उत्तर प्रदेश चुनाव के नतीजे (UP Assembly Election Result 2022) आ गए हैं और प्रदेश की सबसे हॉट सीटों (Hot Seat) में से एक गोरखपुर (Gorakhpur) में मौजूदा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Aadityanath) ने जीत दर्ज की है. लेकिन गोरखपुर से एक और बड़ा चेहरा मैदान में था, आजाद समाज पार्टी के टिकट पर चंद्रशेखर रावण (Chandrashekhar Rawan). जो पहले समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन की गांठ को सुलझाने में लगे रहे और अंत में अकेले चुनाव मैदान में उतरे. चंद्रशेखर रावण की बात इसलिए हो रही है क्योंकि उन्हें उभरता हुआ दलित चेहरा माना जा रहा था और मायावती के सूर्यास्त से चंद्रशेखर के सूर्योदय के अंदाजे लगाए जा रहे थे.
चंद्रशेखर आजाद रावण ने बड़ा दिल दिखाते हुए गोरखपुर से लगातार सांसद बनते आ रहे और मौजूदा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को गोरखपुर में ही टक्कर देना चुना. हालांकि यहां उन्हें हार का समना करना पड़ा. चंद्रशेखर रावण को यहां मात्र 7640 वोट मिले हैं. जबकि गोरखपुर शहरी सीट पर लगभग 40 हजार दलित वोटर हैं.
गोरखपुर में दलितों ने भी बीजेपी को वोट दिया?
दलित वोटर को मायावती का कोर वोटर माना जाता था लेकिन लगता है इस बार बीजेपी ने इसमें तगड़ी सेंधमारी की है. जरा देखिए कि गोरखपुर शहरी सीट पर 45 हजार से ज्यादा वोटर हैं. बीएसपी और चंद्रशेखर आजाद के मतों को मिला भी लिया जाये तो 15 हजार के करीब ही होते हैं मतलब दोनों को मिलाकर दलितों की संख्या के आधे वोट भी नहीं मिले. इनसे अच्छा प्रदर्शन यहां समाजवादी पार्टी ने किया.
गोरखपुर में चंद्रशेखर रावण को क्या हासिल हुआ?
चंद्रशेखर आजाद रावण लंबे समय से आंदोलन करते रहे हैं और भीम आर्मी के जरिए सुर्खियों में भी रहे. इन्हीं सुर्खियों के सहारे उन्होंने गोरखपुर का रुख किया था तो अगर इस सवाल का जवाब खोजें कि उन्हें गोरखपुर से क्या हासिल हुआ तो चंद्रशेखर रावण को मात्र 7640 वोट मिले हैं. जिसका मतलब है कि चंद्रशेखर रावण की जमानत जब्त हो गई है.
हालांकि चंद्रशेखर रावण ये कह सकते हैं कि उन्होंने यूपी में बीजेपी के सबसे कद्दावर नेता को उसी के दुर्ग में जाकर ललकारा. भले ही उनकी हार हुई लेकिन अपनी विचारधारा पर वो अड़े रहे. इस बात का प्रचार भविष्य में करके वो मायावती की खिसकती जमीन पर पैर जमाने की कोशिश कर सकते हैं क्योंकि जो वोट बीएसपी से खिसका है उसने बीजेपी को मजबूत किया है ऐसा राजनीतिक पंडित मान रहे हैं.
एसपी के साथ गठबंधन करके दे सकते थे टक्कर?
चुनाव से ठीक पहले चंद्रशेखर रावण और एसपी के अखिलेश यादव के बीच कई दौर की बातचीत हुई. लेकिन गठबंधन नहीं हो सका. अब एक सवाल ये भी उठता है कि क्या अखिलेश के साथ गठबंधन करके चंद्रशेखर योगी आदित्यनाथ को टक्कर दे सकते थे. तो चलिए देखते हैं, चंद्रशेखर रावण को गोरखपुर शहरी विधानसभा में 7640 वोट मिले हैं और समाजवादी पार्टी के कैंडिडेट 60896 वोट मिले हैं. और योगी आदित्यनाथ को 1,65,499 वोट मिले हैं. जिसका मतलब है कि अगर इन दोनों के वोच मिला भी लीजिए तब भी योगी आदित्यनाथ को टक्कर नहीं दे पाते. हां उनकी जमानत जरूर बच जाती.
गोरखपुर विधानसभा नतीजे 2017
गोरखपुर की सीट पर मठ का असर हमेशा रहा है और 2002 से लगातार राधामोहन अग्रवाल विधायक रहे थे. लेकिन इस बार योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया तो गोरखपुर को चुना. 2017 में राधामोहन अग्रवाल ने कांग्रेस-एसपी के प्रत्याशी राणा राहुल सिंह को 60 हजार से ज्यादा वोटों से हराया था.
चंद्रशेखर आजाद रावण कौन हैं ?
चंद्रशेखर आजाद उर्फ रावण भीम आर्मी नाम से संगठन चलाते थे जिसके बाद उन्होंने आजाद समाज नाम से पार्टी बनाई. इसी पार्टी के झंडे तले वो गोरखपुर से चुनाव मैदान में थे. चंद्रशेखर आजाद रावण को आपने अक्सर आंदोलन करते देखा होगा. उन्होंने देश के अलग-अलग हिस्सों में कई आंदोलन चलाए हैं. पहली बार वो पार्टी बनाकर उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में कूदे थे और दलित वोटरों के सहारे राजनीति साधने की कोशिश कर रहे थे.
गोरखपुर का जातिगत समीकरण
जाति मतदाता
ब्राह्मण लगभग 50 हजार
एससी लगभग 45 हजार
मुस्लिम लगभग 40 हजार
निषाद लगभग 35 हजार
कायस्थ लगभग 35 हजार
वैश्य लगभग 30 हजार
कुर्मी लगभग 28 हजार
क्षत्रिय लगभग 25 हजार
यादव लगभग 20 हजार
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)