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MP Elections 2023: सभी 230 सीटों पर कड़ा मुकाबला, लेकिन ये 6 सीटें खास- जानिए क्यों?

Madhya Pradesh Chunav: मध्य प्रदेश में शुक्रवार, 17 नवंबर को मतदान होगा.

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मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में शुक्रवार, 17 नवंबर को मतदान होगा. इस बार भी सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और कांग्रेस के बीच कड़े मुकाबले की उम्मीद है.

राज्य में 230 निर्वाचन क्षेत्रों में 5.6 करोड़ मतदाता हैं, जिनमें 2.88 करोड़ पुरुष और 2.72 करोड़ महिला मतदाता हैं. दोनों पार्टियां महिला मतदाताओं पर खास ध्यान दे रही हैं, लेकिन मध्य प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों को कवर करने वाले लगभग 150 निर्वाचन क्षेत्रों में किसान भी बड़े फैक्टर हैं.

कांग्रेस और बीजेपी, दोनों के लिए चुनौतियां मौजूद हैं. ऐसे में विश्लेषकों और राजनीतिक विशेषज्ञों ने क्विंट हिंदी को बताया कि राज्य में न तो बीजेपी और न ही कांग्रेस स्वीप करने की तरफ बढ़ रही है.

चुनाव के शुरुआती चरण में, चार बार के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर, भ्रष्टाचार के आरोप और बेरोजगारी के मुद्दे सहित अन्य कारणों से बीजेपी पिछड़ रही थी. दूसरी ओर, कांग्रेस अपने दो दिग्गजों- पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और कमलनाथ के साथ शुरुआत में ही हाथ मिलाने से स्थिर दिख रही थी.

हालांकि, राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, बीजेपी ने "खुद को स्थिर" कर लिया है. सत्ता विरोधी लहर का मुकाबला करने के लिए केंद्रीय नेताओं ने मैदान में उतरकर शिवराज सिंह चौहान को दरकिनार करने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने कैश ट्रांसफर स्कीम- लाडली बहना योजना के जरिए काफी हद तक वापसी कर ली है.

दोनों पार्टियों के लिए, सभी 230 सीटें मुश्किल हैं, लेकिन कुछ सीटें अलग मानी जा रही हैं. ये कौन सी सीटें हैं और क्यों यहां सबकी नजर है, आइये देखते हैं.

MP Elections 2023: सभी 230 सीटों पर कड़ा मुकाबला, लेकिन ये 6 सीटें खास- जानिए क्यों?

  1. 1. 1. कमलनाथ और छिंदवाड़ा सीट

    छिंदवाड़ा से मौजूदा विधायक कमलनाथ को बीजेपी उम्मीदवार विवेक बंटी साहू से कड़ी चुनौती मिल रही हैं. इस सीट पर साहू के लिए बीजेपी जोरदार प्रचार कर रही है. दोनों उम्मीदवार अपनी धार्मिक संबद्धता पर भी जोर दे रहे हैं. कमलनाथ खुद को 'हनुमान भक्त' और साहू को 'शिव भक्त' के रूप में जनता के बीच पेश कर रहे हैं.

    बीजेपी चाहती है कि छिंदवाड़ा से कार्यकाल के दौरान कमलनाथ की अनुपस्थिति को उजागर करके उन्हें सीट से हटाया जाए.

    बीजेपी ने अपने कैंपेन में एक पुरानी घटना का जिक्र करके कमलनाथ को "महिला विरोधी" दिखाने की कोशिश भी की है. कमलनाथ ने 1997 में छिंदवाड़ा से लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए अपनी पत्नी अलका का इस्तीफा दिलवा दिया था. उस उपचुनाव में कमलनाथ पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी के कद्दावर नेता सुंदर लाल पटवा से हार गए थे.

    इसके उलट साहू ने बीजेपी की लाडली बहना योजना पर जोर दिया है. जैसे ही इस योजना ने गति पकड़ी, कांग्रेस ने नारी सम्मान योजना का वादा किया. इस योजना के अनुसार, अगर 3 दिसंबर को नतीजों के बाद कांग्रेस की सरकार बनती है तो हर महिला को 1,500 रुपये दिए जाएंगे.

    इसके अलावा, कांग्रेस ने अपनी ऋण माफी योजना, सब्सिडी पर गैस सिलेंडर और बिजली का वादा भी किया है.

