लोकसभा चुनाव 2019 में वाराणसी लोकसभा सीट पर पीएम नरेंद्र मोदी को चुनौती देने के लिए कांग्रेस पार्टी ने एक बार फिर अजय राय पर भरोसा जताया है. अजय राय ने साल 2014 के लोकसभा चुनावों में भी वाराणसी सीट से पीएम मोदी को चुनौती थी थी. हालांकि, वह नरेंद्र मोदी और अरविंद केजरीवाल के बाद तीसरे नंबर पर आए थे. इस चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार अजय राय की जमानत जब्त हो गई थी. ऐसे में अजय राय को पीएम मोदी के सामने दोबारा चुनावी मैदान में उतारने का कांग्रेस का फैसला वाकई चौंकाने वाला है.
आइए जानते हैं कौन है काशी से कांग्रेस के उम्मीदवार अजय राय.
सियासी सफर पर एक नजर
अजय राय ने अपने सियासी सफर की शुरुआत बीजेपी यूथ विंग से की थी. साल 1996 में उन्होंने बीजेपी की टिकट पर कोलासला विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा. इस चुनाव में उन्होंने नौ बार से लगातार जीतते आ रहे सीपीआई विधाय उदय को महज 484 वोटों के अंतर से हराया.
साल 2009 में वाराणसी से लोकसभा टिकट न मिलने पर पार्टी नेतृत्व से नाराज अजय राय ने बीजेपी छोड़ दी. इसके बाद अजय राय समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए. राय ने साल 2009 का लोकसभा चुनाव समाजवादी पार्टी की टिकट पर बीजेपी के कद्दावर नेता मुरली मनोहर जोशी के खिलाफ लड़ा. इस चुनाव में मुरली मनोहर जोशी को जीत मिली, जबकि मुख्तार अंसारी दूसरे और अजय राय तीसरे नंबर पर रहे.
2009 लोकसभा चुनाव में हारने के बाद अजय राय ने समाजवादी पार्टी छोड़ दी और निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में कोलासला विधानसभा सीट से उपचुनाव लड़ा. यहां से वह चौथी बार विधायक चुने गए.
इसके बाद राय कांग्रेस में शामिल हो गए. परिसीमन के बाद राय कांग्रेस के टिकट पर साल 2012 में पिंडरा विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गए. इसके बाद वह 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की तरफ से नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़े थे.
लगातार पांच बार चुने गए विधायक
अजय राय लगातार पांच बार विधायक रह चुके हैं. उन्होंने साल 1996 से 2012 तक लगातार कोलासला निर्वाचन क्षेत्र का विधानसभा में प्रतिनिधित्व किया. इसके बाद साल 2012 में वह पिंडरा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीतकर 5वीं पर विधानसभा में पहुंचे थे.
पूर्वांचल के बाहुबली नेताओं में आता है अजय राय का नाम
अजय राय का नाम पूर्वांचल के बाहुबली नेताओं में शुमार होता है. अजय राय कभी पूर्वांचल के डॉन बृजेश सिंह के करीबी माने जाते थे. साल 1994 में अजय राय के बड़े भाई अवधेश राय की हत्या कर दी गई थी. अवधेश राय की हत्या का आरोप पूर्वांचल के बाहुबली नेता मुख्तार अंसारी पर लगा. पूर्वांचल में मुख्तार अंसारी और बृजेश सिंह की अदावत के कई किस्से हैं.
साल 2014 में मुख्तार अंसारी ने घोसी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था और कांग्रेस ने उनका समर्थन किया था. बदले में मुख्तार अंसारी ने वाराणसी में कांग्रेस का समर्थन किया था. ऐसे में भूमिहार समाज में यह संदेश चला गया कि अजय राय ने अपने भाई के हत्यारे से हाथ मिला लिया और इससे समाज में उनकी लोकप्रियता पर असर भी पड़ा.
इस बार पीएम मोदी और अजय राय के बीच सीधा मुकाबला
वाराणसी लोकसभा सीट पर साल 2009 से बीजेपी का कब्जा हैं. पिछले लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी ने इस सीट पर तीन लाख से ज्यादा वोटों से जीत हासिल की थी. इस चुनाव में अजय राय की जमानत जब्त हो गयी थी, जबकि आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल दूसरे स्थान पर रहे थे.
इस बार भी अजय राय के लिए चुनावी लड़ाई आसान रहने वाली नहीं है. प्रियंका गांधी को चुनाव मैदान में उतारने के कयासों के बीच अचानक से अजय राय की उम्मीदवारी के ऐलान ने उनकी चुनौती और बढ़ा दी है. इस चुनाव में बाहुबली नेता अजय राय पीएम मोदी को किस तरह चुनौती देंगे यह देखना दिलचस्प होगा.
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