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कांग्रेस के लिए आखिर क्यों इतनी अहम है कर्नाटक की राजनीति?

जान लीजिए- कर्नाटक में कांग्रेस का पूरा इतिहास

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लोकसभा चुनाव 2019 को लेकर उम्मीदवारों की चर्चाओं के बीच अब कर्नाटक से एक दिलचस्प खबर सामने आई है. स्टेट कांग्रेस यूनिट ने राहुल गांधी से कर्नाटक से चुनाव लड़ने की अपील की है. कर्नाटक कांग्रेस के नेताओं ने राहुल से कहा है कि अगर वो कर्नाटक से चुनाव लड़ते हैं तो इससे पूरे साउथ इंडिया में कांग्रेस को मजबूती मिलेगी.

कर्नाटक में कांग्रेस के बड़े नेताओं का चुनाव लड़ना कोई नई बात नहीं है. इससे पहले इंदिरा गांधी और सोनिया गांधी भी यहां से चुनाव लड़ चुकी हैं.

कर्नाटक कांग्रेस की ओर से राहुल गांधी को लिखे गए लेटर में साल 1999 में उनकी मां सोनिया गांधी के इलेक्शन लड़ने की बात कही गई है. प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष दिनेश गुंडू राव ने लिखा, ‘1999 में सोनिया गांधी ने भी यहां से चुनाव लड़ा था. इसीलिए हमारा आपसे अनुरोध है कि आप कर्नाटक की किसी भी सीट से चुनाव लड़ने के हमारे निमंत्रण को स्वीकार करें.’

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कर्नाटक में कांग्रेस का इतिहास

कर्नाटक में कांग्रेस का इतिहास काफी पुराना रहा है. भले ही यूपी की रायबरेली और अमेठी लोकसभा सीट को कांग्रेस की पारंपरिक सीट माना जाता है, लेकिन जब भी कांग्रेस के बड़े नेताओं ने कर्नाटक से चुनाव लड़ा है, तो उन्हें सफलता ही हाथ लगी है. अगर यूं कहें कि कर्नाटक में कांग्रेस की किस्मत हमेशा मेहरबान रही है तो गलत नहीं होगा. हर बुरे दौर में कर्नाटक में कांग्रेस को कुछ न कुछ पॉजिटिव रिजल्ट मिला है.

कर्नाटक में हुए चुनावों के बाद कांग्रेस ने जेडीएस के साथ मिलकर सरकार बनाई. इसके बाद कांग्रेस ने फ्रंटफुट पर आकर राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में चुनाव लड़ा और हिंदी बेल्ट के इन बड़े राज्यों में अपनी सरकार बनाई.
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इंदिरा के रायबरेली हारने के बाद कर्नाटक में मिली जीत

कांग्रेस की सबसे बड़ी नेता और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की राजनीति में भी एक ऐसा दौर आया था, जब पूरा देश उनके खिलाफ था. इमरजेंसी के बाद लोग अपनी इस नेता से नाराज थे और कांग्रेस विरोधी लहर जारी थी. हालात यह थे कि 1977 लोकसभा चुनाव में इंदिरा रायबरेली सीट से हार गईं.

जान लीजिए- कर्नाटक में कांग्रेस का पूरा इतिहास
इंदिरा गांधी
(फोटो: Altered by The Quint)

लेकिन इसके ठीक एक साल बाद यानी 1978 में कर्नाटक की चिकमंगलूर सीट पर उपचुनाव होता है और इंदिरा गांधी यहां से चुनाव लड़ने का फैसला लेती हैं. इस चुनाव में इंदिरा को भारी मतों से जीत हासिल हुई थी. इसके बाद से ही कर्नाटक कांग्रेस के इतिहास में एक अहम नाम बन जाता है.

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सोनिया गांधी भी नहीं हुईं निराश

इंदिरा के बाद कांग्रेस की राजनीति में नई लीडर सोनिया गांधी ने भी कर्नाटक से चुनाव लड़ा. कांग्रेस अध्यक्ष की जिम्मेदारी मिलने के बाद सोनिया को चुनाव में उतारना था. सोनिया के लिए यह चुनाव एक कड़ी चुनौती के तौर पर था.

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सोनिया गांधी

कर्नाटक की बेल्लारी सीट से सोनिया को चुनाव लड़ाने की तैयारी हुई. इस चुनाव में बीजेपी की तरफ से सुषमा स्वराज को मैदान में उतारा गया था. लेकिन कांटे की टक्कर में ये मुकाबला सोनिया ने जीत लिया. इस जीत के बाद एक बार फिर कर्नाटक को कांग्रेस के लिए लकी माना जाने लगा.

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कांग्रेस ने बदले कर्नाटक के चुनावी समीकरण

कर्नाटक में कांग्रेस का चुनावी समीकरण काफी अच्छा रहा है. पिछले साल यानी 2018 में हुए चुनावों की बात करें तो बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर सामने आई थी, इसके बावजूद सरकार बनाने में सफल नहीं रही. 2018 विधानसभा चुनाव में बीजेपी को कुल 104 सीट मिली थी, वहीं कांग्रेस 78 सीटों के साथ दूसरे नंबर पर थी. तीसरे नंबर पर कर्नाटक की जेडीएस थी, जिसे 37 सीटें मिलीं.

अब इस समीकरण के बीच कांग्रेस और जेडीएस ने हाथ मिलाकर सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया और राज्य में सरकार बना ली. इसके बाद जेडीएस के एचडी कुमारस्वामी को सीएम बनाया गया.

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