साध्वी प्रज्ञा के भोपाल से उम्मीदवारी पर अब जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुला ने भी हमला बोला है. उमर अबदुल्ला ने बीजेपी पर कटाक्ष करते हुए कहा है कि अब मंदिर-मस्जिद से वोट नहीं मिल रहा है तो बीजेपी आतंक के आरोपी को उम्मीदवार बना रही है. वहीं उमर अब्दुल्ला ने साध्वी प्रज्ञा के बेल पर भी सवाल उठाया है.
उमर अब्दुल्ला ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा है-
साध्वी प्रज्ञा को उनकी सेहत खराब होने पर बेल मिली है, लेकिन अगर उनकी सेहत जेल में रहने के लिए ठीक नहीं है तो उनकी सेहत चुनाव लड़ने के लिए ठीक कैसे हो सकती है. अगर वो चुनाव लड़ने की सेहतमंद हैं तो अदालत को उनकी बेल कैंसिल करके वापस जेल भेज देना चाहिए.
कैसे मिली थी साध्वी प्रज्ञा को बेल?
29 सितंबर 2008 को महाराष्ट्र के मालेगांव में बम ब्लास्ट हुआ था, इस ब्लास्ट में 6 लोग मारे गए थे और 100 लोग घायल हुए थे. इस केस में महाराष्ट्र पुलिस ने कर्नल पुरोहित और साध्वी प्रज्ञा समेत 14 लोगों को आरोपी बनाया था. 2017 में साध्वी प्रज्ञा को बॉम्बे हाईकोर्ट से जमानत मिली थी.
कोर्ट से साध्वी को जमानत मिलने की बड़ी बजह थी कि वो ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित हैं. करीब 8 साल तक जेल में रहने के दौरान वो इस बीमारी की शिकार हुईं. उस वक्त जो उनकी मेडिकल रिपोर्ट दी गई थी, उसमें दावा किया गया था कि वो बिना सपोर्ट के चल भी नहीं सकती हैं. वहीं साध्वी के खिलाफ पर्याप्त सबूत भी नहीं मिले थे, जिससे उनको जमानत मिलने में आसानी हुई.
अब उमर अब्दुल्ला भी उनकी बीमारी का हवाला देकर मांग कर रहे हैं कि वो जेल में नहीं रह सकती थीं, तो भला चुनाव कैसे लड़ेंगी?
कौन हैं साध्वी प्रज्ञा ठाकुर?
साध्वी प्रज्ञा का जन्म मध्यप्रदेश के भिंड में हुआ था, उनके पिता आर्युवेदिक डॉक्टर हैं. साध्वी प्रज्ञा के पिता संघ से जुड़े थे, जिस वजह से साध्वी का भी झुकाव संघ की तरफ रहा. बाद में साध्वी राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ की छात्र ईकाई अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़ीं. धीरे-धीरे साध्वी की पहचान बढ़ी और उन्होंने विद्यार्थी परिषद छोड़कर साध्वी बनने का फैसला किया.
29 सितंबर 2008 को महाराष्ट्र के मालेगांव में एक बाइक में धमाका हुआ था. एटीएस ने इस ब्लास्ट केस की जांच शुरू की. सबसे पहले ये जांच की गई कि आखिर वो बाइक किसकी है? जांच में नाम सामने आया साध्वी प्रज्ञा ठाकुर का. हालांकि साध्वी ने ये दावा किया कि इस बाइक को उन्होंने 2004 में ही बेच दिया था.
24 अक्टूबर 2008 को साध्वी प्रज्ञा की गिरफ्तारी हुई, 4 नवंबर 2008 को एटीएस ने लेफ्टिनेंट कर्नल श्रीकांत पुरोहित को अरेस्ट किया. उनका आरोप था कि अभिनव भारत संगठन से वो जुड़े थे, इस संगठन ने हथियार और गोला बारुद खरीदे जिसका इस्तेमाल मालेगांव ब्लास्ट में किया गया था.
जुलाई 2009 में स्पेशल कोर्ट ने साध्वी पर मकोका भी लगाया, 2010 में बॉम्बे हाईकोर्ट ने भी मकोको जारी रखा, लेकिन 15 अप्रैल 2015 को सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को पलटकर मकोका हटा दिया. 25 अप्रैल 2017 को बॉम्बे हाईकोर्ट से साध्वी प्रज्ञा से जमानत मिल गई.
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दिग्विजय सिंह से पुरानी है लड़ाई
बीजेपी ने साध्वी प्रज्ञा को भोपाल से दिग्विजय सिंह के खिलाफ मैदान में उतारकर बड़ा दांव खेला है. दिग्विजय सिंह ने ही भगवा आतंक की थ्योरी दी थी. बीजेपी ने साध्वी प्रज्ञा के बहाने बड़ा हिंदुत्व कार्ड खेला है.
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