लोकसभा चुनाव के आखिरी फेज की वोटिंग से ठीक पहले कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने क्विंट से खास बातचीत की.
राहुल गांधी ने इस Exclusive इंटरव्यू में क्विंट के फाउंडर और एडिटर इन चीफ राघव बहल और एडिटोरियल डायरेक्टर संजय पुगलिया के सर्जिकल स्ट्राइक से लेकर चीन, डोकलाम, देश की अर्थव्यवस्था के सवालों पर खुलकर बात रखी.
राहुल गांधी ने अपनी बात की शुरुआत करते हुए कहा कि ये चुनाव उनके लिए काफी-कुछ सीखने वाला था. राहुल ने कहा कि हमें लोगों के राय और फैसले को सम्मान देना होगा.
राहुल के इंटरव्यू की 10 बड़ी बातें
01. राहुल गांधी ने कहा, मैंने पहले से साफ कर दिया है कि सरकार बनाने को लेकर मैं पहले से कुछ नहीं बोलूंगा. जनमत सामने आने के बाद ही मैं कुछ बोलूंगा. पहले से कुछ बोलना जनता का अपमान होगा.
02. राहुल गांधी ने सबसे बड़ी पार्टी के सवाल पर कहा कि आने वाले चुनाव में साफ हो जाएगा कि बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी नहीं होगी. कौन बड़ी पार्टी होगी, इसका फैसला जनता करेगी.
03. NYAY के सिवा कोई चारा नहीं है. हमने 90 में इकनॉमी को लेकर एक मॉडल चलाया. हमने 2004 में इसमें थोड़ा बदलाव किया. इसने 2012 तक काम किया. हम ये समझते हैं कि 1990 का आर्थिक मॉडल 2019 में नहीं चलेगा. मोदी सरकार ने मनमोहन सिंह का मॉडल लिया और उसे लागू किया. नए जमाने में ये फेल हुआ. मनमोहन सिंह ने मुझे 2012 में कहा कि अब वो मॉडल काम नहीं करेगा. किसी आइडिया का फायदा एक तय वक्त तक ही मिलता है. अब हमें अर्थव्यवस्था को नई नजर से देखना होगा. अब देश के लोगों से बात करके पूछना होगा कि अब क्या करना चाहिए.
04. राहुल के सामने क्या चुनौती हैं, इस सवाल पर उन्होंने कहा, “बड़ी आबादी, बड़ी यंग आबादी और उनके लिए रोजगार पैदा करना. हमें ये बताना है कि अब इस देश में बेरोजगारी कोई मुद्दा नहीं रहेगा.”
05. वो एक्सपर्ट्स को सलाह दे रहे हैं कि बादल में स्ट्राइक करनी चाहिए. स्ट्रैजजी वाले एक्शन सर्कस नहीं है. इसलिए हमने सर्जिकल स्ट्राइक पर बात नहीं की, लेकिन की थी हमने भी.
06. हमें इकनॉमी को जंप स्टार्ट देना है. इकनॉमी में लेन-देन हो, तो ठीक रहता है. मोदी कहते हैं कि हम राष्ट्रवादी हैं, लेकिन उन्होंने इकनॉमी को नुकसान पहुंचा कर राष्ट्र के खिलाफ काम किया.
07. मैं सत्ता का विकेंद्रीकरण करना चाहता हूं. हम किसी भी नीति को पब्लिक से, सारे शेयर होल्डर से बात करके ही लागू करेंगे. शक्ति वापस जनता के हाथ में देने की जरूरत है.
08. हेल्थकेयर के बारे में नए सिरे से सोचने की जरूरत. हमारी बड़ी आबादी के कारण हम ग्लोबल हेल्थकेयर के लिए मिसाल बन सकते हैं.
09. नरेंद्र मोदी ने चीन के सामने घुटने टेके. विदेश नीति पर मोदी ने एक्सपर्ट्स की राय नहीं ली. मोदी का तरीका ये है कि किसी से राय नहीं लेनी. एक तरफ सुपरपावर अमेरिका है. दूसरी तरफ उभरता हुआ सुपरपावर चीन है. भारत को समझना होगा कि हमारा रोल ग्लोबल है. ये किसी का शैडो बनकर नहीं चल सकता है.
10. जैसे UAE के लिए तेल है, उसी तरह हमारे लिए डेटा है.
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