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कैप्टन, धामी, सिद्धू, बादल, रावत, चन्नी...इन दिग्गजों को वोटर्स ने किया छलनी

चुनाव परिणाम 2022 : कांग्रेस, बीजेपी, सपा, अकाली दल के वे दिग्गज जिन्हें हार का कड़वा घूंट पीना पड़ा

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पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव (assembly election results 2022) के परिणाम स्पष्ट हो गए हैं. उत्तरप्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में कई दिग्गज चुनावी रण में थे. इनमें कईयों को मुंह की खानी पड़ी है. आइए जानते हैं किन-किन दिग्गजों का मतदाताओं ने बुरा हाल कर दिया...

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'कैप्टन' पर ही जनता ने भरोसा नहीं जताया 

पंजाब के दो बार के मुख्यमंत्री रह चुके कैप्टन अमरिंदर सिंह (Captain amarinder singh) को जनता ने हार का स्वाद चखाया है. कुछ समय पहले कांग्रेस बगावत कर नई पार्टी बनाने वाले कैप्टन पटियाला सीट से बुरी तरह हारे हैं. अमरिंदर के लिए ये नतीजे किसी डरावने सपने से कम नहीं हैं.

इस सीट पर उन्होंने 2002 से लगातार चार बार जीत हासिल की थी. लेकिन 2022 में न तो साख बचा पाए न ही लाज. उन्होंने पंजाब लोक कांग्रेस (पीएलसी) बीजेपी और अकाली दल के बागी शिअद (संयुक्त) के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ा था.

कैप्टन अमरिंदर को आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार अजीतपाल सिंह कोहली ने हराया है. अजीत को 48104 मत मिले जबकि कैप्टन ने 28231 वोट अपने नाम किए.

सिद्धू क्लीन बोल्ड, खुद बिगाड़ा अपना और पार्टी का खेल

पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू अमृतसर ईस्ट से चुनावी रण में थे. यहां उनका सामना शिरोमणि अकाली दल के विक्रम सिंह मजीठिया और आम आदमी पार्टी की प्रत्याशी जीवन जोत कौर से था. इस पूरे मुकाबले में आम आदमी की उम्मीदवार हावी रहीं और सिद्धू व मजीठिया जैसे दिग्गजों को पछाड़ दिया. आम आदमी पार्टी को यहां 39679 वोट मिले, जबकि सिद्धू को 32929 मत मिले वहीं मजीठिया को 25188 वोटों से संतुष्ट होना पड़ा.

कांग्रेस के सीएम उम्मीदवार चन्नी दोनों सीटों पर हारे, चमकौर में चरणजीत ने दी उन्हें मात  

पंजाब में कांग्रेस के वर्तमान मुख्यमंत्री और भावी सीएम चेहरा रहे चरणजीत सिंह चन्नी ने दो सीटों पर अपनी किस्मत टटोली थी. लेकिन दोनों ही सीटों पर उन्हें मुंह की खानी पड़ी. दोनों ही सीटों पर उन्हें आम आदमी पार्टी के उम्मीदरवार ने हराया.

दिल्ली और आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि 'चन्नी को हराने वाला मोबइल की दुकान में नौकरी करता है'.

चमकौर साहिब और भदौर सीट से अपनी किस्मत अजमाने वाले चन्नी को बड़े अंतराल से हार का सामना करना पड़ा. एक ओर जहां चमकौर साहिब में उन्हें आप कैंडिडेट चरणजीत ने 70248 हासिल कर चन्नी (62306) को हराया वहीं दूसरी ओर भदौर में ‌‌‌‌‌‌‌आप प्रत्याशी लभ सिंह उगोके ने 63967 वोट अपने नाम करते हुए चन्नी (26409) को मात दी.

सबसे बुजुर्ग उम्मीदवार और पूर्व सीएम बादल पारंपरिक सीट नहीं बचा पाए

शिरोमणि अकाली दल के वरिष्ठ नेता और पंजाब के पूर्व सीएम प्रकाश सिंह बादल पंजाब के मुक्तसर जिले में अपनी पारंपरिक लम्बी सीट से आम आदमी पार्टी के गुरमीत सिंह खुडियां से चुनाव हार गए. 94 साल के बादल सबसे बुजुर्ग उम्मीदवार थे. आप के गुरमीत ने 66313 मत अपने नाम किए वहीं बादल के खाते में 54917 वोट पड़े थे.

प्रकाश के बेटे सुखबीर भी बेरंग रहे

जलालाबाद सीट से पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के बेटे और पूर्व डिप्टी सीएम सुखबीर सिंह बादल को हार का सामना करना पड़ा है. 2009 से जलालाबाद विधानसभा पर राज करने वाले दिग्गज नेता बादल को आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार जगदीप कंबोज ने हराया. सुखबीर बादल की यह बड़ी हार है क्योंकि वे 2009 से दो बार पंजाब के उप-मुख्यमंत्री रहे हैं.