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  2. 2. 2. नरेंद्र सिंह तोमर और दिमनी सीट

    केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, मध्य प्रदेश चुनाव के लिए बीजेपी की प्रचार समिति के अध्यक्ष हैं. उन्हें मुरैना जिले के दिमनी से मैदान में उतारा गया है. कथित तौर पर बीजेपी सरकार के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर का मुकाबला करने के लिए, मतदाताओं को एक और चेहरा दिया गया है.

    हालांकि, ये रणनीति फेल होती दिख रही है. तोमर के बेटे दिलीप तोमर के करोड़ों रुपये के लेनदेन की बात करने वाले कथित वीडियो वायरल होने के बाद कांग्रेस उन्हें उनके निर्वाचन क्षेत्र में घेरने में कामयाब दिख रही है. कांग्रेस ने भ्रष्टाचार का आरोप लगाया और मामले की जांच की मांग की है.

    दिमनी 2008 तक आरक्षित एससी सीट थी, जहां परंपरागत रूप से बीजेपी उम्मीदवार जीतते थे. हालांकि, परिसीमन के बाद ये आरक्षित नहीं रही और ठाकुर उपजाति से आने वाले तोमर यहां से जीतने लगे.

    कांग्रेस के गिर्राज दंडोतिया पिछले विधानसभा चुनाव में इस सीट से जीते थे, लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया और अन्य विधायकों के साथ दलबदल चलते ये सीट खाली हो गई थी और उपचुनाव में कांग्रेस के रवींद्र सिंह तोमर ने दंडोतिया को 2,600 से ज्यादा वोटों से हराया था.

    इस सीट से कांग्रेस ने रवींद्र सिंह तोमर को फिर मैदान में उतारा है, जिससे ये लड़ाई तोमर बनाम तोमर की हो गई है.
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  3. 3. 3. अजय सिंह राहुल और  चुरहट सीट

    सीधी जिला हाल ही में एक बीजेपी नेता के आदिवासी व्यक्ति पर पेशाब करते हुए कथित वीडियो के वायरल होने के बाद सुर्खियों में आया था. इसी सीधी से महज 25 किमी दूर चुरहट है, जो एमपी के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता अर्जुन सिंह का गढ़ था और कांग्रेस यहां से चुनाव जीतती थी.

    इस सीट पर मौजूदा बीजेपी विधायक शरदेंदु तिवारी और अर्जुन सिंह के बेटे अजय सिंह के बीच कड़ा मुकाबला है. तिवारी ने 2018 में अजय सिंह को हराकर चुरहट से उनकी चार बार की जीत का सिलसिला खत्म कर दिया था.

    इस क्षेत्र में ब्राह्मण वोट एक बड़ा फैक्टर है. इसमे तिवारी ने रणनीतिक रूप से सड़कों के निर्माण और सोन नदी पर एक पुल सहित समुदाय की चिंताओं का ध्यान रखा है.

    स्थानीय लोगों ने क्विंट हिंदी को बताया कि अजय सिंह 2018 में निर्वाचन क्षेत्र से ज्यादा न दिखने के कारण ही हार गए थे. इस बीच, राजनीतिक गलियारों में ये अटकलें जोरों पर हैं कि अगर कांग्रेस सत्ता में आई तो अजय सिंह को एक प्रमुख मंत्री पद मिलेगा.

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  4. 4. 4. नरोत्तम मिश्रा और दतिया सीट

    दतिया मध्य प्रदेश की एक और VIP सीट है, जहां राज्य के गृह मंत्री और बीजेपी नेता नरोत्तम मिश्रा रहते हैं. मिश्रा 6 बार के विधायक हैं जिन्होंने अपने पिछले तीन चुनाव दतिया सीट से जीते हैं.

    2023 के चुनाव में नरोत्तम मिश्रा और कांग्रेस के राजेंद्र भारती चौथी बार आमने-सामने हैं. शुरू में, कांग्रेस ने आरएसएस के पूर्व नेता अवधेश नायक को टिकट दिया था, जो कांग्रेस में शामिल हो गए थे, लेकिन बाद में उन्होंने अपना उम्मीदवार बदल दिया और भारती को टिकट दे दिया.

    भारती 2008, 2013 और 2018 में लगातार तीन चुनाव हार चुके हैं. हालांकि, 2018 के चुनावों के नतीजों में मिश्रा की जीत के अंतर में गिरावट देखी गई थी. भारती ने मिश्रा को कड़ी टक्कर दी, जो बमुश्किल 2,656 वोटों के अंतर से अपनी सीट जीतने में कामयाब रहे थे.

