उर्दू से संबंधित अपने कार्यक्रमों को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार बॉलीवुड सितारों का सहारा लेने पर विचार कर रही है. मानव संसाधन मंत्रालय की ऑटोनोमस बॉडी नेशनल काउंसिल फॉर प्रोमोशन ऑफ उर्दू (NCUPL), शाहरुख खान, सलमान खान और कटरीना कैफ की मदद से उर्दू को प्रोमोट करने की मुहिम चलाने पर विचार कर रहा है. हालांकि लोग सलमान और कटरीना के उर्दू ज्ञान पर सवाल खड़े कर रहे हैं.
सोशल मीडिया पर उठे सवाल
सोशल मीडिया पर यूजर्स ने सलमान खान और कटरीना कैफ के उर्दू ज्ञान पर सवाल उठाया. एक यूजर ने लिखा, 'कटरीना कैफ से उर्दू बोलने का कहने के पहले इतना तो तय कर लिया जाए कि वे अच्छी हिंदी बोल पाती हों.' लोगों ने सवाल उठाए कि जब सलमान और कटरीना उर्दू लिख-पढ़ नहीं पाते, तो उन्हें प्रोमोट करने क्यों बुलाया जा रहा है.
देखें कुछ ट्वीट:
सानिया ने कटाक्ष करते हुए लिखा ‘उर्दू के लिए कटरीना का इस्तेमाल, भाषा को बढ़ावा नहीं, बल्कि मारने वाला कदम है.
कुछ यूजर का कहना है कि कटरीना से उर्दू भाषा प्रमोट कराने से पहले ये सुनिश्चित कर लें कि उन्हें ठीक से हिंदी भी बोलनी आती है.
उन डबिंग आर्टिस्ट को शुभकामनाएं, जो कटरीना की डबिंग कराने के लिए उर्दू सीखेंगे
सल्लू और कैटरीना ??? खैर ....ऐसा लगता है कि यह कदम इसलिए उठाया गया है उर्दू भाषा की खुद ब खुद मौत हो जाए.
मोदी सरकार को ये कदम उठाने से पहले ये सोचना चाहिए कि सलमान और कटरीना को चुनने की बजाए जावेद अख्तर और अमिताभ बच्चन जैसे लोगों को चुनना चाहिए.
‘सलमान और कटरीना को उर्दू का ब्रैंड ऐंबैसडर बनाना उर्दू का अपमान है. क्या अपने उन्हें कभी उर्दू बेलते हुए सुना है.
‘सलमान और कटरीना में से कोई भी उर्दू शब्द ठीक से बोल भी नहीं सकते. शाहरुख शायद दोनों से कुछ बेहतर हो’
NCPUL के मुताबिक, प्राइवेट प्लेयर्स से टक्कर लेने के लिए इन सितारों का इस्तेमाल किया जाएगा ताकि बड़ी संख्या में युवा संस्थान के कार्यक्रमों में हिस्सा ले सकें. बता दें प्राइवेट प्लेयर्स सेलेब्रिटीज को बुलवाकर भीड़ इकट्ठा करने में कामयाब हो जाते हैं. NCPUL के डॉयरेक्टर अकील अहमद के मुताबिक,
हम बॉलीवुड के बड़े सितारों से कांटेक्ट कर उनसे उर्दू की कुछ लाइनें बोलने के लिए कहेंगे. इनका इस्तेमाल हम अपने कार्यक्रमों में करेंगे. जिन सितारों से हम कांटेक्ट करेंगे उनमें शाहरुख खान, सलमान खान और कटरीना कैफ शामिल हैं.अकील अहमद, डॉयरेक्टर, NCPUL
बता दें संस्था को 2014 से 2019 के बीच सरकार से 332.76 करोड़ रुपये की ग्रांट मिली है. संस्था उर्दू में किताबें पब्लिश करती है. साथ ही नेशनल और इंटरनेशनल लेवल कांफ्रेंस आयोजित करवाती है. इसके अलावा NCUPL अरबी और उर्दू में कुछ डिप्लोमा कोर्स भी करवाती है.
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