोट देने गए, वहां VVPAT मशीन खराब हो गई. सिर्फ मुंबई से ही कांग्रेस ने चुनाव आयोग को खराब मशीनों की 39 शिकायतें भेजीं.

कुल मिलाकर ऐसा लगा कि पहले फेज की वोटिंग में वोटर ने तो अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभाई लेकिन शायद चुनाव आयोग की तरफ से कुछ कमी रह गई. वैसे 90 करोड़ वोटर्स के लिए 100% पुख्ता इंतजाम करना बहुत बड़ा काम है. ये भी हो सकता है कि इतनी गड़बड़ियां पहले भी होती रही होंगी लेकिन अब हर हाथ में मोबाइल और सबके पास सोशल मीडिया पर अपनी शिकायत शेयर करने का मौका है तो ज्यादा गड़बड़ियां सामने आ रही हैं. अब देखें चुनाव आयोग 18 अप्रैल को अगली चुनौती का सामना किस तरह करता है, जब 97 सीटों पर वोट पड़ने हैं.

अंत में अच्छी बातें

आंध्र में हिंसा को छोड़ दें तो आम तौर पर मतदान शांतिपूर्ण रहा. नक्सल प्रभावित छत्तीसगढ़ में कोई बड़ी घटना नहीं हुई. महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में नक्सलियों ने गड़बड़ी फैलाने की कोशिश की लेकिन हमारे जांबाज प्रहरियों ने इसे नाकाम कर दिया. बिहार और पश्चिम बंगाल में भी शांति बनी रही. इन सबका श्रेय हमें चुनाव आयोग और सुरक्षा में लगे जवानों को देना चाहिए. ये इस बात का भी सबूत है कि बिहार और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में कई चरणों में चुनाव कराने का चुनाव आयोग का फैसला सही है.

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