    190,905 पंजीकृत मतदाताओं वाले इस निर्वाचन क्षेत्र में 30,000 ब्राह्मण मतदाता हैं. उच्च जाति के ब्राह्मण और ठाकुर 22 प्रतिशत हैं, ओबीसी 50 प्रतिशत हैं, और एससी/एसटी/अल्पसंख्यक 28 प्रतिशत हैं.

    नरोत्तम मिश्रा बॉलीवुड फिल्मों, हिंदुत्व और मुस्लिम विरोधी रुख पर अपनी टिप्पणियों को लेकर कई विवादों में रहे हैं. इस बीच, भारती को नायक का समर्थन मिलने से उनके लिए लड़ाई और भी मुश्किल हो गई है.

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  5. 5. 5. शिवराज सिंह चौहान और बुधनी सीट

    बुधनी को राज्य में शिवराज सिंह चौहान का गढ़ माना जाता है. यह एक महत्वपूर्ण निर्वाचन क्षेत्र है, क्योंकि शिवराज इस सीट पर प्रचार नहीं करते हैं, इसके बावजूद, लोगों में कोई खास गुस्सा या विरोध नहीं है.

    कांग्रेस ने 2008 में रामायण रीबूट में हनुमान की भूमिका निभाने वाले फिल्म अभिनेता विक्रम मस्तल को शिवराज के खिलाफ मैदान में उतारा है, जो 1990 में पहली बार बुधनी से चुने गए थे.

    समाजवादी पार्टी ने 'वैराग्यानंद गिरि के मिर्ची बाबा' को भी मैदान में उतारा है. इन्हें शिवराज सरकार में मंत्री स्तर का पद मिला. उसके बाद वे कांग्रेस में गए और बाद में उन पर रेप का आरोप लगा.

    करीब एक साल तक जेल में बंद रहने के बाद सितंबर 2023 में उन्हें आरोपों से बरी कर दिया गया.

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  6. 6. 6. कैलाश विजयवर्गीय और इंदौर 1

    इंदौर 1 सीट पर कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय और मौजूदा कांग्रेस विधायक संजय शुक्ला के बीच कड़ी टक्कर देखी जा रही है.

    विधानसभा चुनाव लड़ने में अनिच्छा जाहिर करने वाली विजयवर्गीय की बेबाक टिप्पणी के बावजूद, बीजेपी के लिए आसान मानी जाने वाली इस सीट पर कड़ा मुकाबला देखने को मिल रहा है.

    इस इलाके में मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश और बिहार से आए लगभग 50,000 प्रवासी मतदाता हैं, जिनके महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की उम्मीद है. दोनों उम्मीदवार अवैध कॉलोनियों, नशाखोरी और मलिन बस्तियों के मुद्दों को टारगेट कर रहे हैं. विकास की आवश्यकता पर जोर दे रहे हैं.

    इस सीट पर पिछले पांच सालों में लगभग 34,000 मतदाता बढ़े हैं. यहां कुल 3.63 लाख मतदाता हैं. दोनों प्रमुख राजनीतिक दल प्रवासी मतदाताओं को प्राथमिकता दे रहे हैं. कांग्रेस प्रियंका गांधी के रोड शो का आयोजन कर रही है और बीजेपी अपने कैंपेन के दौरान सांसद और भोजपुरी सुपरस्टार मनोज तिवारी का सहारा ले रही है.

    (क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

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1. कमलनाथ और छिंदवाड़ा सीट

छिंदवाड़ा से मौजूदा विधायक कमलनाथ को बीजेपी उम्मीदवार विवेक बंटी साहू से कड़ी चुनौती मिल रही हैं. इस सीट पर साहू के लिए बीजेपी जोरदार प्रचार कर रही है. दोनों उम्मीदवार अपनी धार्मिक संबद्धता पर भी जोर दे रहे हैं. कमलनाथ खुद को 'हनुमान भक्त' और साहू को 'शिव भक्त' के रूप में जनता के बीच पेश कर रहे हैं.

बीजेपी चाहती है कि छिंदवाड़ा से कार्यकाल के दौरान कमलनाथ की अनुपस्थिति को उजागर करके उन्हें सीट से हटाया जाए.

