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वित्त से गृह मंत्रालय तक मोदी कैबिनेट में हो सकते हैं ये बदलाव

जेटली ने पीएम मोदी को चिट्ठी लिखकर नई सरकार में कोई जिम्मेदारी लेने से इंकार कर दिया है

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मोदी सरकार में वित्त मंत्री रहे अरुण जेटली ने पीएम मोदी को एक चिट्ठी लिखकर बता दिया है कि वो नई सरकार में शामिल नहीं हो पाएंगे. इसके पीछे उन्होंने अपनी सेहत को बताया है. वो अपना ख्याल रखने के लिए समय चाहते हैं. सवाल ये है कि अब जब जेटली ने नई सरकार में रहने से मना कर दिया है तो वित्त मंत्री कौन होगा? कैसी होगी नई कैबिनेट की शक्ल?

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वित्त मंत्री के तौर पर सबसे ज्यादा पीयूष गोयल के नाम की चर्चा है. बीच में जब जेटली की तबियत ठीक नहीं थी तो गोयल ने ही वित्त मंत्रालय का काम संभाला. एक बजट भी उन्होंने पेश किया. वैसे तो चर्चा अमित शाह के नाम की भी हो रही है. अमित शाह की कामयाब रणनीति के कारण बीजेपी ने लोकसभा चुनाव में शानदार कामयाबी पाई. तो उम्मीद की जा रही है उन्हें इस बार मोदी कैबिनेट में शामिल किया जा सकता है. ऐसे में उन्हें वित्त मंत्रालय की जिम्मेदारी भी दी जा सकती है.

मुकुल रॉय को इनाम

न्यूज एजेंसी IANS ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि बंगाल की जीत में बड़ी भूमिका निभाने वाले मुकुल रॉय मंत्रिमंडल में शामिल होने के प्रबल दावेदार हैं. कभी तृणमूल के दिग्गज रहे रॉय ने टीएमसी को हराने में बड़ी भूमिका निभाई है.

तृणमूल ने शुक्रवार को रॉय के बेटे और अपने विधायक सुभ्रांशु को पार्टी विरोधी बयानों के कारण 6 साल के लिए तृणमूल से निलंबित कर दिया था. अब वो टीएमसी के एक और विधायक के साथ बीजेपी में शामिल हो गए हैं. मुकुल राय तृणमूल की तरफ से राज्यसभा सांसद रह चुके हैं.

जेडीयू को मिल सकता है रेल मंत्रालय

जेडीयू को भी बिहार में अच्छा प्रदर्शन करने के लिए रेलवे मंत्रालय का इनाम दिया जा सकता है. यह पद दो सांसदों-आरसीपी सिंह और राजीव रंजन सिंह (ललन सिंह) में से किसी एक को मिल सकता है. अपने कोटे के 17 में से 16 सीट जीतने वाले जेडीयू को राज्य के कोटे से एक और मंत्रालय मिल सकता है.

राज्यसभा सदस्य और नीतीश के सहयोगी रामचंद्र प्रसाद सिंह को मोदी सरकार में रेल मंत्रालय मिल सकता है. वहीं नीतीश के एक अन्य सहयोगी और मुंगेर सीट से जीत दर्ज करने वाले राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह भी मंत्रिमंडल में शामिल किए जा सकते हैं.

पासवान फिर करेंगे कैबिनेट में एंट्री

वहीं एनडीए में शामिल एलजेपी की तरफ से यह साफ है कि रामविलास पासवान फिर से मोदी मंत्रिमंडल 2.0 में वापसी करेंगे. जहां तक बीजेपी के पारंपरिक सहयोगी शिवसेना की बात है, पार्टी ने भी अपने कोटे की 20 में से 18 सीटों पर जीत दर्ज की है. प्रधानमंत्री मोदी के पहले कार्यकाल में अनंत गीते भारी उद्योग मंत्री थे. गीते हालांकि इस बार रायगढ़ से एनसीपी के सुनील तटकरे से हार गए. इसबार शिवसेना की तरफ से मंत्रिमंडल के लिए दो नाम-अनिल देसाई और संजय राउत के नाम सामने आ रहे हैं. दोनों राज्यसभा सदस्य हैं. महाराष्ट्र से कई हैं दावेदार अन्य दावेदार दक्षिण मुंबई के सांसद अरविंद सावंत, यवतमाल-वाशिम की सांसद भावना गवली, रत्नागिरि-सिंधुदुर्ग के सांसद विनायक राउत, बुलधाना के सांसद प्रताप जाधव और ठाणे के सांसद राजन विचारे हैं.वहीं हरसिमरत कौर शिरोमणि अकाली दल की तरफ से एकबार फिर मंत्रिमंडल में शामिल हो सकती हैं. हरसिमरत इससे पहले खाद्य प्रसंस्करण मंत्री थीं.

कैबिनेट पर होगा विधानसभा चुनावों का असर!

केंद्र में जबरदस्त जीत के बाद पहले विधानसभा चुनाव जीतने की चुनौती लेकर आते हैं. इसी साल के आखिर में ये चुनौती पेश करेंगे महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड. पिछली सरकार में इन तमाम राज्यों से मंत्री थे. लेकिन विधानसभा चुनावों पर जीत की मोहर लगाने के लिए पीएम मोदी की नई कैबिनेट में इन राज्यों को नुमाइंदगी बढ़ाई जा सकती है. कोशिश होगी कि इन राज्यों से अपनी पार्टी के नेताओं को मौका मिले और सहयोगियों के लिए भी बर्थ बुक हो.लोकसभा चुनाव बीजेपी की जीत हैं तो पश्चिम बंगाल उस जीत की ट्राफी है. 2014 में महज दो सीटें जीतने के बाद भी पीएम मोदी ने सांसद बाबुल सुप्रियो को मंत्री बनाया था. तो इस बार तो सांसदों की तादाद कहीं ज्यादा रहने वाली है. साल 2021 में पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव भी होने हैं. अब बीजेपी का अगला मिशन, पश्चिम बंगाल में अपनी सरकार बनाना होगा.

तीन साल बाद यानी 2022 में यूपी में भी चुनाव हैं. 2014, 2017 और 2019 की बंपर जीत के बाद अब मोदी जी यूपी को अजेय किले में तब्दील करना चाहते हैं. मौजूदा सरकार में भी सहयोगी अपना दल की अनुप्रिया पटेल समेत दर्जन भर लोकसभा सांसद हैं जिनके पास कोई ना कोई मंत्रालय है. तो नई सरकार में यूपी को तो अपना कोटा मिलेगा ही!

(इनपुट: IANS से भी)

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