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BJP के गढ़ में मोदी लहर नहीं, कांग्रेस को मिला आधार: सर्वे

अगर पॉलिटिकल एज सर्वे के नतीजों का आकलन किया जाए, तो कांग्रेस की उम्मीदें बेमानी नहीं हैं.

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चुनाव
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सक्रिय राजनीति में आने के बाद कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने अपना पहला भाषण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृह राज्य गुजरात में दिया. अहमदाबाद में 12 मार्च को हुई कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में उनका पहला भाषण हुआ. उनका पहला ट्वीट भी आया महात्मा गांधी के साबरमती आश्रम से.

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इसी दिन एक और उल्लेखनीय घटना हुई, जब करिश्माई पाटीदार नेता हार्दिक पटेल ने औपचारिक रूप से कांग्रेस का हाथ थाम लिया.

इन घटनाओं से एक बात स्पष्ट थी: कांग्रेस गुजरात को हारे हुए प्रदेश के रूप में नहीं देख रही है.

अगर पॉलिटिकल एज सर्वे के नतीजों का आकलन किया जाए, तो कांग्रेस की उम्मीदें बेमानी नहीं हैं.

ये सर्वे गुजरात के 26 लोकसभा क्षेत्रों में पड़ने वाले सभी 182 विधानसभा क्षेत्रों में किया गया. सर्वे के मुताबिक, कांग्रेस को 10 लोकसभा क्षेत्रों में, जबकि बीजेपी को 16 लोकसभा क्षेत्रों में बढ़त है.

अंतिम नतीजे इन आंकड़ों के अनुरूप रहे, तो ये बीजेपी के लिए भारी झटका होगा, जिसे 2014 के लोकसभा चुनाव में सभी 26 सीटों पर जीत मिली थी.

सर्वे का अनुमान है कि बीजेपी को राज्य में करीब 50 फीसदी वोट मिलेंगे, जबकि कांग्रेस को 43 प्रतिशत.

2017 विधानसभा चुनाव के आंकड़ों पर गौर किया जाए, तो दोनों पार्टियों के वोट शेयर लगभग इतने ही थे. 2014 आम चुनावों के मुकाबले बीजेपी के वोट शेयर में 10 प्रतिशत की कमी आई है और कांग्रेस के वोटों में लगभग इतना ही इजाफा हुआ है.

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सर्वे के मुताबिक, लोकसभा चुनाव में छह सीटों पर कांग्रेस, बीजेपी की उम्मीदों पर पूरी तरह पानी फेर सकती है. ये सभी सीट ग्रामीण क्षेत्रों में पड़ते हैं. इनमें तीन सीट सौराष्ट्र क्षेत्र में, दो उत्तरी गुजरात में और एक दक्षिणी गुजरात में है.

आणंद

आणंद, गुजरात में कांग्रेस के कुछेक मजबूत गढ़ों में एक है. इससे पहले यहां पार्टी को सिर्फ तीन बार हार का सामना करना पड़ा था: 1989 में, जब राम जन्मभूमि की हवा थी. 1999 में, जब केन्द्र में एनडीए की सरकार बनी थी, और 2014 में मोदी लहर के दौरान. कहा जा सकता है कि पिछले दो दशकों में इस लोकसभा क्षेत्र के नतीजे सियासी मौसम के अनुसार रहे हैं.

कांग्रेस पहले ही ऐलान कर चुकी है कि 2004 और 2009 में जीतने वाले भरत सिंह सोलंकी इस सीट से उम्मादवार होंगे. 'पॉलिटिकल एज' सर्वे के अनुसार, इस सीट पर कांग्रेस को 13 प्रतिशत वोट शेयर की बढ़त हासिल है.

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सौराष्ट्र

इनमें तीन सीट सौराष्ट्र क्षेत्र में हैं, जहां 2017 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के प्रदर्शन में उल्लेखनीय सुधार हुआ था. कारण थे बीजेपी के खिलाफ किसानों का उग्र प्रदर्शन और पाटीदार आंदोलन. अंतिम बार 2004 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने इस क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन किया था. उस समय केशुभाई पटेल को नजरअंदाज कर मोदी को मुख्यमंत्री बनाने के कारण बीजेपी को झटका लगा था.

