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लोकसभा चुनाव 2019ः ये हैं आखिरी चरण के 10 बड़े चेहरे

आखिरी चरण में होगा 918 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला

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चुनाव
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लोकसभा चुनाव 2019 के सातवें और आखिरी चरण में 19 मई को आठ राज्यों की 59 संसदीय सीटों पर वोटिंग होगी. इसमें सात राज्यों और एक केंद्रशासित राज्य के करीब 10.17 करोड़ वोटर 918 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला करेंगे.

19 मई, रविवार को जिन राज्यों में मतदाना होना हैं, उनमें पंजाब(13), उत्तरप्रदेश (13), पश्चिम बंगाल(9), बिहार (8), मध्यप्रदेश (8), हिमाचल प्रदेश (4), झारखंड (4), चंडीगढ़ (1)शामिल हैं. बीजेपी ने साल 2014 में इस आखिरी चरण की 59 सीटों में से 30 पर जीत हासिल की थी.

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आखिरी चरण के बड़े चेहरे

लोकसभा चुनाव के अंतिम चरण की महत्वपूर्ण सीटों का ब्योरा इस प्रकार है.

1. वाराणसी(उत्तर प्रदेश)

महत्वपूर्ण उम्मीदवार: नरेंद्र मोदी(बीजेपी), अजय राय (कांग्रेस), शालिनी यादव(समाजवादी पार्टी)
मुख्य फैक्टर और मुद्दे: मोदी न सिर्फ वाराणसी में बल्कि पूरे देश में अपने विकास के एजेंडे पर निर्भर हैं. बीजेपी यहां से उनके लिए बड़े अंतर से जीत सुनिश्चित करने का कोई मौका नहीं छोड़ रही है.

आखिरी चरण में होगा 918 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला
एसपी उम्मीदवार शालिनी यादव, बीजेपी उम्मीदवार नरेंद्र मोदी, कांग्रेस उम्मीदवार अजय राय
(फोटोः Altered By Quint Hindi)

राजनीतिक पंडितों का कहना है कि लोग कुछ सवाल उठा सकते हैं, लेकिन वास्तव में वाराणसी में कोई मुकाबला नहीं है. मोदी ने अपने नामांकन के दिन यहां एक रोडशो किया था.

वहीं कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने भी अपने उम्मीदवार अजय राय के समर्थन में रोडशो किया था और बहुज समाज पार्टी प्रमुख मायावती और समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने शालिनी यादव के समर्थन में एक संयुक्त रैली आयोजित की थी.

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2. गोरखपुर (उत्तर प्रदेश)

महत्वपूर्ण उम्मीदवार : रवि किशन (बीजेपी), रामभुआल निषाद (एसपी), मधुसूदन त्रिपाठी (कांग्रेस)

मुख्य फैक्टर और मुद्दे : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मजबूत गढ़ माने जाने वाले इस क्षेत्र से बीजेपी की तरफ से भोजपुरी एक्टर रविकिशन चुनाव लड़ रहे हैं. यहां मुख्य मुकाबला रविकिशन और गठबंधन के प्रत्याशी रामभुआल निषाद के बीच माना जा रहा है.

आखिरी चरण में होगा 918 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला
बीजेपी उम्मीदवार रविकिशन, एसपी उम्मीदवार रामभुआल निषाद, कांग्रेस उम्मीदवार मधुसूदन त्रिपाठी
(फोटोः Altered By Quint Hindi)

यह ऐसी सीट है जिसे बीजेपी समाजवादी पार्टी से छीनना चाहेगी. यहां पार्टी को 2018 उपचुनाव में महागठबंधन के हाथों हार का सामना करना पड़ा था, जिसे प्रदेश में बीजेपी विरोधी मोर्चे का प्रयोगात्मक शुरुआत माना गया था.

बीजेपी को झटका देने वाले मौजूदा सांसद प्रवीण निषाद ने अब बीजेपी का ही दामन थाम लिया है.

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3. गाजीपुर (उत्तर प्रदेश)

मुख्य उम्मीदवार : मनोज सिन्हा(बीजेपी), अफजाल अंसारी (बीएसपी)

मुख्य फैक्टर और मुद्दे : सिन्हा अपने विकास कार्यों और प्रधानमंत्री मोदी की छवि पर निर्भर हैं तो अंसारी एसपी-बीएसपी के सामाजिक संयोजन की वजह से मजबूत दिख रहे हैं. अंसारी जेल में बंद बाहुबली मुख्तार अंसारी के भाई हैं, जिन्हें अभी भी अच्छा स्थानीय समर्थन हासिल है.

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बीजेपी उम्मीदवार मनोज सिन्हा और गठबंधन उम्मीदवार अफजाल अंसारी
(फोटोः Altered By Quint Hindi)

4. मिर्जापुर(उत्तर प्रदेश)

मुख्य उम्मीदवार : अनुप्रिया पटेल(अपना दल), ललितेश त्रिपाठी(कांग्रेस), राजेंद्र बिंद (एसपी)

मुख्य फैक्टर और मुद्दे : यहां के 1,405,539 मतदाताओं में से कुर्मी समुदाय की अच्छी खासी संख्या है, जिससे अनुप्रिया पटेल आती हैं. हालांकि, अपना दल के एक अलग गुट ने कांग्रेस को अपना समर्थन दिया है, इस गुट की अगुवाई पटेल की मां करती हैं. कांग्रेस को सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (एसबीएसपी) का भी समर्थन हासिल है, जिसकी अगुवाई पूर्व मंत्री ओमप्रकाश राजभर करते हैं.

