वाराणसी से नामांकन रद्द होने के बाद बीएसएफ के बर्खास्त सिपाही तेज बहादुर ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. तेज बहादुर ने 29 अप्रैल को बतौर समाजवादी पार्टी उम्मीदवार नामांकन भरा था, जांच के बाद चुनाव आयोग ने उनका नामांकन रद्द कर दिया था.
तेज बहादुर यादव के नामांकन पत्र की जांच के बाद पता चला कि जो दो बार उन्होंने पर्चे दाखिल किए, उसमें बीएसएफ से बर्खास्तगी को लेकर दो अलग-अलग जानकारी दी गई. इसके बाद उन्हें 24 घंटे के अंदर बीएसएफ से एनओसी लेकर आने के लिए कहा गया, जिसमें उनको बर्खास्त करने की वजह साफ बताई गई हो.
सर्टिफिकेट नहीं फॉर्मेट का फेर!
तेज बहादुर ने पहले नामांकन में गलती से बता दिया था कि उन्हें भ्रष्टाचार के कारण बर्खास्त किया गया था. दूसरे नामांकन में उन्होंने पहले की गई गलती की सूचना दी और भूल सुधार भी किया. लेकिन उनसे सर्टिफिकेट मांगा गया. तेज बहादुर ने फिर आयोग को सूचित किया कि उनके वकील ने आयोग से मुलाकात की है और सबूत में कागजात भी दिए, लेकिन स्थानीय चुनाव अधिकारी ने उनसे तय फॉर्मेट में सर्टिफिकेट मांगा. वक्त पर ये कागज नहीं मिला तो नामांकन रद्द कर दिया गया.
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चुनाव आयोग ने तेज का नामांकन इसलिए रद्द कर किया क्योंकि वो 1 मई को सुबह 11 बजे तक सर्टिफिकेट पेश नहीं कर पाए. मतलब कह सकते हैं कि उनसे सिर्फ तकनीकी चूक हुई है. विडंबना देखिए कि चुनाव आयोग ने तेज को सर्टिफिकेट लाने के लिए जो नोटिस दिया उसमें खुद बड़ी तकनीकी गलती थी. नोटिस में लिखा है कि तेज बहादुर को 1 मई, 2109 की सुबह 11 बजे तक सर्टिफिकेट पेश करना है. यानी तेज बहादुर के पास अभी 90 साल का वक्त है.
तेज बहादुर ने नामांकन रद्द होने को साजिश बताया था. उन्होंने कहा था कि मोदी जी किसान और जवान से चुनाव नहीं लड़ना चाहते.
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