2 जून 1995, ये वो तारीख है जो यूपी की राजनीति में कभी नहीं भुलाई जा सकती. प्रदेश के सबसे 'स्याह' अध्यायों में से एक ‘गेस्ट हाउस कांड’ इसी दिन हुआ था. इसके बाद से मायावती-मुलायम के बीच की दूरियां गहराती गईं और अब करीब 24 साल बाद यूपी के मैनपुरी में मायावती, मुलायम सिंह यादव के लिए प्रचार करती दिखेंगी. बता दें कि एसपी-बीएसपी-आरएलडी महागठबंधन की चौथी रैली शुक्रवार को मैनपुरी में होगी.
अखिलेश, अजित सिंह भी आएंगे नजर
मैनपुरी के क्रिश्चियन फील्ड में होने वाली इस रैली में मायावती और मुलायम के मंच साझा करने की पूरी संभावना है. इसके जरिए ये संदेश दिया जाएगा कि यूपी में बीजेपी को रोकने के लिए एसपी-बीएसपी ने अब पूरी तरह से दुश्मनी भूला दी है. एसपी के जिलाध्यक्ष खुमान सिंह वर्मा ने बताया कि एसपी चीफ अखिलेश यादव, बीएसपी चीफ मायावती और राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष चौधरी अजित सिंह रैली को संबोधित करेंगे. इस मौके पर एसपी संस्थापक मुलायम सिंह यादव भी मौजूद रहेंगे. शुरू में ऐसी खबरें थीं कि मुलायम रैली में शामिल नहीं होंगे.
गठबंधन से नाखुश थे मुलायम
इससे पहले एसपी-बीएसपी गठबंधन से मुलायम सिंह नाखुश नजर आए थे. उन्होंने गठबंधन पर सवाल खड़े करते हुए कहा था कि आधी-आधी सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं, इससे आधा उत्तर प्रदेश तो पहले ही हार गए. मुलायम ने कहा था कि समाजवादी पार्टी की हैसियत ज्यादा है, अगर पार्टी अकेले चुनाव लड़ती तो ज्यादा बेहतर प्रदर्शन करती.
मायावती ने कहा था-देशहित के लिए भुला दिया गेस्ट हाउस कांड
जनवरी, 2019 को मायावती ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा था कि देशहित के लिए हमने 1993 के गेस्ट हाउस कांड को भुलाया दिया. ऐसे में जान लेते हैं कि ये कांड था क्या?
दरअसल, करीब 25 साल पहले साल 1993 में हुए बीएसपी-एसपी गठबंधन की डोर 1995 में टूट गई. जोड़तोड़ की तमाम कोशिशें भी मुलायम सरकार को बचाते नहीं दिख रखी थी. कार्यकर्ता गुस्से में थे. आखिरकार, 2 जून 1995 को दोपहर 3 बजे लखनऊ के मीराबाई गेस्ट हाउस में जो हुआ उसकी कड़वाहट आज भी बीएसपी-एसपी कार्यकर्ताओं में देखी जा सकती है. इस गेस्ट हाउस के कमरा नंबर 1 में मायावती अपने विधायकों के साथ बैठक कर रही थीं.
अचानक एसपी कार्यकर्ताओं का एक हुजूम उनके कमरे की तरफ बढ़ा. रिपोर्ट्स के मुताबिक कमरे में तोड़फोड़ हुई, अपशब्द शब्द बोले गए और मायावती के साथ बदसलूकी भी की गई. कहा जाता है कि कमरे में मौजूद विधायक भी मायावती को बचाने के लिए नहीं आए और फरार हो गए.
बीजेपी विधायक ब्रह्मदत्त द्विवेदी, कमरे के अंदर दाखिल हुए और मायावती की जान बच सकी थी. इससे पहले कई घंटे तक मायावती कमरे में बंद रही. गेस्ट हाउस कांड की कई ऐसी चीजें हैं जो आजतक सामने नहीं आ सकी हैं. लेकिन कई रिपोर्ट्स में मायावती के साथ गाली गलौज, मारपीट तक की बात मिलती है
बताया जाता है कि कुछ बीएसपी विधायकों से जबरदस्ती समर्थन लेने की भी कोशिश की गई, उनसे हस्ताक्षर कराए गए. अब आपके जहन में ये सवाल उठ रहा होगा कि उस वक्त पुलिस क्या कर रही थी? पुलिस और प्रशासन का रवैया भी सवालों के घेरे में था, इस पूरे हंगामे के दौरान पुलिस पर मूकदर्शक बने रहने के आरोप भी लगते हैं.
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