बीजेपी ने अपने कैंपेन में एक पुरानी घटना का जिक्र करके कमलनाथ को "महिला विरोधी" दिखाने की कोशिश भी की है. कमलनाथ ने 1997 में छिंदवाड़ा से लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए अपनी पत्नी अलका का इस्तीफा दिलवा दिया था. उस उपचुनाव में कमलनाथ पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी के कद्दावर नेता सुंदर लाल पटवा से हार गए थे.

इसके उलट साहू ने बीजेपी की लाडली बहना योजना पर जोर दिया है. जैसे ही इस योजना ने गति पकड़ी, कांग्रेस ने नारी सम्मान योजना का वादा किया. इस योजना के अनुसार, अगर 3 दिसंबर को नतीजों के बाद कांग्रेस की सरकार बनती है तो हर महिला को 1,500 रुपये दिए जाएंगे.

इसके अलावा, कांग्रेस ने अपनी ऋण माफी योजना, सब्सिडी पर गैस सिलेंडर और बिजली का वादा भी किया है.

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2. नरेंद्र सिंह तोमर और दिमनी सीट

केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, मध्य प्रदेश चुनाव के लिए बीजेपी की प्रचार समिति के अध्यक्ष हैं. उन्हें मुरैना जिले के दिमनी से मैदान में उतारा गया है. कथित तौर पर बीजेपी सरकार के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर का मुकाबला करने के लिए, मतदाताओं को एक और चेहरा दिया गया है.

हालांकि, ये रणनीति फेल होती दिख रही है. तोमर के बेटे दिलीप तोमर के करोड़ों रुपये के लेनदेन की बात करने वाले कथित वीडियो वायरल होने के बाद कांग्रेस उन्हें उनके निर्वाचन क्षेत्र में घेरने में कामयाब दिख रही है. कांग्रेस ने भ्रष्टाचार का आरोप लगाया और मामले की जांच की मांग की है.

दिमनी 2008 तक आरक्षित एससी सीट थी, जहां परंपरागत रूप से बीजेपी उम्मीदवार जीतते थे. हालांकि, परिसीमन के बाद ये आरक्षित नहीं रही और ठाकुर उपजाति से आने वाले तोमर यहां से जीतने लगे.

कांग्रेस के गिर्राज दंडोतिया पिछले विधानसभा चुनाव में इस सीट से जीते थे, लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया और अन्य विधायकों के साथ दलबदल चलते ये सीट खाली हो गई थी और उपचुनाव में कांग्रेस के रवींद्र सिंह तोमर ने दंडोतिया को 2,600 से ज्यादा वोटों से हराया था.

इस सीट से कांग्रेस ने रवींद्र सिंह तोमर को फिर मैदान में उतारा है, जिससे ये लड़ाई तोमर बनाम तोमर की हो गई है.

3. अजय सिंह राहुल और  चुरहट सीट

सीधी जिला हाल ही में एक बीजेपी नेता के आदिवासी व्यक्ति पर पेशाब करते हुए कथित वीडियो के वायरल होने के बाद सुर्खियों में आया था. इसी सीधी से महज 25 किमी दूर चुरहट है, जो एमपी के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता अर्जुन सिंह का गढ़ था और कांग्रेस यहां से चुनाव जीतती थी.

इस सीट पर मौजूदा बीजेपी विधायक शरदेंदु तिवारी और अर्जुन सिंह के बेटे अजय सिंह के बीच कड़ा मुकाबला है. तिवारी ने 2018 में अजय सिंह को हराकर चुरहट से उनकी चार बार की जीत का सिलसिला खत्म कर दिया था.

इस क्षेत्र में ब्राह्मण वोट एक बड़ा फैक्टर है. इसमे तिवारी ने रणनीतिक रूप से सड़कों के निर्माण और सोन नदी पर एक पुल सहित समुदाय की चिंताओं का ध्यान रखा है.

स्थानीय लोगों ने क्विंट हिंदी को बताया कि अजय सिंह 2018 में निर्वाचन क्षेत्र से ज्यादा न दिखने के कारण ही हार गए थे. इस बीच, राजनीतिक गलियारों में ये अटकलें जोरों पर हैं कि अगर कांग्रेस सत्ता में आई तो अजय सिंह को एक प्रमुख मंत्री पद मिलेगा.

