सीपीआई (कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया) ने बेगूसराय से कन्हैया कुमार को चुनाव लड़ाने का ऐलान किया है. सीपीआई ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में घोषणा की, कि जिन सीटों पर सीपीआई चुनाव नहीं लड़ेगी, उन पर वे महागठबंधन को सपोर्ट करेंगे. इस बात का फैसला राज्य कार्यकारिणी की मीटिंग में लिया गया.
बता दें महागठबंधन ने सीपीआई को शामिल करने से इंकार कर दिया है. जबकि एक दूसरी वामपंथी पार्टी सीपीआई (एमएल) लिबरेशन को उन्होंने गठबंधन में शामिल कर लिया है. सीपीआई (एमएल) लिबरेशन को आरजेडी कोटे से एक सीट मिली है. बता दें बेगूसराय से आरजेडी की तरफ से तनवीर हसन और बीजेपी से गिरिराज सिंह मैदान में हैं.
इससे पहले सीपीआई नेता सुधाकर रेड्डी ने भी कन्हैया की टिकट के बारे में घोषणा की थी. इस मौके पर कन्हैया ने कहा,
गोलबंदी को बनाने के लिए राजनीतिक रैलियों में प्रयास किया गया. कांग्रेस, आरजेडी ने हमारा समर्थन किया था. इसलिए हम चुनाव लड़ने के बावजूद,बीजेपी विरोधी वोटों का बंटवारा नहीं करेंगे. पूरे देश में हम ऐसी कोशिश करेंगे. जहां पर जीत की संभावना प्रबल होगी. वहां पार्टी विचार करेगी. इसके अलावा हम बाकी पर महागठबंधन का सपोर्ट करेंगे. हमारी लड़ाई आज बीजेपी से है.कन्हैया कुमार
पार्टी ने बेगूसराय सीट से लड़ने का फैसला लिया है. कट्टरवादी सोच के खिलाफ युवा जोश मैदान में हो, ऐसा पार्टी ने सोचा है. गिरिराज सिंह इसके प्रतिनिधि हैं.कन्हैया कुमार
गिरिराज सिंह को सीधी टक्कर
छात्र राजनीति से आए कन्हैया कुमार का सामना बीजेपी नेता गिरिराज सिंह से होगा. बीजेपी ने बेगूसराय से गिरिराज सिंह को मैदान में उतारा है. वहीं आरजेडी के तनवीर हसन इस सीट से चुनाव लड़ेंगे. इस सबके बाद अब यह एक हॉट सीट बन चुकी है. लेकिन यह देखना दिलचस्प होगा कि जातिगत समीकरण आखिर किसके पाले में जाते हैं. कन्हैया और गिरिराज दोनों ही भूमिहार जाति से आते हैं. इसीलिए उन्हें बेगूसराय से उम्मीदवार बनाया गया है.
गिरिराज सिंह को बेगूसराय से टिकट मिलने के बाद वो काफी नाराज दिखे थे, उन्होंने पार्टी से सवाल किया था कि उनकी सीट क्यों बदल दी गई. गिरिराज सिंह को बीजेपी ने नवादा की बजाय बेगूसराय से उम्मीदवार बनाया, बताया गया कि जातीय समीकरण को देखते हुए ऐसा किया गया
महागठबंधन से नहीं मिला टिकट
कन्हैया कुमार को चुनावी मैदान में उतारने को लेकर महागठबंधन में भी मंथन हुआ था, लेकिन बात नहीं बन पाई. जिसके बाद सीपीआई ने उन्हें टिकट देने का फैसला लिया. बता दें कि बेगूसराय को सीपीआई का गढ़ माना जाता रहा है. इसीलिए कन्हैया के इस सीट पर उतरने के कई मायने निकाले जा रहे हैं. बीजेपी और आरजेडी के लिए कन्हैय्या एक कड़ी चुनौती बन सकते हैं.
हालांकि अखिलेश यादव ने तनवीर हसन को इस सीट के लिए चुना है. हसन वही उम्मीदवार हैं जो मोदी लहर में भी काफी कम मार्जिन से चुनाव हारे थे. इलाके में उनकी अच्छी पकड़ बताई जाती है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)