लोकसभा चुनाव खत्म होने के बाद से ‘इसके बाद क्या’ इस तरह की ट्विटर पर काफी चर्चा देखने को मिल रही है. क्या ये कांग्रेस के लिए अपने आप को नए सिरे से बदलने का समय है? अब आम आदमी पार्टी का क्या होगा? क्या भारत मजबूत विपक्षी की जरूरत है. और सबसे बड़ी बात प्रज्ञा सिंह कैसे जीत गईं?
ट्विटर पर चर्चा का केंद्र रहा- एजुकेशन के क्षेत्र में काम करने वाली आतिशी मार्लेना हार गईं और एक आतंकी केस की आरोपी बड़े मार्जिन से जीत गईं. इस तरह के ट्रेंड इंडिया के बारे में क्या बयां कर रहे हैं.
नए भारत का ये कैसा सपना है?
स्वरा भास्कर ने ट्वीट करते हुए कहा कि “हम पहली बार देश की संसद में आतंक के केस में आरोपी को भेज रहे हैं”
ट्विटर पर आम लोगों ने भी इस पर काफी सारे रिएक्शन दिए हैं. लोगों ने साध्वी के चुने जाने और नए भारत के सपने की तुलना करते हुए लिखा है.
गुरुप्रीत ने ट्वीट किया- क्या है ये न्यू इंडिया, जहां आतिशी फेल जो टॉपर रहीं और प्रज्ञा पास जो आंतकी केस में आरोपी हैं.
एक ट्विटर यूजर ने मेनका गांधी और साक्षी महाराज को निशाने पर लिया. यूजर ने लिखा कि वो वोटर को धमकाने डराने के बावजूद जीत गए.
फैक्ट चेकर उजैर हसन रिजवी ने ट्वीट किया कि आतंकवाद के केस में आरोपी जिसने महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को शहीद तक बता दिया. वो 3 लाख वोटों के मार्जिन से चुनाव जीती है.
न्यू इंडिया और इकनॉमी
ट्वीटर यूजर अनुपम गुप्ता ने कहा लोगों को इकनॉमी की चिंता नहीं है- “वो (मोदी) इतनी खराब आर्थिक हालत होने के बाद भी चुनाव जीत गए. लोगों को चिंता नहीं है.”
एक ट्विटर यूजर ने लिखा कि बढ़ती कीमतें, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, शिक्षा व्यवस्था की लचर हालत, खेती किसानी का संकट, पानी का संकट, बढ़ते अपराध जैसे चीजें मुद्दे नहीं हैं.”
एक ट्विटर यूजर ने सवाल पूछते हुए लिखा कि पहले भारत जाति के आधार पर वोट करता था अब धर्म के आधार पर वोट करता है. दोनों में क्या बेहतर है?
कुछ का मानना कि नए भारत ने परिवारवाद को हराया?
लेखक मिनहाज मर्चेंट ने ट्विटर पर लिखा कि लोगों का कांग्रेस के लिए स्पष्ट संकेत है कि परिवारवाद का दौर अब खत्म हो गया है.
परंतु पत्रकार श्रीनिवासन जैन ने न्यू इंडिया और परिवारवाद वाली बात का जवाब देते हुए लिखा कि नए भारत का सपना बिना परिवारवाद के देखना मिथक है. जगन रेड्डी जीते, नवीन पटनाइक जीते, परिवारवाद की राजनीति से आने वाला हर कोई जीता जिसमें वरुण गांधी से लेकर मेनका गांधी तक शामिल हैं.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)