विपक्षी पार्टियां EVM से वोटिंग के खिलाफ एक बार फिर आक्रामक दिख रही हैं. रविवार को विपक्षी पार्टियों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर ईवीएम के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कही है. विपक्षी दलों ने कहा है कि कम से कम 50 फीसदी मतदान पर्चियों का मिलान ईवीएम से कराए जाने की मांग को लेकर वो सुप्रीम कोर्ट जाएंगे. पहले फेज की वोटिंग के दौरान ईवीएम में खामियों की खबर आने के बाद विपक्ष का कहना है कि चुनाव आयोग इसपर खास ध्यान नहीं दे रहा है.
पहले फेज के चुनाव के बाद सवाल उठाए गए थे. हमें नहीं लगता है कि चुनाव आयोग उन पर पर्याप्त ध्यान दे रहा है. अगर आप (EVM में) X पार्टी के सामने का बटन दबाते हैं तो Y पार्टी को वोट चला जाता है.अभिषेक मनु सिंघवी, प्रवक्ता, कांग्रेस
अभिषेक मनु सिंघवी का आरोप है कि लाखों वोटरों के नाम फिजिकल वेरिफिकेशन के बिना ऑनलाइन हटा दिए गए.
चंद्रबाबू नायडू ने तो सीधा चुनाव आयोग पर निशाना साधते हुए कहा कि आयोग को निष्पक्ष होना चाहिए लेकिन वो बीजेपी के इशारे पर काम कर रहा है.
21 पार्टियों की है मांग: नायडू
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने बताया कि 21 राजनीतिक दल 50 फीसदी मतदान पर्चियों का मिलान ईवीएम से कराए जाने की मांग कर रहे हैं. नायडू ने शनिवार को मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा से मुलाकात कर ईवीएम गड़बड़ी का मामला उठाया था.
सुप्रीम कोर्ट का निर्देश क्या है?
सुप्रीम कोर्ट ने 8 अप्रैल को आयोग को निर्देश दिया था कि हर विधानसभा क्षेत्र में अब एक की जगह 5 बूथों पर VVPAT का मिलान किया जाए. इन्हें बेतरतीब ढंग से चुना जाए. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि चुनाव प्रक्रिया को सटीक और भरोसेमंद बनाने के लिए ऐसा किया जा रहा है.
VVPAT क्या है?
वोटर जब ईवीएम के जरिए वोट करता है तो वीवीपैट यानी 'वोटर वैरिफायबल पेपर ऑडिट ट्रेल' पर उस उम्मीदवार का नाम और पार्टी का चुनाव चिन्ह एक पर्ची पर प्रिंट हो जाता है. ये पर्ची 7 सेकंड तक वोटर को वीवीपैट पर दिखाई देती है. इसके बाद मशीन में ही सुरक्षित जमा हो जाती है.
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