'पॉलिटिकल एज' सर्वे के मुताबिक, जूनागढ़ में कांग्रेस को 8 प्रतिशत, अमरेली में 7 प्रतिशत तथा सुरेन्द्रनगर में 6 प्रतिशत वोट शेयर की बढ़त प्राप्त है.

2017 विधानसभा चुनाव में सौराष्ट्र के ग्रामीण क्षेत्रों में बीजेपी उम्मीदवारों ने कांग्रेस से कुछेक सीट झटक लिये थे, जैसे कुंवरजी बवालिया, जवाहर चावड़ा तथा वल्लभ धाराविया.

उत्तरी गुजरात

दो सीट जनजातीय और क्षत्रिय बहुल उत्तरी गुजरात में पड़ते हैं: पाटन और साबरकांठा.

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पाटन सीट 1989 से अदल-बदलकर बीजेपी और कांग्रेस के पास रही है. 2014 लोकसभा चुनाव में इस सीट से बीजेपी के लीलाधरबाई वाघेला विजयी रहे थे.

इस लोकसभा क्षेत्र में दलित, मुस्लिम और आदिवासी मतदाता कुल मिलाकर 20-25 प्रतिशत हैं, जो कांग्रेस के अनुकूल है. लेकिन काफी कुछ नतीजे इस बात पर निर्भर करते हैं कि कांग्रेस इस क्षेत्र के ओबीसी ठाकोर मतदाताओं को कितना लुभा पाती है.

पाटन में पड़ने वाले दो विधानसभा क्षेत्रों से बीजेपी विरोधी दो प्रमुख युवा चेहरे विधायक हैं. राधनपुर विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के अल्पेश ठाकोर तथा वडगाम से निर्दलीय उम्मीदवार जिग्नेश मेवानी.

'पॉलिटिकल एज' के सर्वेक्षण के मुताबिक, कांग्रेस को इस सीट पर 12 प्रतिशत वोट शेयर की बढ़त प्राप्त है.

आदिवासी और क्षत्रिय बहुल साबरकांठा संसदीय क्षेत्र में 2009 से कांग्रेस का वर्चस्व रहा है. यहां से मधुसूदन मिस्त्री, निशा चौधरी और काफी पहले उप प्रधानमंत्री रह चुके गुलजारीलाल नंदा प्रतिनिधि रहे हैं.

'पॉलिटिकल एज' की भविष्यवाणी है कि फिलहाल कांग्रेस को साबरकांठा में 5 प्रतिशत वोट शेयर की बढ़त है.

'पॉलिटिकल एज' के सर्वे के मुताबिक, इन छह संसदीय क्षेत्रों के अलावा बनासकांठा और जनजातीय बहुल पंचमहल और भरुच सीट कांग्रेस के लिए अच्छी खबर ला सकते हैं.

सर्वे के अनुसार, बीजेपी के गढ़ सूरत में भी कांग्रेस की स्थिति में काफी सुधार हुआ है, जो पाटीदार आंदोलन और जीएसटी के विरुद्ध प्रदर्शन का भी गढ़ था.

लेकिन ये सर्वे बालाकोट हवाई हमले से पहले किये गए थे, जिसका असर नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.

ये भी देखने वाली बात होगी कि हार्दिक पटेल के शामिल होने से कांग्रेस की स्थिति कितनी सुधरेगी. काफी संभावना है कि वो सौराष्ट्र में पड़ने वाले जामनगर सीट से अपनी चुनावी किस्मत आजमाएं. इससे कांग्रेस को इस क्षेत्र के अलावा पाटीदार बहुल मेहसाणा, खेड़ा और सूरत में भी मदद मिल सकती है.

सर्वे की कार्यपद्धति

ये सर्वेक्षण 10 राज्यों के सभी विधानसभा क्षेत्रों में फरवरी में किया गया था. हर विधानसभा क्षेत्र में विभिन्न स्थानों पर अनियमित तरीके से चुनकर 50 व्यक्तियों का इंटरव्यू किया गया.

इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

No Modi Wave in BJP Bastion Gujarat, Congress Gains Ground: Survey

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