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4. नरोत्तम मिश्रा और दतिया सीट

दतिया मध्य प्रदेश की एक और VIP सीट है, जहां राज्य के गृह मंत्री और बीजेपी नेता नरोत्तम मिश्रा रहते हैं. मिश्रा 6 बार के विधायक हैं जिन्होंने अपने पिछले तीन चुनाव दतिया सीट से जीते हैं.

2023 के चुनाव में नरोत्तम मिश्रा और कांग्रेस के राजेंद्र भारती चौथी बार आमने-सामने हैं. शुरू में, कांग्रेस ने आरएसएस के पूर्व नेता अवधेश नायक को टिकट दिया था, जो कांग्रेस में शामिल हो गए थे, लेकिन बाद में उन्होंने अपना उम्मीदवार बदल दिया और भारती को टिकट दे दिया.

भारती 2008, 2013 और 2018 में लगातार तीन चुनाव हार चुके हैं. हालांकि, 2018 के चुनावों के नतीजों में मिश्रा की जीत के अंतर में गिरावट देखी गई थी. भारती ने मिश्रा को कड़ी टक्कर दी, जो बमुश्किल 2,656 वोटों के अंतर से अपनी सीट जीतने में कामयाब रहे थे.

190,905 पंजीकृत मतदाताओं वाले इस निर्वाचन क्षेत्र में 30,000 ब्राह्मण मतदाता हैं. उच्च जाति के ब्राह्मण और ठाकुर 22 प्रतिशत हैं, ओबीसी 50 प्रतिशत हैं, और एससी/एसटी/अल्पसंख्यक 28 प्रतिशत हैं.

नरोत्तम मिश्रा बॉलीवुड फिल्मों, हिंदुत्व और मुस्लिम विरोधी रुख पर अपनी टिप्पणियों को लेकर कई विवादों में रहे हैं. इस बीच, भारती को नायक का समर्थन मिलने से उनके लिए लड़ाई और भी मुश्किल हो गई है.

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5. शिवराज सिंह चौहान और बुधनी सीट

बुधनी को राज्य में शिवराज सिंह चौहान का गढ़ माना जाता है. यह एक महत्वपूर्ण निर्वाचन क्षेत्र है, क्योंकि शिवराज इस सीट पर प्रचार नहीं करते हैं, इसके बावजूद, लोगों में कोई खास गुस्सा या विरोध नहीं है.

कांग्रेस ने 2008 में रामायण रीबूट में हनुमान की भूमिका निभाने वाले फिल्म अभिनेता विक्रम मस्तल को शिवराज के खिलाफ मैदान में उतारा है, जो 1990 में पहली बार बुधनी से चुने गए थे.

समाजवादी पार्टी ने 'वैराग्यानंद गिरि के मिर्ची बाबा' को भी मैदान में उतारा है. इन्हें शिवराज सरकार में मंत्री स्तर का पद मिला. उसके बाद वे कांग्रेस में गए और बाद में उन पर रेप का आरोप लगा.

करीब एक साल तक जेल में बंद रहने के बाद सितंबर 2023 में उन्हें आरोपों से बरी कर दिया गया.

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6. कैलाश विजयवर्गीय और इंदौर 1

इंदौर 1 सीट पर कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय और मौजूदा कांग्रेस विधायक संजय शुक्ला के बीच कड़ी टक्कर देखी जा रही है.

विधानसभा चुनाव लड़ने में अनिच्छा जाहिर करने वाली विजयवर्गीय की बेबाक टिप्पणी के बावजूद, बीजेपी के लिए आसान मानी जाने वाली इस सीट पर कड़ा मुकाबला देखने को मिल रहा है.

इस इलाके में मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश और बिहार से आए लगभग 50,000 प्रवासी मतदाता हैं, जिनके महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की उम्मीद है. दोनों उम्मीदवार अवैध कॉलोनियों, नशाखोरी और मलिन बस्तियों के मुद्दों को टारगेट कर रहे हैं. विकास की आवश्यकता पर जोर दे रहे हैं.

इस सीट पर पिछले पांच सालों में लगभग 34,000 मतदाता बढ़े हैं. यहां कुल 3.63 लाख मतदाता हैं. दोनों प्रमुख राजनीतिक दल प्रवासी मतदाताओं को प्राथमिकता दे रहे हैं. कांग्रेस प्रियंका गांधी के रोड शो का आयोजन कर रही है और बीजेपी अपने कैंपेन के दौरान सांसद और भोजपुरी सुपरस्टार मनोज तिवारी का सहारा ले रही है.

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