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5. पटना साहिब (बिहार)

मुख्य उम्मीदवार : रविशंकर प्रसाद(बीजेपी), शत्रुघ्न सिन्हा(कांग्रेस)

मुख्य फैक्टर और मुद्दे : सिन्हा ने बीजेपी के टिकट पर इस सीट पर जीत दर्ज की थी, लेकिन इस बार वह कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर लड़ रहे हैं. यहां पर कायस्थ समुदाय का वोट निर्णायक होगा. सिन्हा जहां खुद की लोकप्रियता और आरजेडी के समर्थन पर निर्भर हैं, वहीं प्रसाद पूरी तरह से शहर के साथ अपने लंबे संपर्क और मोदी सरकार की उपलब्धियों पर निर्भर हैं.

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कांग्रेस उम्मीदवार शत्रुघ्न सिन्हा और बीजेपी उम्मीदवार रविशंकर प्रसाद
(फोटोः Altered By Quint)

6. आरा(बिहार)

मुख्य उम्मीदवार : राजकुमार सिंह (बीजेपी), राजू यादव(सीपीआई-माले)

मुख्य फैक्टर और मुद्दे : आरा एकमात्र सीट है जिसके लिए लालू प्रसाद की अगुवाई वाली आरजेडी ने सीपीआई-माले के लिए सीट छोड़ा था. राजू यादव का यहां सीधा सामना बीजेपी के उम्मीदवार और मौजूदा सांसद राजकुमार सिंह से है, पूर्व केंद्रीय गृह सचिव ऊर्जा क्षेत्र में अपने विकास कार्य और मोदी की छवि पर निर्भर हैं.

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7. बक्सर (बिहार)

मुख्य उम्मीदवार : अश्विनी कुमार चौबे(बीजेपी), जगदानंद सिंह (आरजेडी)

मुख्य फैक्टर और मुद्दे : मोदी सरकार में राज्य मंत्री होने के बावजूद चौबे पूरी तरह से मोदी की छवि पर निर्भर हैं. स्थानीय लोग उनके प्रदर्शन से नाखुश हैं, लेकिन बालाकोट हवाई हमले के बाद वह अपनी नैया पार लगने की उम्मीद लगाए बैठे हैं.

आखिरी चरण में होगा 918 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला
बक्सर सीट से बीजेपी उम्मीदवार अश्विनी चौबे
(फोटोः PTI)

ब्राह्मण बहुल सीट पर राजपूत वोट एक महत्वपूर्ण कारक है. अगर जगदानंद सिंह को राजपूत वोटों का 30 प्रतिशत वोट भी मिल जाता है तो चौबे मुश्किल में पर जाएंगे. यादव और मुस्लिम सिंह के पीछे खड़े हैं.

8. पाटिलपुत्र (बिहार)

मुख्य उम्मीदवार : रामकृपाल यादव (बीजेपी), मीसा भारती (आरजेडी)

मुख्य फैक्टर और मुद्दे : आरजेडी प्रमुख और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद के पूर्व सहयोगी राम कृपाल यादव मोदी की अपील और विकास कार्यों पर निर्भर हैं. लालू प्रसाद की बेटी अपने पिता के लिए लोगों की सहानुभूति पाने की उम्मीद कर रही है.

आखिरी चरण में होगा 918 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला
आरजेडी उम्मीदवार मीसा भारती
(फोटोः @RJD)
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9. गुरदासपुर (पंजाब)

मुख्य उम्मीदवार : सनी देओल(बीजेपी), सुनील जाखड़(कांग्रेस)

मुख्य फैक्टर और मुद्दे : बीजेपी ने राष्ट्रीय सुरक्षा को अपना चुनावी मुद्दा बनाया है और सनी देओल भी देशभक्ति फिल्मों के लिए मशहूर हैं. वह अपने फिल्मों के दृश्यों को रिक्रिएट कर और अपने मशहूर संवाद 'ढाई किलो का हाथ' और 'हिंदुस्तान जिंदाबाद है, जिंदाबाद रहेगा' से लोगों को लुभा रहे हैं.

आखिरी चरण में होगा 918 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला
गुरदासपुर सीट से बीजेपी उम्मीदवार सनी देओल
(फोटोः PTI)

मौजूदा सांसद जाखड़ कांग्रेस के दिग्गज बलराम जाखड़ के बेटे हैं और वह विकास कार्यों के सहारे उन्हें अपनी नैया पार लगने की उम्मीद है.

10. अमृतसर(पंजाब)

मुख्य उम्मीदवार : हरदीप सिंह पुरी (बीजेपी), गुरजीत सिंह औजला(कांग्रेस)

मुख्य फैक्टर और मुद्दे : कैप्टन अमरिंदर सिंह, जिन्होंने 2014 में बीजेपी के अरुण जेटली को हराया था, वह इस बार पुरी को हराने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं. वहीं पुरी 1984 सिख-विरोधी दंगे के संबंध में सैम पित्रोदा के 'हुआ तो हुआ' बयान पर कांग्रेस पर जमकर निशाना साध रहे हैं.

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