लोकसभा चुनाव अभी खत्म भी नहीं हुए हैं, लेकिन सरकार बनाने को लेकर जद्दोजहद अभी से शुरू हो चुकी है. विपक्षी दल चुनाव नतीजों से पहले ही राष्ट्रपति से मुलाकात करना चाहते हैं.
एनडीटीवी सूत्रों के मुताबिक इस मुलाकात में राष्ट्रपति से अपील की जाएगी कि अगर किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिलता है, तो सबसे ज्यादा सीटों वाली किसी एक पार्टी को सरकार बनाने के लिए न बुलाया जाए. इसकी जगह सभी को बहुमत साबित करने का मौका दिया जाए.
21 विपक्षी दलों का फैसला
राष्ट्रपति से मिलने वाले इस प्रतिनिधिमंडल में 21 विपक्षी पार्टियों के नेता शामिल होंगे. बीजेपी के खिलाफ चुनावी मैदान में उतरी ये पार्टियां एक साझा लेटर साइन करने वाली हैं. इन सभी पार्टियों का कहना है कि एक बार चुनाव खत्म हो जाएं तो नतीजों से ठीक पहले राष्ट्रपति से अगल पार्टी को मौका देने की बात कही जाएगी.
सूत्रों के मुताबिक विपक्षी पार्टियों के इस कदम के पीछे असली कारण ये है कि कहीं राष्ट्रपति एक सबसे बड़ी पार्टी को ही सरकार बनाने के लिए आमंत्रित न कर लें. पार्टियों का मानना है कि रीजनल पार्टियों और गठबंधनों को भी मौका दिया जाना चाहिए
विपक्षी दलों के पास मौका
किसी भी पार्टी को सरकार बनाने के लिए कुल 543 सीटों में से 272 सीटें चाहिए होंगी. पिछले सा यानी 2014 के चुनावों में बीजेपी अकेले ही 282 सीट जीतकर सत्ता में आई थी. इसके अलावा एनडीए के घटक दलों को मिलाकर ये आंकड़ा कुल 336 तक पहुंच गया था. लेकिन इस बार अगर बीजेपी को पूर्ण बहुमत नहीं मिल पाता है और एनडीए की सरकार नहीं बन पाती है तो विपक्षी दलों के पास एक सुनहरा मौका होगा.
पिछले कुछ चुनावों से लिया सबक ?
विपक्षी दलों का यह कदम पिछले कुछ चुनावों से लिया गया सबक भी हो सकता है. क्योंकि पिछले कुछ सालों में कई बार ऐसा हुआ है, जब किसी और के हाथ में आया लड्डू छीन लिया गया. कई राज्यों में सरकारें बनते-बनते रह गईं. मणिपुर, गोवा और कर्नाटक इसका सबसे बड़ा उदाहरण हैं. जहां आखिरी पलों में गेंद दूसरे के पाले में गिर गई.
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