2017 के विधानसभा चुनाव में सुखबीर सिंह बादल ने आम आदमी पार्टी के भगवंत मान को हराया था. इस बार आम आदमी के प्रत्याशी कंबोज ने 91455 वोट अपने नाम किए. जबकि बादल को 60525 मतों से संतुष्ट होना पड़ा. 30 साल में पहली बार बादल परिवार का कोई सदस्य विधानसभा चुनाव नहीं जीता है.
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पंजाब के प्रभारी रहे रावत लेकिन उत्तराखंड में हारी मिली भारी

उत्तराखंड के पूर्व सीएम और वरिष्ठ कांग्रेस नेता हरीश रावत (Harish Rawat) ने बड़े अंतर से अपनी सीट गंवाई है. वे लालकुआं विधानसभा सीट से चुनावी मैदान पर थे. नैनीताल जिले में आने वाले इस सीट में रावत का मुकाबला बीजेपी के मोहन सिंह बिष्ट से था. मोहन सिंह बिष्ट ने रावत को 16 हजार से अधिक वोटों से हराया. मोहन सिंह को 44851 मत मिले जबकि रावत के पक्ष में 28251 वोट आए.

हरीश रावत पंजाब कांग्रेस प्रभारी थे, जिन्हें पिछले साल ही इस पद से मुक्त किया गया था. तब रावत ने खुद को इस पद से मुक्त करने के लिए आलाकमान से अपील की थी. उन्होंने तब कहा था कि पंजाब और उत्तराखंड दोनों जगह चुनाव आने वाले हैं ऐसे में दोनों जगह समय दने पर परिस्थितियां कठिन हो जाएंगी, इसलिए उन्हें इस पद से मुक्त किया जाए.

हरीश रावत कांग्रेस की तरफ से राज्य के सबसे बड़े नेताओं में से एक हैं. इससे पहले 2017 के चुनाव में रावत ने दो जगहों हरिद्वार ग्रामीण और किच्छा से हुंकार भरी थी लेकिन दोनों जगह से उन्हें हार का स्वाद चखना पड़ा था.

धामी पर जनता ने नहीं दिखाई हामी

उत्तराखंड के वर्तमान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी खटीमा सीट से चुनावी मैदान पर थे. यहां से कांग्रेस प्रत्याशी भुवन कापड़ी ने उन्हें 6951 मतों से मात दी. इस बार के चुनाव में पुष्कर सिंह धामी को सिर्फ 33175 वोट मिले, वहीं कांग्रेस के भुवन चंद्र कापड़ी को 40175 वोट मिले.

उत्तराखंड में बीजेपी की जीत को देखते हुए खटीमा सीट से दो बार चुनाव जीतने वाले सीएम पुष्कर सिंह धामी की हार काफी मायने रखती है.
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रायबरेली में डॉ. मनीष को नहीं मिला 'हाथ' का सहारा, ज्योति ने खिलाया कमल 

कांग्रेस गढ़ माने जाने वाले रायबरेली में कमल खिल गया है, यहां कांग्रेस के डॉ. मनीष चौहान का सामना बीेजेपी की अदिति सिंह और सपा के राम प्रताप यादव से था. आदिति ने 93780 वोट अपने पाले में करते हुए जीत हासिल की, कांग्रेस के खाते में 14063 वोट आए तो वहीं सपा ने 86359 पर सेंध लगाने का काम किया.

रायबरेली कांग्रेस का गढ़ माना जाता है, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी रायबरेली लोकसभा सीट से लगातार सांसद चुनी जाती रही हैं. इसी लोकसभा क्षेत्र में आने वाली रायबरेली सदर विधानसभा सीट पर बीजेपी को मिली जीत ऐतिहासिक है. इस सीट पर बीजेपी आज तक खाता भी नहीं खोल पाई थी, लेकिन अदिति सिंह के सहारे बीजेपी ने यहां सालों का सूखा खत्म कर लिया है.

इससे पहले, अदिति सिंह ने 2017 में पहली बार चुनाव लड़ा था, तब वो कांग्रेस के टिकट पर चुनावी मैदान में उतरी थीं और बीजेपी-मोदी की लहर के बावजूद जीत दर्ज की थी.

लल्लू भी सिद्धू की तरह हुए आउट, नहीं बन पायी हैट्रिक 

अजय कुमार लल्लू उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष थे, तमकुहीराज विधानसभा सीट से वे हैट्रिक लगाने की तैयारी कर रहे थे, लेकिन सिद्धू की तरह वे बोल्ड हो गए. ‌मोदी लहर में जीत का स्वाद चखने वाले लल्लू को इस बार हार का घूंट पीना पड़ना. लल्लू को इस बार महज 33496 वोट मिले जबकि बेजेपी के असिम कुमार को 115123 मत मिले. वहीं सपा के उदय नाराणय ने 48651 वोटों पर सेंध लगाया.

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