लोकतंत्र के महापर्व यानी लोकसभा चुनाव में पहले फेज की वोटिंग खत्म हो गई है, लेकिन वोटिंग के दौरान कई तरह की खामियां दिनभर सुर्खियों में रहीं.
- न मिटने वाली चुनावी स्याही पर जमकर उठे सवाल
- EVM में गड़बड़ी का डर नहीं मिट सका
- वोटर लिस्ट में कई के नाम नहीं
- बुजुर्गों-विकलांगों के लिए सुविधाओं में खामियां
न मिटने वाली चुनावी स्याही पर जमकर उठे सवाल
सबसे पहले बात करते हैं चुनावी स्याही की, जिसे वोटिंग में फर्जीवाड़े को रोकने का सबसे बड़ा कदम बताया जाता है. पहले फेज की वोटिंग के बाद कई वोटर के होश उड़े तब नजर आए 'जब न मिटने वाली चुनावी स्याही' ही मिट गई. उदाहरण के तौर पर, पत्रकार समीक्षा खरे का कहना है, उनकी उंगली पूरी तरह से स्याही में डूबी थी, तो उन्होंने उसे थोड़ा साफ करने का फैसला किया और वो तुरंत साफ भी हो गया.
समीक्षा नोएडा की वोटर हैं, क्विंट में बतौर सीनियर कॉरस्पॉन्डेंट काम करती हैं. समीक्षा की खबर देखने के बाद क्विंट की सीईओ और को-फाउंडर ने खुद इस खबर की पुष्टि करने की सोची. रितु कपूर ने नोएडा के सेक्टर-41 बूथ में वोट करने के बाद उसे अल्कोहल-बेस्ड सॉल्यूशन से साफ करके देखा और स्याही साफ भी हो गई.
इसके बाद क्विंट की My Report टीम को एक के बाद एक कई ऐसे मेल मिले, जिसमें ऐसी ही खबरें बताई गई थीं. नोएडा के ही श्रेयस कुलश्रेष्ठ, स्मृति सिंह, अर्शिया ने भी ऐसी ही दिक्कतें बताईं.
वहीं यूपी के मुख्य निर्वाचन अधिकारी के ऑफिशियल अकाउंट से ट्वीट कर इन सभी खबरों को निराधार बताया गया है.
सोशल मीडिया पर अमिट स्याही को छुड़ाए जाने का मामला प्रकाश में आया है जो कि निराधार है. वोट डालते समय आयोग द्वारा अनुमन्य पहचान पत्रों के साथ वोटर के पहचान की पुष्टि एवं हस्ताक्षर/अंगूठे का निशान प्राप्त कर व तर्जनी उंगली पर अमिट स्याही लगाने के बाद ही वोट डाला जा सकता है.
EVM में गड़बड़ी का डर नहीं मिट सका
महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश समेत देश के कई राज्यों से EVM मशीनों में गड़बड़ी की दिक्कतें सामने आईं. आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने तो ऐसे बूथ पर फिर से वोटिंग कराने की मांग की है. नायडू ने इस बारे में चुनाव आयोग को एक चिट्ठी भी लिखी है. महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस जिस बूथ पर वोट डालने गए वहां VVPAT मशीन खराब हो गई, जिसके कारण मतदान रोकना पड़ा. कांग्रेस ने मुंबई से EVM में गड़बड़ी की 39 शिकायतें भेजीं.
वोटर लिस्ट में कई के नाम नहीं
एक बड़ी समस्या ये भी देखने को मिली कि कई लोगों के नाम ही वोटर लिस्ट से गायब थे. मारुति चेयरमैन आरसी भार्गव और अपोलो हॉस्पिटल्स की वाइस चेयरपर्सन तक के नाम वोटर लिस्ट से गायब मिले और ये लोग वोट नहीं दे पाए.
चुनाव आयोग ने अपोलो हॉस्पिटल्स की वाइस चेयरपर्सन और CII की पूर्व प्रमुख शोभना कामिनेनी से माफी मांगी है. दरअसल गुरुवार को सिकंदराबाद में शोभना जब वोट देने गईं तो उनका नाम वोटर लिस्ट में मिला ही नहीं.
बुजुर्गों-विकलांगों के लिए सुविधाओं में खामियां
इतना ही नहीं, पोलिंग बूथ पर दिव्यांग लोगों के लिए ठीक तरह से इंतजाम भी नहीं किए गए. वरिष्ठ पत्रकारों ने क्विंट को बताया कि कई जगहों पर वृद्ध लोगों और दिव्यांगों के लिए रैंप नहीं बने थे. विवेक चतुर्वेदी ने बताया कि उत्तर प्रदेश के नोएडा के सेक्टर-44 में पोलिंग बूथ पर रैंप नहीं बना हुआ था. उनके 88 वर्षीय पिता को घुटनों की रिप्लेसमेंट सर्जरी के कारण सीढ़ियां चढ़ने में दिक्कत होती है. उन्होंने पूछा कि दिव्यांगों और वृद्धों के लिए कोई इंतजाम क्यों नहीं थे?
हैदराबाद से पत्रकार साद ने बताया कि तेलंगाना में दो चुनावों के बावजूद वरिष्ठ लोगों के लिए कोई रैंप नहीं बनाया गया था.
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